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सीट बंटवारे को लेकर India गठबंधन में विवाद! RJD के ऑफ़र को सीपीआई (ML) ने ठुकराया: सूत्र

बिहार चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे पर मतभेद गहराया, सीपीआई(एमएल) ने नई सूची सौंपी और संकेत दिए कि “सभी विकल्प खुले” हैं

पटना:बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) में सीट बंटवारे को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीआई(एमएल) के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन सकी है। सीपीआई(एमएल) ने आरजेडी का मौजूदा ऑफ़र ठुकरा दिया है और अब पार्टी ने अपनी नई सीटों की सूची आरजेडी नेतृत्व को सौंप दी है।

सीपीआई(एमएल) का कहना है कि आरजेडी का प्रस्ताव “सम्मानजनक नहीं” है और इससे गठबंधन की भावना कमजोर होती है। पार्टी का तर्क है कि उसने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया था, इसलिए उसे उसके अनुसार हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।

क्यों बढ़ा विवाद?

सूत्रों के अनुसार, आरजेडी ने सीपीआई(एमएल) को करीब 19 सीटों का प्रस्ताव दिया था — वही संख्या, जितनी पर माले ने 2020 में चुनाव लड़ा था। जबकि इस बार एमएल करीब 40 सीटों की मांग कर रही है। पार्टी का कहना है कि उसने पिछले विधानसभा चुनाव में 19 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 3 सीटों पर बहुत मामूली अंतर से हारी थी। इस प्रदर्शन के आधार पर उसे इस बार “बड़ी और निर्णायक भूमिका” दी जानी चाहिए।

सीपीआई(एमएल) सूत्रों ने कहा कि “आरजेडी का प्रस्ताव सम्मानजनक नहीं है। गठबंधन में हम समान भागीदार हैं, किसी के अधीन नहीं। हमने अपनी नई सीटों की सूची आरजेडी को भेज दी है और सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।”

महागठबंधन में अंदरूनी खींचतान

महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई(एमएल) शामिल हैं। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, सीट बंटवारे को लेकर भीतरखाने की खींचतान तेज होती जा रही है। कांग्रेस पहले ही 70 से अधिक सीटों की मांग कर चुकी है, जबकि सीपीआई और सीपीएम भी अपनी पारंपरिक सीटों को छोड़ने के मूड में नहीं हैं।
इन सबके बीच, माले का रवैया आरजेडी के लिए सिरदर्द बन गया है, क्योंकि पार्टी का वोट शेयर कई क्षेत्रों में निर्णायक साबित हो सकता है।

माले का तर्क: “हमारे कार्यकर्ताओं ने जमीन पर संघर्ष किया”

सीपीआई(एमएल) का कहना है कि महागठबंधन में उसने हमेशा वैचारिक मजबूती और जनसंघर्षों से योगदान दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में उसने किसान, मजदूर और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर जनता के बीच काम किया है। ऐसे में संगठनात्मक रूप से मजबूत सीटों पर उसे मौका मिलना चाहिए।
एक वरिष्ठ माले नेता ने कहा, “हम किसी की कृपा से नहीं, अपनी ताकत से सीट मांग रहे हैं। 2020 में हमने अकेले अपने बूते पर 12 सीटें जीती थीं। जनता ने हमें जो ताकत दी है, उसका सम्मान होना चाहिए।”

आरजेडी की मुश्किलें बढ़ीं

आरजेडी नेतृत्व फिलहाल संतुलन साधने की कोशिश में है। पार्टी का मानना है कि अगर हर सहयोगी अपनी पुरानी जीत के आधार पर सीट मांगेगा, तो गठबंधन की गणित बिगड़ सकती है। आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम चाहते हैं कि गठबंधन बरकरार रहे, लेकिन हर दल को अपनी क्षमता के अनुसार हिस्सा मिलना चाहिए। सभी को जीतने वाली सीटें चाहिए, जो संभव नहीं।”
सूत्र बताते हैं कि आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव ने सीपीआई(एमएल) नेताओं से फिर बैठक करने के संकेत दिए हैं ताकि मतभेद सुलझाए जा सकें।

2020 और 2024 का प्रदर्शन

2020 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई(एमएल) ने 19 सीटों में से 12 पर जीत हासिल कर गठबंधन की उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था। वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे और दो सीटें (आरा और सिवान) जीत लीं। इन नतीजों ने पार्टी को एक “मजबूत सहयोगी” के रूप में स्थापित किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि माले की ताकत विशेष रूप से उत्तर बिहार और सीमांचल के इलाकों में है, जहां उसका जनाधार वाम परंपरा से जुड़ा हुआ है। ऐसे में अगर पार्टी नाराज होकर अलग राह चुनती है तो महागठबंधन को गंभीर नुकसान हो सकता है।

क्या होंगे अगले कदम?

सूत्रों के अनुसार, अब महागठबंधन की समन्वय समिति दोबारा बैठक कर सकती है। कांग्रेस और सीपीआई(एमएल) दोनों की सीटों को लेकर फॉर्मूला तैयार करने की कोशिश होगी। हालांकि माले ने यह भी संकेत दिया है कि अगर सम्मानजनक सीट शेयर नहीं मिला तो वह “सभी विकल्प खुले” रखेगी — यानी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने या किसी अन्य गठबंधन से बातचीत करने तक का रास्ता भी खुला रख रही है।

चुनाव कार्यक्रम पर एक नजर

चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है।

  • पहले चरण में 121 सीटों पर 6 नवंबर को मतदान होगा।
  • दूसरे चरण में 122 सीटों पर 11 नवंबर को वोटिंग होगी।
  • नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

पहले चरण की अधिसूचना 10 अक्टूबर को जारी होगी, जबकि नामांकन की अंतिम तारीख 17 अक्टूबर तय की गई है। नामांकन पत्रों की जांच 18 अक्टूबर को और नाम वापसी की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर निर्धारित की गई है।

बिहार की राजनीति में सीट बंटवारे का यह टकराव नया नहीं है, लेकिन इस बार स्थिति अधिक पेचीदा दिख रही है। आरजेडी जहां खुद को गठबंधन की धुरी मानती है, वहीं माले अब “समान भागीदारी” पर अडिग है।
अगर दोनों दलों के बीच समझौता नहीं हुआ, तो महागठबंधन की एकजुटता पर बड़ा असर पड़ सकता है — और इसका सीधा फायदा विपक्षी एनडीए को मिल सकता है।

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