
बनबसा (चंपावत): उत्तराखंड के सीमांत जनपद चंपावत में भारत-नेपाल संबंधों को सशक्त करने और सीमा पार व्यापार को गति देने की दिशा में एक बड़ी परियोजना पर काम शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को बनबसा स्थित गुदमी क्षेत्र में प्रस्तावित आधुनिक लैंड पोर्ट परियोजना का स्थलीय निरीक्षण किया।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (LPAI) द्वारा लगभग ₹500 करोड़ की लागत से विकसित की जा रही है।
सीमा पार व्यापार और सहयोग का नया द्वार
मुख्यमंत्री धामी ने निरीक्षण के दौरान कहा कि यह परियोजना भारत-नेपाल के बीच सहयोग, व्यापार और सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास में अहम भूमिका निभाएगी।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार की लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया इस परियोजना को उत्तराखंड सरकार के सहयोग से तेज़ी से आगे बढ़ा रही है।
“यह सिर्फ एक अवसंरचनात्मक परियोजना नहीं, बल्कि सीमांत इलाकों के आर्थिक परिदृश्य को बदलने का माध्यम है,”
मुख्यमंत्री धामी ने कहा।
सभी मंजूरियाँ पूरी, निर्माण कार्य को मिली रफ्तार
मुख्यमंत्री ने बताया कि परियोजना की शुरुआत से ही
पर्यावरणीय मंजूरी, प्रतिपूरक पौधारोपण और भूमि हस्तांतरण जैसी सभी औपचारिकताएँ समय से पूरी की गई हैं।
इस वर्ष पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 84 एकड़ वन भूमि को अंतिम स्वीकृति दे दी है, जिसके बाद निर्माण कार्य को गति दी गई है।
एकीकृत लैंड पोर्ट: सुरक्षा, कस्टम और व्यापार एजेंसियाँ एक ही परिसर में
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ₹500 करोड़ की लागत से बनने वाला यह आधुनिक लैंड पोर्ट, भारत और नेपाल के बीच
व्यापार एवं यात्री आवागमन के लिए एक समेकित, सुविधाजनक और सुरक्षित प्रणाली तैयार करेगा।
यहाँ कस्टम, इमीग्रेशन, सुरक्षा बल, व्यापार और अन्य सीमा प्रबंधन एजेंसियाँ एक ही परिसर में कार्य करेंगी,
जिससे सीमा प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बड़ा बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देगी और सीमा पार बाजारों तक सीधी पहुँच सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा —
“लैंड पोर्ट के माध्यम से किसानों और छोटे उत्पादकों को नेपाल के बाजारों तक सीधी पहुँच मिलेगी।
इससे परिवहन लागत घटेगी, उत्पादों का मूल्य संवर्धन होगा और स्थानीय युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर पैदा होंगे।”
परियोजना के तहत कृषि व औद्योगिक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, जिससे
उत्तराखंड के सीमांत जिलों को नई आर्थिक पहचान मिलेगी।
पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों को भी मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बनबसा लैंड पोर्ट न केवल व्यापार, बल्कि
पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देगा।
उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के बीच लोग-से-लोग संबंध (People-to-People Connect) को सशक्त करने में यह परियोजना एक नई मिसाल बनेगी।
पर्यावरण-अनुकूल डिज़ाइन और आधुनिक सुविधाओं पर जोर
मुख्यमंत्री ने बताया कि LPAI द्वारा एक डिज़ाइन प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है,
जिसके माध्यम से ऐसा पर्यावरण-अनुकूल और आधुनिक मॉडल तैयार किया जाएगा
जो सस्टेनेबल डेवलपमेंट और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर का उदाहरण बनेगा।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना भारत सरकार की
सुरक्षित, सतत और क्षेत्रीय एकीकरण की नीति के अनुरूप है।
आपसी समन्वय और शीघ्र क्रियान्वयन पर मुख्यमंत्री का जोर
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भारत सरकार, LPAI और राज्य की सभी विभागीय एजेंसियाँ
आपसी समन्वय के साथ काम करें ताकि निर्माण कार्य निर्धारित समयसीमा में पूरा हो सके।
उन्होंने कहा —
“बनबसा लैंड पोर्ट परियोजना उत्तराखंड की सीमाओं को समृद्धि, सहयोग और अवसरों की नई पहचान देगी।”
रणनीतिक दृष्टि से अहम, विकास का नया केंद्र बनेगा बनबसा
सीमांत क्षेत्र में स्थित बनबसा लैंड पोर्ट न केवल भारत-नेपाल व्यापार के लिए एक प्रमुख द्वार साबित होगा, बल्कि उत्तराखंड के लिए लॉजिस्टिक, औद्योगिक और पर्यटन विकास का नया केंद्र बनेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह परियोजना भारत की “Neighbourhood First” नीति और सीमा विकास की दीर्घकालिक रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।



