
2022 के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाताओं का भरोसा जितने के लिए कांग्रेस और सपा अपने-अपने तरीके से उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े मुस्लिम नेता आजम खान के करीबी होने का कर रहे हैं. यही कारण है कि आजम खान से जेल मे मिलने जा रहे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के ख़िलाफ़ सपा नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले मुस्लिम समुदाय को हर हाल में ये संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस उनके हर सुख-दुख में खड़ी है.उनके ख़िलाफ़ हर ज़्यादती को मुद्दे के रूप में कांग्रेस उठाती रहेगी. आजम खान परिवार के करीब आने के लिए कांग्रेस इसी सिद्धांत का हवाला दे रही है.
आज जो कांग्रेस आजम खान के करीब आने की कोशिश में है उसी कांग्रेस विरोध से आजम खान की राजनीति शुरू हुई. रामपुर के नवाब खानदान जो कांग्रेसी रहे थे कभी उनके ख़िलाफ़ जनांदोलन खड़ा कर आजमखान जन नेता बने थे. आजम हमेशा से सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह के करीबी रहे हैं. मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव सरकार में आजम हमेशा नम्बर दो रहे हैं. उनकी बात काटने की हिम्मत मुख्यमंत्री तक में नहीं होती थी. चाहे 2012 का विधानसभा चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव मुस्लिम बहुल इलाकों में जीत दिलाने की ज़िम्मेदारी आजम खान की ही होती थी और आजम ने ये साबित भी किया कि वो सपा और मुस्लिमों के बीच एक मजबूत सेतु हैं.