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चंडीगढ़ में कानून बनाने का अधिकार राष्ट्रपति को देने की तैयारी: केंद्र लाएगा नया विधेयक, विपक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति

नई दिल्ली। केंद्र सरकार चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में बड़ी संरचनात्मक बदलाव की ओर बढ़ रही है। सरकार संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में चंडीगढ़ को शामिल करने के लिए एक विधेयक आगामी शीतकालीन सत्र में संसद के समक्ष पेश करने की तैयारी में है। यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो चंडीगढ़ उन संघ शासित क्षेत्रों की सूची में शामिल हो जाएगा, जहां राष्ट्रपति सीधे विनियम और कानून बना सकेंगे।

यह व्यवस्था फिलहाल लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह, दादरा एवं नगर हवेली तथा नागर हवेली-दमन और दीव जैसे कुछ केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है।


क्या बदलेगा? स्वतंत्र प्रशासक की नियुक्ति की खुल जाएगी राह

विधेयक पारित होने के बाद चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक (Administrator) नियुक्त किए जाने का मार्ग खुल सकता है।
वर्तमान में चंडीगढ़ के प्रशासक की भूमिका पंजाब के राज्यपाल निभाते हैं। परंतु पुराने ढांचे—जब चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र मुख्य सचिव होता था—की तरह प्रशासनिक स्वायत्तता बहाल करने पर केंद्र विचार कर रहा है।

यह बदलाव चंडीगढ़ के प्रशासन और शासन संरचना को मौजूदा मॉडल से अलग कर सकता है और UT को अधिक केंद्रीकृत प्रशासनिक ढांचे की ओर ले जाएगा।


विपक्ष में तीखी प्रतिक्रिया: केंद्र पर “एकतरफा निर्णय” का आरोप

केंद्र के प्रस्ताव पर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (SAD) और आम आदमी पार्टी (AAP) ने कड़ी आपत्ति जताई है। विपक्षी दलों का आरोप है कि—

  • चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में इतना बड़ा बदलाव बिना जनता से सलाह के किया जा रहा है।
  • यह कदम पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों के हितों को प्रभावित करेगा।
  • केंद्र सरकार “संघीय ढांचे को कमजोर” कर रही है।

कांग्रेस का रुख

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि चंडीगढ़ ऐतिहासिक, भौगोलिक और प्रशासनिक रूप से पंजाब व हरियाणा से जुड़ा है। ऐसे में केंद्र को राज्य सरकारों से विस्तृत चर्चा करनी चाहिए थी।

शिरोमणि अकाली दल की आपत्ति

SAD ने इस प्रस्ताव को “पंजाब के अधिकारों की अनदेखी” बताया और कहा कि चंडीगढ़ पर किसी भी संरचनात्मक निर्णय के लिए पंजाब विधानसभा की सहमति आवश्यक है।

AAP का आरोप

AAP नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार “लोकतांत्रिक परामर्श की प्रक्रिया को दरकिनार कर रही है” और चंडीगढ़ के निवासियों के अधिकार सीमित किए जा रहे हैं।


सरकार का तर्क: “प्रशासनिक पारदर्शिता और सुशासन”

केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार, अनुच्छेद 240 के तहत राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए विनियम—

  • नीतिगत स्पष्टता प्रदान करते हैं
  • कानून निर्माण की प्रक्रिया तेज करते हैं
  • UT प्रशासन को केंद्र के साथ अधिक समन्वित करते हैं

सरकार का मानना है कि चंडीगढ़, जो पंजाब और हरियाणा दोनों का संयुक्त राजधानी शहर है, वहां शासन व्यवस्था को अधिक सुसंगत, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है।


अनुच्छेद 240 क्या कहता है?

अनुच्छेद 240 राष्ट्रपति को विशेष अधिकार देता है, जिसके तहत वह कुछ केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सीधे—

  • विनियम (Regulations)
  • कानून
  • प्रशासनिक ढांचे से जुड़े प्रावधान

बना सकते हैं। इनका प्रभाव संसद द्वारा बने कानून के समान होता है। चंडीगढ़ को इस अनुच्छेद में शामिल करना, UT को “विशेष प्रशासनिक श्रेणी” प्रदान करने जैसा होगा।


राजनीतिक और कानूनी बहस तेज

भारतीय संघीय ढांचे से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम—

  • चंडीगढ़ की प्रशासनिक स्वायत्तता
  • पंजाब–हरियाणा संबंध
  • केंद्र–राज्य शक्ति संतुलन

तीनों पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है। संसद के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक पर बड़ा राजनीतिक टकराव देखने की संभावना है।

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