
पटना/नई दिल्ली: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर जारी सियासी घमासान ने नया मोड़ ले लिया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग (ECI) ने न केवल तथ्यों के साथ स्थिति स्पष्ट की है, बल्कि सवाल दागा है — “क्या मृतकों को भी चुनाव में वोट डालने की इजाज़त दी जानी चाहिए?”
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि राज्य में 90% से अधिक SIR (Special Summary Revision) प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव इसी संशोधित वोटर लिस्ट के आधार पर कराया जाएगा। आयोग का कहना है कि “एक भी अपात्र मतदाता को सूची में रखने का कोई औचित्य नहीं है।”
तेजस्वी यादव के आरोप क्या हैं?
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि:
- चुनाव आयोग की रिपोर्ट में 52–55 लाख वोटरों को ‘अनुपलब्ध’ या ‘मृत’ बताया गया है।
- बीएलओ (BLO) स्तर पर प्रक्रियाएं पारदर्शिता के साथ नहीं निभाई गईं। सारा डाटा वही अपलोड कर रहे हैं और स्वयं ही प्रमाणित भी कर रहे हैं।
- पूरी प्रक्रिया को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में पेश करने योग्य आंकड़े जुटाने का दिखावा बताया गया।
तेजस्वी का दावा है कि “इस कवायद में गरीब और वंचित तबके के लाखों नाम वोटर लिस्ट से गायब कर दिए जाएंगे।”
राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग की दो टूक
राहुल गांधी ने भी बिहार के साथ-साथ महाराष्ट्र और कर्नाटक के उदाहरण देते हुए चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाया।
इसके जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने साफ कहा:
“अगर आपको लगता है कि प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है, तो अदालत में चुनौती दीजिए। यदि याचिका लंबित है, तो फैसले का इंतजार कीजिए। अन्यथा, इस तरह के सार्वजनिक आरोप बेबुनियाद हैं।”
चुनाव आयोग ने यह भी साफ किया कि:
- 7.21 करोड़ लोगों ने फॉर्म भरे हैं।
- 21 लाख मतदाताओं को मृत घोषित किया गया है।
- 31 लाख मतदाता स्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए हैं, जिनके नाम हटाए जाएंगे।
RJD क्यों कर रही है विरोध?
RJD शुरू से ही इस प्रक्रिया को जल्दबाज़ी में किया गया कदम बताते हुए विरोध कर रही है। पार्टी का कहना है कि इससे गरीब, प्रवासी और ग्रामीण तबकों के नाम छंट सकते हैं, जिससे उनका राजनीतिक हक छिन जाएगा।
अब जबकि EC के अनुसार 55 लाख वोटरों के नाम कटने की संभावना है, तेजस्वी यादव ने अपना रुख और सख्त कर लिया है।
JDU ने तेजस्वी पर किया पलटवार
JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव की आलोचना करते हुए कहा:
“लोकसभा चुनाव में जनता ने पहले ही RJD का राजनीतिक बहिष्कार कर दिया था — केवल 4 सीटें मिलीं। अब जब वोटर लिस्ट पारदर्शी हो रही है, RJD को अपना जनाधार खिसकता दिख रहा है। यही हताशा तेजस्वी की बयानबाज़ी में झलक रही है।”
क्या कहता है कानून?
भारत में निर्वाचन कानून के तहत मृत व्यक्ति, दोहरे पते, या स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाना कानूनी रूप से अनिवार्य है। Form-7 के माध्यम से ऐसी प्रविष्टियों को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया चुनाव आयोग की नियमित जिम्मेदारी का हिस्सा है।
बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाम राजनीतिक रणनीति की बहस को हवा दे दी है। हालांकि, चुनाव आयोग का रुख स्पष्ट है — “हर योग्य वोटर को शामिल किया जाएगा, अपात्रों को हटाया जाएगा।” अब देखना यह है कि तेजस्वी और राहुल गांधी इस जवाब से संतुष्ट होते हैं या राजनीतिक संघर्ष और तेज़ होता है।