चंडीगढ़। पंजाब में मानसिक स्वास्थ्य और नशा-निवारण को लेकर बुधवार को एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने देश के पहले सरकारी ‘लीडरशिप इन मेंटल हेल्थ प्रोग्राम’ (LMHP) को लॉन्च करके यह साफ संदेश दिया कि राज्य की “युद्ध नशे विरुद्ध” मुहिम अब एक वैज्ञानिक, संगठित और जनसमर्थित अभियान का रूप ले रही है। यह कार्यक्रम न सिर्फ पंजाब, बल्कि पूरे भारत के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल बनने जा रहा है।
एम्स मोहाली और टीआईएसएस मुंबई की साझेदारी में तैयार यह दो वर्षीय फेलोशिप राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और नशा-निवारण के लिए सिस्टमेटिक, कम्युनिटी-बेस्ड और सस्टेनेबल ढांचा विकसित करेगी। पंजाब के 23 जिलों में इस पहल को चरणबद्ध रूप से लागू किया जाएगा।
35 विशेषज्ञों की टीम तैयार—युवा फेलोज बनेंगे ‘परिवर्तन के वाहक’
सरकार 35 ऐसे युवा प्रोफेशनल्स का चयन कर रही है, जिन्होंने साइकोलॉजी, सोशल वर्क या मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिग्री और प्रैक्टिकल अनुभव प्राप्त किया है। ये फेलो पंजाब के गांवों, कस्बों, स्कूलों, कॉलेजों, समुदायिक केंद्रों और रिहैब सुविधाओं में जाकर काम करेंगे।
उनकी भूमिका तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित होगी—
1. रोकथाम (Prevention)
स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में मानसिक मजबूती, नशा-निवारण जागरूकता और व्यवहारिक स्वास्थ्य पर कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
2. उपचार (Treatment)
स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों, रिहैब केंद्रों और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर व्यसन उपचार और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ बनाया जाएगा।
3. पुनर्वास (Rehabilitation)
नशे से उबर चुके युवाओं और परिवारों को फिर से समाज और रोजगार से जोड़ने के लिए आधुनिक, मानवीय और वैज्ञानिक मॉडल विकसित किए जाएंगे।
टीआईएसएस मुंबई देगी फेलोज को नेतृत्व और फील्ड ट्रेनिंग
भगवंत मान सरकार ने स्पष्ट किया कि इस लड़ाई में केवल पुलिस, प्रशासन और कानून व्यवस्था ही पर्याप्त नहीं। नशे से प्रभावी लड़ाई के लिए समाज का मन मजबूत रखना जरूरी है।
इसी सोच के तहत—
- फेलोज को टीआईएसएस मुंबई द्वारा विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी
- उन्हें मेंटॉरशिप, फील्ड लीडरशिप और कम्युनिटी इंटरवेंशन जैसी स्किल्स सिखाई जाएंगी
- हर फेलो को ₹60,000 प्रति माह सम्मानजनक रिम्यूनरेशन मिलेगा, ताकि वे आर्थिक तनाव से मुक्त होकर ज़मीन पर काम कर सकें
यह भारत में पहली बार है कि राज्य सरकार मानसिक स्वास्थ्य को लेकर इतना व्यापक और नेतृत्व-आधारित ढांचा तैयार कर रही है।
“नशे से लड़ाई बयान नहीं, जमीनी संघर्ष है”—सीएम भगवंत मान
कार्यक्रम लॉन्च के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा—
“नशा सिर्फ कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि समाज की मानसिक मजबूती का सवाल है। यह लड़ाई मैदान में, परिवारों के भीतर और युवाओं के बीच लड़ी जानी है। पंजाब इस जंग को वैज्ञानिक और मानवीय तरीकों से लड़ेगा।”
उन्होंने कहा कि इस पहल के जरिए राज्य नशे से लड़ाई को अभियान से आंदोलन के स्तर पर ले जाने जा रहा है।
मान ने यह भी कहा कि यह कार्यक्रम पंजाब की आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षा कवच साबित होगा, और यह दिखाएगा कि सरकारें चाहें तो सिस्टम बदल सकती हैं, सिर्फ नारे नहीं।
एक ऐसा मॉडल जिसकी कल्पना भारत ने पहले नहीं की
मानसिक स्वास्थ्य और नशा-निवारण को एक साथ जोड़कर काम करना भारत में पहली बार हो रहा है।
यह मॉडल—
- वैज्ञानिक,
- कम्युनिटी-सेंट्रिक,
- मानवीय, और
- दीर्घकालिक
बताया जा रहा है।
फेलोज गांवों और कस्बों में सीधे परिवारों से जुड़ेंगे। वे मनोवैज्ञानिक परामर्श, व्यवहारिक सुधार, नशा-रोधी जागरूकता, युवा सहायता समूह, स्कूल कैंपेन, और समुदायिक हस्तक्षेप जैसे नवाचार कार्यक्रम तैयार करेंगे।
पंजाब के दिल की धड़कन—जन आंदोलन की ओर बढ़ता कदम
नशा लंबे समय से पंजाब की नसों में एक महामारी की तरह फैल रहा था, लेकिन इस कार्यक्रम ने पहली बार इस समस्या की जड़—मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबाव—पर काम शुरू किया है।
यह कार्यक्रम संकेत देता है कि पंजाब अब
- विशेषज्ञों,
- वैज्ञानिकों,
- मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों,
- सामाजिक कार्यकर्ताओं
के साथ एक व्यापक मोर्चा खोल चुका है।
यह केवल एक फेलोशिप नहीं, बल्कि पंजाब के आने वाले भविष्य में बड़े निवेश जैसा कदम है।
7 दिसंबर तक आवेदन खुले
फेलोशिप के लिए आवेदन 7 दिसंबर तक खुले हैं। इच्छुक उम्मीदवार टीआईएसएस मुंबई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं—
सरकार का मानना है कि यह कार्यक्रम पंजाब के युवाओं को नशा-रहित, सुरक्षित, स्वस्थ और स्वाभिमानी भविष्य की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
नशामुक्त पंजाब—अब लक्ष्य नहीं, अभियान है
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह पहल पंजाब को भारत में नशा-निवारण और मानसिक स्वास्थ्य दोनो क्षेत्रों में एक लीडर स्टेट बना सकती है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की पहल ने यह दिखा दिया है कि सही नीयत और मजबूत योजना के साथ सरकारें सिर्फ कानून नहीं बनातीं—वे समाज को बदल देती हैं।



