
नई दिल्ली/सना। यमन में एक स्थानीय नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को अस्थायी राहत मिली है। यमन की जेल और अभियोजन अधिकारियों ने 16 जुलाई को निर्धारित फांसी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह फैसला भारत सरकार और परिवार की ओर से चल रहे राजनयिक प्रयासों का परिणाम माना जा रहा है।
यमन में रह रही केरल की मूल निवासी 37 वर्षीय नर्स को 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। यमन की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई थी।
भारत सरकार की पहल बनी सहारा
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार इस मामले में शुरुआत से ही निमिषा को हर संभव सहायता प्रदान कर रही है। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और यमन में भारतीय मिशन ने लगातार स्थानीय प्रशासन और अभियोजन अधिकारियों से संपर्क बनाए रखा।
इन प्रयासों के चलते, यमन के संबंधित प्राधिकरणों ने मृत्युदंड पर अस्थायी रोक लगाने का निर्णय लिया है, जिससे निमिषा के परिवार को ‘दिया’ समझौते (इस्लामिक क़ानून के तहत क्षमा और मुआवज़ा) के लिए समय मिल सका है।
क्या है ‘दिया’ समझौता?
‘दिया’ एक इस्लामिक क़ानूनी प्रावधान है, जिसके तहत किसी हत्या के मामले में दोषी को पीड़ित परिवार से क्षमा मांगने और मुआवज़ा देने का अवसर मिलता है। अगर पीड़ित परिवार माफ कर दे, तो सज़ा माफ की जा सकती है।
निमिषा प्रिया के समर्थन में काम कर रहे संगठनों और वकीलों की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि मृतक के परिजन ‘दिया’ समझौते पर सहमत हो जाएं, जिससे निमिषा की जान बच सके।
क्या था पूरा मामला?
- वर्ष 2017 में निमिषा प्रिया यमन में एक मेडिकल सेंटर चला रही थीं।
- आरोप है कि एक यमनी नागरिक ने उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया था और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था।
- उसी व्यक्ति को बेहोश करने के प्रयास में अधिक दवा देने से उसकी मौत हो गई।
- इसके बाद निमिषा को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और स्थानीय अदालतों से होते हुए मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा, जिसने मृत्युदंड की पुष्टि की।
अभी क्या होगा आगे?
फिलहाल निमिषा प्रिया की फांसी स्थगित कर दी गई है। आने वाले कुछ सप्ताह निर्णायक होंगे, क्योंकि इसी दौरान ‘दिया’ समझौता संभव होने की उम्मीद है।
भारत सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया है कि राजनयिक और मानवीय आधार पर सभी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, ताकि इस मामले में जीवनदान का स्थायी रास्ता निकाला जा सके।
परिवार की प्रतिक्रिया
निमिषा प्रिया की मां ने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“हम भगवान और भारत सरकार के आभारी हैं कि समय मिला। अब हम यमनी परिवार से क्षमा मांगने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमारी बेटी ने गलती की, लेकिन वह कोई अपराधी नहीं है।”
यह मामला केवल एक आपराधिक केस नहीं, बल्कि कानूनी, नैतिक और राजनयिक जटिलताओं का उदाहरण है। भारत सरकार की भूमिका अब इस बात पर केंद्रित है कि कैसे कूटनीतिक संतुलन और मानवता के आधार पर निमिषा को स्थायी राहत दिलाई जाए।