
चंडीगढ़: जहाँ देश के कई राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं के बाद मुआवज़े की प्रक्रिया महीनों तक लंबी खिंच जाती है, वहीं पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने राहत वितरण का नया मानक स्थापित किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने केवल 30 दिन के भीतर किसानों को ₹20,000 प्रति एकड़ मुआवज़ा देकर न सिर्फ प्रशासनिक तत्परता का उदाहरण पेश किया है, बल्कि भरोसेमंद शासन की मिसाल कायम की है।
यह पहली बार है जब किसी राज्य ने अपने संसाधनों से ₹13,200 प्रति एकड़ का अतिरिक्त मुआवज़ा देकर यह स्पष्ट संदेश दिया कि पंजाब सरकार किसानों को किसी के भरोसे नहीं छोड़ती। यह राहत राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जा रही है — जिससे बिचौलियों, देरी और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रही।
बाढ़ की तबाही और सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया
कुछ महीने पहले पंजाब में बाढ़ ने अभूतपूर्व तबाही मचाई थी।
2,508 गांवों में जलभराव से फसलें बर्बाद हो गईं, और करीब 3.5 लाख एकड़ खेती योग्य भूमि प्रभावित हुई।
ऐसे कठिन समय में राज्य सरकार सबसे पहले राहत और पुनर्वास के लिए आगे आई।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तुरंत विशेष गिरदावरी (फसल क्षति सर्वे) के आदेश दिए।
11 सितंबर को इसकी घोषणा हुई थी और लक्ष्य 45 दिन में पूरा करने का रखा गया था, परंतु सरकार ने प्रशासनिक कुशलता दिखाते हुए केवल 30वें दिन मुआवज़ा वितरण शुरू कर दिया।
यह समयसीमा देश के किसी भी राज्य में हुए प्राकृतिक आपदा राहत कार्यों की तुलना में सबसे तेज़ है।
किसानों को ₹20,000 प्रति एकड़ मुआवज़ा, पारदर्शी पोर्टल से सीधी ट्रांसफर
सरकार ने बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए ₹20,000 प्रति एकड़ मुआवज़ा तय किया।
इसमें से ₹13,200 राशि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से वहन की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पंजाब सरकार राहत के लिए केंद्र या अन्य एजेंसियों पर निर्भर नहीं है।
सबसे बड़ी बात — मुआवज़ा वितरण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन पारदर्शी पोर्टल के ज़रिए की गई।
हर किसान का विवरण डिजिटली सत्यापित कर राशि सीधे उनके बैंक खातों में भेजी गई।
इससे यह सुनिश्चित हुआ कि हर पात्र किसान को उसका हक़ बिना किसी देरी या भ्रष्टाचार के मिले।
सरकार ने अजनाला क्षेत्र के 52 गांवों में ₹5 करोड़ से अधिक का मुआवज़ा पहले ही वितरित कर दिया है।
मुख्यमंत्री मान ने कहा, “पंजाब का किसान इस सरकार के लिए सिर्फ वोटर नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा है। जब किसान संकट में होता है, सरकार को उसके साथ खड़ा होना चाहिए — और यही हमने किया है।”
घरों और मवेशियों के नुकसान की भरपाई में भी तेजी
केवल फसल ही नहीं, बल्कि बाढ़ में क्षतिग्रस्त घरों और पशुधन के नुकसान का भी पूरा आकलन किया गया।
राज्य सरकार ने 30,806 घरों का सर्वे पूरा कर लिया है।
आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए मुआवज़ा ₹6,500 से बढ़ाकर ₹40,000 कर दिया गया।
जिन परिवारों ने बाढ़ में अपने परिजनों को खोया, उन्हें ₹4 लाख की सहायता राशि प्रदान की गई।
पशुधन और पोल्ट्री के नुकसान की भरपाई भी तय कर दी गई है, ताकि कोई भी ग्रामीण परिवार आर्थिक रूप से टूट न जाए।
यह व्यापक दृष्टिकोण दर्शाता है कि पंजाब सरकार राहत कार्य को केवल ‘फसल क्षति’ तक सीमित नहीं रख रही, बल्कि इसे ‘परिवार पुनर्वास अभियान’ के रूप में देख रही है।
‘जिसका खेत, उसकी रेत’: खेतों को फिर से उपजाऊ बनाने की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री मान ने बाढ़ प्रभावित जमीन को फिर से खेती योग्य बनाने के लिए ‘जिसका खेत, उसकी रेत’ नीति की शुरुआत की है।
इस मिशन के तहत स्थानीय किसानों की मदद से नदी तटों की मरम्मत, जल निकासी और मिट्टी सुधार कार्य तेजी से चल रहे हैं।
सरकार ने यह भी कहा कि बाढ़ से नष्ट हुई कृषि भूमि को ‘फिर से जीवन देने’ के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता दी जाएगी।
इससे किसानों को अगली फसल सीज़न से पहले अपनी ज़मीन पर दोबारा खेती शुरू करने में मदद मिलेगी।
‘मिशन चढ़दीकला’: पुनर्वास और पुनर्निर्माण का संकल्प
बाढ़ से प्रभावित गांवों को दोबारा खड़ा करने के लिए पंजाब सरकार ने ‘मिशन चढ़दीकला’ की शुरुआत की है —
एक ऐसा मिशन जो पंजाब की परंपरागत जिजीविषा और आत्मबल का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “पंजाबियत का मतलब ही है मुश्किल में साथ खड़ा रहना। जब हमारे गांव संकट में हैं, तो यह सरकार केवल आश्वासन नहीं देती, बल्कि काम करके दिखाती है।”
उन्होंने आश्वासन दिया कि दिवाली से पहले सभी पात्र किसानों और परिवारों को मुआवज़ा राशि मिल जाएगी — ताकि वे त्योहार बिना आर्थिक चिंता के मना सकें।
विपक्ष की आलोचना और सरकार का जवाब: ‘हमने वादे नहीं, काम किया है’
जहां विपक्ष ने बाढ़ प्रबंधन और राहत वितरण पर सवाल उठाए, वहीं राज्य सरकार ने आंकड़ों और काम से जवाब दिया।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, राहत वितरण में किसी भी स्तर पर देरी या भेदभाव की कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया कि “किसानों के बैंक खातों में राशि के ट्रांसफर का प्रमाण सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध है”, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भगवंत मान सरकार का यह कदम न केवल पंजाब की प्रशासनिक कार्यशैली में बदलाव का संकेत है, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी “रिलीफ़ रिस्पॉन्स मॉडल” बन सकता है।
कृषि विशेषज्ञों की राय: ‘देश के लिए नज़ीर बनेगा पंजाब मॉडल’
कृषि अर्थशास्त्रियों ने पंजाब सरकार की इस पहल को ‘कृषि आपदा प्रबंधन का मॉडल उदाहरण’ बताया है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. बलदेव सिंह का कहना है —
“यह पहली बार हुआ है कि किसी राज्य सरकार ने इतनी त्वरित और डिजिटल रूप से पारदर्शी राहत प्रक्रिया अपनाई। यह आने वाले वर्षों में आपदा प्रबंधन की दिशा तय कर सकता है।”
‘किसान कभी अकेला नहीं रहेगा’: मान सरकार का वादा
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने संबोधन में कहा,
“पंजाब का किसान इस सरकार की रीढ़ है। जब खेतों में पानी आया, तब हम सड़कों पर नहीं, किसानों के बीच खड़े थे। जब खेत सूखेंगे, तब भी सरकार वहीं होगी।”
उन्होंने कहा कि यह राहत योजना केवल एक प्रशासनिक उपलब्धि नहीं, बल्कि किसानों के प्रति सरकार की भावनात्मक प्रतिबद्धता है।
“किसान अगर मुस्कुराएगा, तभी पंजाब तरक्की करेगा — और यही हमारी सबसे बड़ी जीत है।”
भरोसे का नया अध्याय
30 दिनों में मुआवज़ा वितरण, पारदर्शी पोर्टल, अतिरिक्त सहायता, और जमीनी स्तर पर त्वरित कार्यवाही —
इन सबने मिलकर ‘पंजाब मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस’ को फिर एक बार सुर्खियों में ला दिया है।
दिवाली से पहले किसानों को मिली राहत केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि उस भरोसे की पुनर्स्थापना है,
जिसकी प्रतीक्षा किसान बरसों से करते आए थे।
पंजाब ने एक बार फिर दिखाया है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक संवेदनशीलता साथ आती है,
तो राहत केवल फाइलों में नहीं, लोगों के चेहरों पर मुस्कान बनकर नज़र आती है।