
फतेहपुर, 17 अक्टूबर 2025। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की पीट-पीटकर हत्या के बाद अब यह मामला राजनीतिक सियासत का केंद्र बन गया है। शुक्रवार को कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हरिओम वाल्मीकि के परिजनों से मुलाकात करने के लिए फतेहपुर जिले के उनके पैतृक गांव पहुंचे, लेकिन परिवार ने उनसे मिलने से स्पष्ट इनकार कर दिया।
राहुल गांधी की यात्रा से पहले ही गांव के मुख्य द्वार और दीवारों पर पोस्टर चिपकाए गए थे, जिन पर लिखा था —
“दर्द को मत भुनाओ, वापस जाओ… गिद्ध बनकर मंडराते हो, नफरत फैलाते हो!”
इन पोस्टरों ने राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है। ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि इस घटना को लेकर राजनीतिक दलों द्वारा बार-बार किए जा रहे दौरे से परिवार की पीड़ा और बढ़ रही है।
परिवार ने कहा — “सरकार ने की मदद, अब राजनीति नहीं चाहते”
हरिओम वाल्मीकि के परिजनों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें न्याय और सहयोग दोनों मिला है।
परिवार की ओर से बताया गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जिला प्रशासन ने तत्काल राहत प्रदान की है। प्रशासन की पहल पर मृतक की बहन कुसुम देवी को अमर शहीद जोधा सिंह अटैया ठाकुर दरियाव सिंह चिकित्सा महाविद्यालय (फतेहपुर मेडिकल कॉलेज) में आउटसोर्स स्टाफ नर्स के रूप में नियुक्त किया गया है।
परिवार ने कहा कि उन्हें अब किसी राजनीतिक दल की संवेदना नहीं चाहिए, बल्कि वे चाहते हैं कि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और शीघ्र पूरी हो। परिवार के एक सदस्य ने कहा —
“हमारी तकलीफ को राजनीतिक मंच नहीं बनाना चाहिए। सरकार ने मदद दी है और पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया है। अब हमें शांति चाहिए।”
रायबरेली में हुई थी दर्दनाक घटना
मामला रायबरेली के गदागंज थाना क्षेत्र के मखदूमपुर गांव का है, जहां 10 अक्टूबर को दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की भीड़ ने चोर समझकर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। घटना ने राज्यभर में गुस्सा और संवेदना की लहर पैदा कर दी थी।
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए इस मामले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इनमें
- शिवप्रसाद अग्रहरि (निवासी: मखदूमपुर, रायबरेली),
- लल्ली पासी, आशीष पासी (निवासी: तुल्ला पट्टी मजरा दौलतपुर, ऊंचाहार),
- सुरेश गुप्ता (निवासी: सरायं मुगल राही, मिल एरिया थाना)
सहित कई अन्य शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार, जांच में पाया गया कि भीड़ ने हरिओम को चोर समझ लिया और बिना पुष्टि के उसकी बेरहमी से पिटाई की, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
राहुल गांधी की यात्रा पर प्रशासन और सियासत दोनों सक्रिय
राहुल गांधी के फतेहपुर आगमन को देखते हुए प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए थे। उनके काफिले के पहुंचने से पहले गांव के आसपास अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था।
राहुल गांधी ने मीडिया से कहा कि “हरिओम की मौत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदना की हत्या है। न्याय और संवेदना राजनीति से ऊपर होनी चाहिए।”
हालांकि, जब वे परिवार के घर पहुंचे तो परिजनों ने मिलने से इनकार कर दिया।
गांव में पहले से मौजूद स्थानीय लोगों ने उनके खिलाफ पोस्टर प्रदर्शन कर कहा कि नेताओं का यहां आना सिर्फ “राजनीतिक स्टंट” है। कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विभिन्न दल इस घटना को चुनावी प्रचार का हिस्सा बना रहे हैं।
प्रशासन की ओर से त्वरित कार्रवाई और राहत
रायबरेली जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तत्काल आर्थिक सहायता और रोजगार मुहैया कराने की कार्रवाई की।
डीएम रायबरेली और पुलिस अधीक्षक ने संयुक्त रूप से पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी और यह आश्वासन दिया था कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार,
- 13 आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है,
- घटना की जांच के लिए विशेष टीम (SIT) गठित की गई है,
- और दलित उत्पीड़न अधिनियम के तहत कठोर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप
घटना के बाद से ही प्रदेश में राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हो गई है।
कांग्रेस और सपा ने राज्य सरकार पर “दलितों की सुरक्षा में विफलता” का आरोप लगाया, जबकि भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा कि “सरकार ने तत्परता से कार्रवाई कर यह साबित किया है कि कानून सबके लिए समान है।”
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा —
“कांग्रेस सिर्फ तस्वीरें खिंचवाने और घटनाओं को भुनाने आती है। लेकिन इस बार परिवार ने खुद बता दिया कि उन्हें किसी सियासी तमाशे की ज़रूरत नहीं।”
वहीं, कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा कि राहुल गांधी का उद्देश्य “संवेदना जताना और न्याय प्रक्रिया पर निगरानी रखना” था, न कि राजनीति करना।
सामाजिक संगठनों ने अपील की — ‘पीड़ित परिवार की गोपनीयता का सम्मान करें’
घटना पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और दलित संगठनों ने कहा कि इस प्रकार की संवेदनशील घटनाओं को राजनीतिक मंच नहीं बनाना चाहिए।
डॉ. मनीषा वाल्मीकि, जो लखनऊ स्थित “दलित अधिकार मंच” की अध्यक्ष हैं, ने कहा —
“हरिओम की मौत समाज की सामूहिक असफलता का परिणाम है। ऐसे समय में नेताओं को नहीं, बल्कि न्यायिक तंत्र को बोलना चाहिए।”
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे पीड़ित परिवार की गोपनीयता और मानसिक स्थिति का सम्मान करें।
सियासी हलचल के बीच न्याय प्रक्रिया जारी
फतेहपुर और रायबरेली के इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि संवेदनशील सामाजिक मुद्दों पर राजनीति की सीमा कहाँ तक होनी चाहिए?
जहां एक ओर राहुल गांधी की उपस्थिति ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा, वहीं दूसरी ओर परिवार के इनकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि पीड़ितजन अब “राजनीति नहीं, समाधान” चाहते हैं।
सरकारी स्तर पर जांच और न्यायिक प्रक्रिया जारी है, जबकि राजनीतिक दलों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में इस घटना का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव कितना गहरा पड़ेगा।