राजस्थान में नई सरकार के गठन में मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम और स्पीकर का नाम तय हो चुका है. अब मंत्रिमंडल के लिए मंथन हो रहा है. इस बीच बुधवार से शुरू हुए 16वीं विधानसभा के पहले सत्र में नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई गई. शपथ ग्रहण के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिससे ‘राजस्थानी भाषा’ पर बहस शुरू हो गई. दरअसल, शपथ के दौरान कई विधायकों ने अलग-अलग भाषाओं में शपथ ली, जिनमें 22 विधायकों ने संस्कृत में शपथ ग्रहण की. दो विधायकों ने ‘राजस्थानी भाषा’ में शपथ लेना चाहा, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. वजह है- राजस्थानी भाषा का आधिकारिक नहीं होना.
बाड़मेर की शिव विधानसभा से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी और बीकानेर कोलायत से भाजपा के विधायक अंशुमान सिंह ने राजस्थानी में शपथ लेनी शुरू की थी, लेकिन स्पीकर ने दोनों को राजस्थानी भाषा में शपथ लेने से रोक दिया. हालांकि दोनों ही विधायकों ने पहले राजस्थानी और फिर हिंदी में शपथ पूरी की. विधानसभा में हुए इस घटनाक्रम के बाद ‘राजस्थानी भाषा’ को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है.
वही अब लोग कह रहे हैं कि अगर राजस्थान विधानसभा में राजस्थानी भाषा में शपथ नहीं हो सकती तो कहां होगी? हालांकि कुछ लोग इस बहस में राजस्थानी भाषा की स्पष्टता पर भी बात कर रहे हैं. क्योंकि राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह की बोलियां बोली जाती हैं. इसलिए जिन विधायकों ने शपथ ली थी, उन्होंने ‘राजस्थानी’ में नहीं बल्कि ‘मारवाड़ी’ में शपथ लेने की कोशिश की, जिसे स्पीकर ने नकार दिया.