फीचर्डविदेश

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर फिर कहर: सिंध में 3 नाबालिग हिंदू लड़कियों का अपहरण, जबरन धर्मांतरण कर कराया निकाह

खबर को सुने

इस्लामाबाद/हैदराबाद (सिंध): पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला सिंध प्रांत से सामने आया है जहां तीन नाबालिग हिंदू लड़कियों का पहले अपहरण किया गया, फिर जबरन धर्म परिवर्तन करवा कर मुस्लिम युवकों से उनका निकाह करवा दिया गया


क्या है पूरा मामला?

  • यह घटना 13 जुलाई को सिंध के संघार जिले की है।
  • परिजनों के मुताबिक तीनों लड़कियों को जबरन अगवा किया गया था।
  • आरोप है कि अपहरण के बाद लड़कियों का जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कराया गया और फिर निकाह करवा दिया गया।

हिंदू समुदाय का विरोध, FIR दर्ज

  • घटना के बाद स्थानीय हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया।
  • पीड़ित परिवारों की शिकायत पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है।
  • तीनों लड़कियां हैदराबाद की सिंध हाईकोर्ट में पेश हुईं, जहां उन्होंने दावा किया कि उन्होंने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया और विवाह किया है

न्यायिक प्रक्रिया और संदेह

  • कोर्ट में पेश होते वक्त तीनों लड़कियां अपने कथित पतियों के साथ मौजूद थीं
  • लेकिन परिवारों का कहना है कि लड़कियों की उम्र अभी 18 वर्ष से कम है, जिससे यह मामला “सिंध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2013” के दायरे में आता है।
  • यदि नाबालिग साबित होती हैं, तो निकाह अवैध घोषित हो सकता है।

मानवाधिकार आयोग और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया

  • सिंध मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष इकबाल अहमद ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की है।
  • उन्होंने कहा, “यदि लड़कियां वाकई नाबालिग हैं, तो यह सीधा-सीधा कानून का उल्लंघन है।”
  • वहीं, हिंदू समुदाय से जुड़े संगठन के अध्यक्ष शिवा काछी ने कहा,

    “सिंध में हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं अब आम हो गई हैं। यह केवल एक केस नहीं, बल्कि एक सामाजिक त्रासदी है।”


पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति

  • पाकिस्तान के सिंध, बलूचिस्तान और दक्षिण पंजाब क्षेत्रों में हर साल दर्जनों ऐसे मामले सामने आते हैं जहां अल्पसंख्यक नाबालिग लड़कियों का धर्म परिवर्तन के नाम पर शोषण किया जाता है।
  • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने कई बार इन घटनाओं पर चिंता जताई है, लेकिन सरकारी कार्रवाई नाकाफी रही है।

नजरें अब जांच और न्यायिक प्रक्रिया पर

फिलहाल मामला कोर्ट के अधीन है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button