
नई दिल्ली | बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर देश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों के हंगामे के बीच, ‘इंडिया’ गठबंधन ने संसद परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला और कहा कि “सत्ता बदलेगी, चुनाव आयोग को यह याद रखना चाहिए।”
संसद परिसर में विपक्षी एकजुटता, कूड़ेदान में डाले SIR पोस्टर
विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन करते हुए SIR को ‘लोकतंत्र पर हमला’ करार दिया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), डीएमके, समाजवादी पार्टी, वाम दलों और झामुमो समेत कई दलों के वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
प्रदर्शन के दौरान नेताओं ने एक प्रतीकात्मक कूड़ेदान में SIR लिखे पोस्टर फाड़कर फेंके। हाथों में ‘SIR: लोकतंत्र पर वार’ लिखे बैनर थे, और नारे गूंज रहे थे — ‘SIR वापस लो’, ‘तानाशाही नहीं चलेगी’।
TMC-कांग्रेस एक सुर में, ‘बंगाल अगला निशाना’
इस मुद्दे पर जहां आमतौर पर अलग-अलग खेमों में दिखने वाले विपक्षी दल एक साथ खड़े नजर आए, वहीं TMC ने इसे बंगाल पर हमले की भूमिका बताया। पार्टी सांसद सुष्मिता देव ने आरोप लगाया कि बिहार के बाद केंद्र सरकार की नजर बंगाल पर है, और कहा कि “ये लोग दीदी को हराने के लिए बंगाल में आएंगे।”
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भी आशंका जताई कि “अब तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी SIR के नाम पर हस्तक्षेप होगा। इसलिए लोकतंत्र को बचाने के लिए हम सब एकजुट हैं।”
भाजपा का पलटवार: “SIR नहीं, घुसपैठ पर वार है”
वहीं पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि,
“TMC ने लाखों बांग्लादेशी और रोहिंग्या को वोटर बना दिया है। हमने चुनाव आयोग को 17 लाख फर्जी मतदाताओं की सूची सौंपी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, और भाजपा की लड़ाई घुसपैठ के खिलाफ है, न कि किसी विशेष समुदाय से।
राजनीति या प्रक्रिया? SIR बना राष्ट्रव्यापी बहस का केंद्र
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया को लेकर संसद के भीतर और बाहर चल रही तनातनी अब राष्ट्रव्यापी राजनीतिक बहस में बदल चुकी है। विपक्ष का मानना है कि यह कदम संविधान और चुनावी स्वतंत्रता के खिलाफ है, जबकि भाजपा इसे मतदाता सूची की शुद्धता के लिए जरूरी बता रही है।
🟩 क्या है SIR विवाद का मूल?
SIR (Special Intensive Revision) चुनाव आयोग द्वारा चुनावी सूची के सत्यापन की विशेष प्रक्रिया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इसका उपयोग राजनीतिक टारगेटिंग और विपक्ष शासित राज्यों में हस्तक्षेप के लिए किया जा रहा है। वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि यह नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है।
⏭️ अब क्या?
अब नजर सोमवार पर टिकी है जब संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की जा रही है। यदि चर्चा को मंजूरी मिलती है, तो यह मानसून सत्र की सबसे बड़ी बहस बन सकती है।
🔴 यह रिपोर्ट संसद संवाददाता और विभिन्न विपक्षी दलों के बयानों पर आधारित है। चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया आने पर खबर को अपडेट किया जाएगा।