
नई दिल्ली: भारतीय राजनीति में इन दिनों एक बार फिर से विदेश में दिए गए बयानों को लेकर बड़ा सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कोलंबिया की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों से संवाद के दौरान भारत के लोकतंत्र पर हमले की बात कही। लगभग इसी समय रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोची में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ की। एक ओर राहुल गांधी के बयान से कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है, तो दूसरी ओर पुतिन की टिप्पणियों को बीजेपी अपनी सरकार की नीतियों और मोदी के नेतृत्व की बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है।
राहुल गांधी का हमला
कोलंबिया के EIA यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि भारत चीन की तरह अपने लोगों को दबाकर नहीं चला सकता, क्योंकि भारत की ताकत उसकी विविधता है और इसके लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनिवार्य है। राहुल ने कहा कि आज भारत के लोकतंत्र पर चौतरफा हमला हो रहा है और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र के बिना भारत का भविष्य अधूरा है।
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में यह भी दावा किया कि आज भारत में संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है, मीडिया पर दबाव है और असहमति की आवाज को देशद्रोह बताकर खारिज किया जाता है। उनका कहना था कि “लोकतंत्र पर हमला भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा है।”
पुतिन की मोदी को सराहना
दूसरी ओर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोची में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच पर पीएम नरेंद्र मोदी को “समझदार और बुद्धिमान नेता” बताते हुए उनकी जमकर तारीफ की। पुतिन ने कहा कि मोदी हमेशा राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हैं और कभी भी ऐसा निर्णय नहीं लेंगे जो भारत की संप्रभुता के खिलाफ हो।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत एक ऐसा देश है जहां जनता अपने नेताओं के फैसलों पर पैनी नजर रखती है और वे कभी नहीं चाहेंगे कि उनका देश किसी के आगे झुके। पुतिन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत उन पर प्रभावित नहीं हुआ क्योंकि मोदी सरकार ने मजबूत निर्णय लिए।
बीजेपी का तीखा पलटवार
राहुल गांधी के बयानों पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल पर भारत विरोधी शक्तियों के झंडाबरदार बनने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी का यह बयान हास्यास्पद और विडंबनापूर्ण है। जिस परिवार ने लगभग 100 साल तक लोकतंत्र का लबादा ओढ़कर राजतंत्र को जीवित रखा, उसे आज लोकतंत्र पर भाषण देने का कोई अधिकार नहीं है।”
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि विदेश में भारत की आलोचना करना उनकी आदत बन चुकी है। उन्होंने कहा कि “भारत माता की आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विपक्ष को अगर कोई शिकायत है तो उसे देश के भीतर लोकतांत्रिक मंचों पर उठाना चाहिए, न कि विदेशी धरती पर जाकर भारत की छवि को धूमिल करना चाहिए।”
बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने राहुल के बयान को “जलन और गुस्से” से प्रेरित बताया और कहा कि राहुल गांधी बार-बार भारत की वैश्विक साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस का पलटवार
बीजेपी के इन हमलों का जवाब कांग्रेस नेताओं ने भी दिया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राहुल गांधी ने जो कहा, वह सच्चाई है। उन्होंने कहा कि जब देश में लोकतंत्र खतरे में है और संवैधानिक संस्थाएं कमजोर हो रही हैं, तो यह मुद्दा उठाना जरूरी है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राहुल गांधी को सच बोलने के लिए देशद्रोही बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में असहमति की आवाज सुनना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन वर्तमान सरकार इसे दबाने में लगी हुई है। वहीं कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने आरोप लगाया कि पिछले 11 सालों में देश के विकास की बजाय समाज में टकराव और ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ावा दिया गया है।
विदेश से आलोचना बनाम भारत की छवि
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने विदेश से भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी कई मौकों पर उन्होंने लंदन और अमेरिका जैसे देशों में भारत के लोकतंत्र की स्थिति पर चिंता जताई थी। बीजेपी का आरोप है कि राहुल बार-बार विदेशी मंचों पर भारत की आलोचना कर देश की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि सच बोलना और लोकतंत्र की रक्षा करना उनका दायित्व है।
चुनावी सियासत पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी और पुतिन की टिप्पणियों के इर्द-गिर्द छिड़ी यह बहस आने वाले समय में भारतीय राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकती है। बीजेपी इसे मोदी सरकार की वैश्विक प्रतिष्ठा के सबूत के तौर पर पेश कर रही है, जबकि कांग्रेस इस बहस को लोकतंत्र और असहमति की आजादी के सवाल पर केंद्रित करने की कोशिश कर रही है।
2025 में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और 2026 की तैयारी में लोकसभा चुनाव की हलचल भी तेज हो चुकी है। ऐसे में राहुल गांधी के बयान और पुतिन की तारीफ दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति का हिस्सा बनते दिख रहे हैं।
एक ओर पुतिन के बयान ने भारत की वैश्विक साख और मोदी के नेतृत्व की ताकत को उजागर किया है, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी के विदेश से दिए गए बयान ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव को और गहरा कर दिया है। सवाल यह है कि आने वाले समय में भारतीय जनता किस पक्ष की बात पर ज्यादा भरोसा करती है—भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत की तस्वीर पर, या देश के भीतर लोकतंत्र पर खतरे की चेतावनी पर।