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टिहरी गढ़वाल में दर्दनाक सड़क हादसा: कांग्रेस नेता के पिता सहित चार की मौत, क्षेत्र में शोक की लहर

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टिहरी गढ़वाल : उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में सोमवार देर शाम एक भीषण सड़क हादसे में चार लोगों की मौत हो गई। मृतकों में कांग्रेस जिलाध्यक्ष के पिता भी शामिल हैं। यह हादसा कीर्तिनगर विकासखंड के बढ़ियारगढ़ क्षेत्र के ढम्ट नामे तोक में हुआ, जहाँ एक कार अनियंत्रित होकर लगभग 50 मीटर गहरी खाई में जा गिरी।

धार्मिक अनुष्ठान से लौट रहे थे सभी मृतक

प्राप्त जानकारी के अनुसार, वाहन संख्या UK09B0083 में सवार सभी चार व्यक्ति मालगड्डी गांव के निवासी थे और चंडीगढ़ से बडियारगढ़ में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर अपने गांव लौट रहे थे। हादसा सोमवार शाम करीब 6 बजे उस वक्त हुआ जब कार ढम्ट तोक के पास एक मकान की बाथरूम की छत को पार कर खेतों में जा गिरी।

चारों की मौके पर ही दर्दनाक मौत

मृतकों की पहचान निम्न रूप में हुई है:

  • दर्शन सिंह असवाल (70), पुत्र हरि सिंह

  • धर्म सिंह असवाल (70), पुत्र पीतांबर सिंह

  • कर्ण सिंह पंवार (65), पुत्र राम सिंह

  • राजेंद्र सिंह पंवार (60), पुत्र जीत सिंह पंवार

स्थानीय लोगों की सूचना पर कीर्तिनगर तहसील प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर शवों को खाई से बाहर निकाला गया। शवों को बेस अस्पताल श्रीनगर भेजा गया है।

तहसीलदार प्रदीप कंडारी ने हादसे की पुष्टि करते हुए कहा कि घटना के कारणों की जांच की जा रही है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कार कैसे अनियंत्रित हुई। उन्होंने बताया कि वाहन संभवतः सड़क से फिसल कर मकान की छत पर गिरा और फिर वहां से खेतों में जा पहुंचा।

इस हादसे से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। मालगड्डी गांव में मातम पसरा हुआ है। मृतकों के परिवारों को इस दुख की घड़ी में सांत्वना देने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि और समाजसेवी पहुँच रहे हैं।

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि बढ़ियारगढ़ मार्ग पर सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं। सड़क किनारे रेलिंग, संकेतक बोर्ड, और रोशनी जैसी सुविधाओं की सख्त ज़रूरत है ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को टाला जा सके।

यह हादसा उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सड़क सुरक्षा की गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है। एक ओर जहाँ श्रद्धालु धार्मिक यात्रा से लौट रहे थे, वहीं असुरक्षित मार्गों ने चार जिंदगियाँ छीन लीं। यह समय है कि प्रशासन, जनप्रतिनिधि और समाज मिलकर पर्वतीय मार्गों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

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