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1988 के बाद सबसे भीषण बाढ़ में डूबा पंजाब, अरविंद केजरीवाल ने किया प्रभावित इलाकों का दौरा

दिल्ली के पूर्व सीएम बोले- पंजाब अकेला नहीं, पूरा देश उसके साथ खड़ा है

चंडीगढ़: पंजाब इस वक्त 1988 के बाद की सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। राज्य के सभी 23 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 3.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। सतलुज, व्यास और रावी नदियों के उफान के साथ-साथ मौसमी नालों ने तबाही मचाई है। इसी बीच आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को पंजाब पहुंचे और बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया।


“लोगों की पीड़ा को प्रत्यक्ष देखा”

दौरे के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने बाढ़ प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उनकी तकलीफ को करीब से महसूस किया। उन्होंने बताया कि राहत सामग्री लगातार पहुंचाई जा रही है और हर ज़रूरतमंद की मदद सुनिश्चित की जा रही है।

केजरीवाल ने कहा – “आज मैंने पंजाब के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। मैंने लोगों की पीड़ा को प्रत्यक्ष देखा, प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और राहत सामग्री वितरित की। इस कठिन समय में पंजाब सरकार हर परिवार का समर्थन कर रही है। पंजाब के लोग अकेले नहीं हैं, पूरा देश उनके साथ खड़ा है। मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर जल्द ही इस आपदा से उबर जाएंगे।”


दिन-रात राहत कार्यों में जुटी सरकार

आप प्रमुख ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि 37 साल बाद पंजाब इतनी भयंकर बाढ़ से गुजर रहा है लेकिन सरकार, मंत्री, विधायक, अधिकारी और वॉलंटियर्स लगातार दिन-रात राहत कार्यों में जुटे हैं।

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने गांव छोड़ने से इंकार किया है, उनके घर तक मदद पहुंचाई जा रही है। वहीं, राहत शिविरों में ठहरे लोगों के लिए पर्याप्त इंतज़ाम किए गए हैं।

हर गांव में एक गज़ेटेड अधिकारी नियुक्त किया गया है ताकि प्रभावित लोगों को मदद के लिए भटकना न पड़े। केजरीवाल ने कहा कि संकट बड़ा है लेकिन उससे भी बड़ा है पंजाबियों का जज़्बा और आपसी सहयोग


बाढ़ का दायरा और बढ़ा

राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में 12 जिले बाढ़ की चपेट में थे लेकिन हालात लगातार बिगड़ते गए और अब सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित करना पड़ा।

सरकारी बुलेटिन में बताया गया कि बाढ़ से हजारों घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं, खेत जलमग्न हैं और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहे हैं।


बाढ़ की बड़ी वजह

विशेषज्ञों के अनुसार, इस बाढ़ की मुख्य वजह हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश है। वहां हुई बारिश का पानी सतलुज, व्यास और रावी नदियों के साथ-साथ कई छोटे-छोटे नालों में उफान लाता हुआ पंजाब में घुसा, जिससे अचानक बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हुई।

मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि लगातार बारिश से निचले इलाकों में जलभराव और नदियों के उफान की संभावना बनी रहेगी।


लोगों की तकलीफ और प्रशासन की चुनौतियाँ

बाढ़ प्रभावित इलाकों में लाखों लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई परिवारों ने अपने घर खो दिए हैं, तो कई लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। पशुधन का नुकसान भी बहुत अधिक हुआ है।

प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है –

  • प्रभावित लोगों तक भोजन, पानी और दवाइयां पहुंचाना
  • राहत शिविरों में स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना
  • बीमारियों के फैलाव को रोकना
  • किसानों को फसल और जमीन के नुकसान से उबारना

केजरीवाल का भरोसा

केजरीवाल ने कहा कि पंजाब सरकार पूरी तरह से हालात से निपटने में जुटी है। उन्होंने भरोसा जताया कि “पंजाब के लोग अकेले नहीं हैं, पूरा देश उनके साथ है। हम मिलकर इस आपदा से जल्द उबरेंगे।”

उनका यह दौरा न सिर्फ प्रभावित परिवारों को भरोसा देने के लिए था बल्कि प्रशासनिक स्तर पर राहत कार्यों की स्थिति का जायज़ा लेना भी इसका हिस्सा था।

पंजाब की यह बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि लोगों की जीवनशैली, अर्थव्यवस्था और भविष्य पर गहरा असर डालने वाली त्रासदी है। हालांकि, राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों की कोशिशें लगातार जारी हैं।

अरविंद केजरीवाल का बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा यह संदेश देता है कि राजनीतिक नेतृत्व भी इस संकट की घड़ी में लोगों के साथ खड़ा है। अब जरूरत है कि राहत और पुनर्वास कार्य तेज़ी से आगे बढ़ें ताकि प्रभावित परिवार जल्द सामान्य जीवन में लौट सकें।

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