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उत्तरकाशी आपदा: सड़क संपर्क बहाली के लिए सेना का रेस्क्यू मिशन, लिमचिगाढ़ में बैली ब्रिज निर्माण तेज

चिनूक हेलिकॉप्टर से जेनरेटर और जरूरी उपकरण पहुंचाए, जवानों ने रातभर किया काम

उत्तरकाशी। हाल ही में उत्तरकाशी जिले में आई विनाशकारी आपदा के बीच राहत और बचाव कार्यों में सेना, वायुसेना और प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। बादल फटने और भूस्खलन के कारण धराली, हरसिल और आसपास के कई गांव सड़क संपर्क से कट गए थे, जिससे राहत सामग्री, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामान पहुंचाना बेहद कठिन हो गया था। इस चुनौती से निपटने के लिए सेना ने सड़क संपर्क बहाली का जिम्मा संभाला और लिमचिगाढ़ में बैली ब्रिज (Bailey Bridge) निर्माण कार्य शुरू किया।

रातभर चला पुल निर्माण का अभियान
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, सेना के इंजीनियर कोर और बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) की टीमों ने पूरी रात पुल निर्माण स्थल पर डटे रहकर काम किया। लगातार बारिश और पहाड़ी मलबे की चुनौतियों के बीच जवानों ने भारी मशीनरी और क्रेनों की मदद से पुल के हिस्सों को जोड़ा। यह बैली ब्रिज रणनीतिक रूप से बेहद अहम है, क्योंकि इसके तैयार होते ही हरसिल और धराली क्षेत्रों तक राहत और पुनर्वास सामग्री पहुंचना आसान हो जाएगा।

चिनूक हेलिकॉप्टर बने जीवन रेखा
भारी उपकरण और जेनरेटर पुल निर्माण स्थल तक पहुंचाना सड़क मार्ग बंद होने के कारण संभव नहीं था। ऐसे में वायुसेना के चिनूक हेलिकॉप्टर राहत कार्यों के ‘गेम चेंजर’ साबित हुए।

  • एक चिनूक ने जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से जेनरेटर और आवश्यक उपकरण लेकर लिमचिगाढ़ के पास निर्धारित स्थल तक उड़ान भरी।
  • दूसरा चिनूक धरासू से जनरेटर और तकनीकी सामग्री लेकर हरसिल के लिए रवाना हुआ।

इन जेनरेटरों से न केवल बैली ब्रिज निर्माण स्थल पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, बल्कि आसपास के राहत शिविरों और अस्पतालों को भी ऊर्जा आपूर्ति मिल रही है।

स्थानीय लोगों में उम्मीद की किरण
आपदा के बाद से अलग-थलग पड़े गांवों के लोगों के लिए बैली ब्रिज निर्माण उम्मीद की किरण लेकर आया है। स्थानीय निवासी राजेंद्र ने कहा, “हम कई दिनों से सड़क संपर्क टूटने के कारण परेशान थे। सेना के जवानों को रातभर काम करते देख हमारे मन में भरोसा जगा है कि जल्द ही मदद और राहत तेज गति से पहुंचेगी।”

प्रशासन का पूरा फोकस बहाली और पुनर्वास पर
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि सड़क संपर्क बहाली राहत कार्यों की प्राथमिकता है। “पुल के तैयार होते ही हमारी राहत सामग्री और मेडिकल टीम तुरंत प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच जाएगी। सेना और प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं,” उन्होंने कहा।

विशेषज्ञों की चेतावनी और भविष्य की तैयारी
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तरकाशी जैसे संवेदनशील इलाकों में सड़क और पुल का मजबूत नेटवर्क आपदा के समय जीवन रेखा साबित होता है। साथ ही, आधुनिक पूर्व-चेतावनी प्रणाली, वैकल्पिक मार्ग और आपातकालीन उपकरणों का स्टॉक पहले से तैयार रखना जरूरी है।

फिलहाल, लिमचिगाढ़ में चल रहा बैली ब्रिज निर्माण कार्य उत्तरकाशी आपदा में राहत कार्यों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। जैसे ही यह पुल तैयार होगा, धराली, हरसिल और आसपास के क्षेत्रों में फंसे लोगों तक मदद तेज गति से पहुंचेगी, जिससे पुनर्वास कार्य में तेजी आएगी।

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