
श्रीनगर/नई दिल्ली : पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों पर भारत द्वारा की गई मिसाइल और ड्रोन हमलों की जवाबी कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने श्रीनगर में एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष (Central Control Room) की स्थापना की है। यह कदम ऑपरेशन सिंदूर की संवेदनशील पृष्ठभूमि में तेजी से बदलते हालात पर निगरानी रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
श्रीनगर के उपायुक्त कार्यालय में स्थापित यह नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे काम करेगा। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की निगरानी में यह कक्ष विभिन्न विभागों के बीच समन्वय, घटनाओं की रियल-टाइम ट्रैकिंग और सूचनाओं के त्वरित संप्रेषण के लिए केंद्रीय केंद्र के रूप में कार्य करेगा। इसके साथ ही यह आम नागरिकों के लिए शिकायत निवारण मंच के रूप में भी कार्य करेगा।
जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार, कश्मीर के 10 जिलों में इसी तरह के नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं।
सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द
परिस्थितियों की गंभीरता को देखते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार ने सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि वे किसी भी कर्मचारी को सामान्य स्थिति में छुट्टी न दें। केवल अत्यावश्यक और असाधारण परिस्थितियों में ही छुट्टियां स्वीकृत की जाएंगी।
भारतीय सेना की सुनियोजित और संतुलित कार्रवाई
भारत की यह सैन्य कार्रवाई, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया है, 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के प्रतिशोध में की गई। इस हमले में निर्दोष तीर्थयात्रियों की जान गई थी। इसके जवाब में 6-7 मई की रात, भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने 25 मिनट तक चली एक सर्जिकल और टारगेटेड ऑपरेशन में पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी अड्डों को निशाना बनाया।
सेना के अनुसार, जिन ठिकानों पर हमले किए गए उनमें शामिल हैं:
-
मुरीदके (लाहौर): लश्कर-ए-तैयबा का मरकज़ तैयबा
-
बहावलपुर: जैश-ए-मोहम्मद का मरकज़ सुभान अल्लाह
-
सियालकोट: हिजबुल मुजाहिदीन की महमूना जोया फैसिलिटी
-
बरनाला: मरकज़ अहले हदीस
-
मुज़फ्फराबाद (पीओके): लश्कर का शावाई नाला शिविर
भारत की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय समर्थन
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भारत की इस सैन्य कार्रवाई को “संवेदनशील, अनुपातिक और जिम्मेदार” बताया। उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस वक्तव्य के अनुरूप है, जिसमें पहलगाम हमले के दोषियों और उनके समर्थकों को जवाबदेह ठहराने की बात कही गई थी।
मिसरी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान द्वारा पीओके में आतंकी ढांचे के खिलाफ कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण भारत को यह कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना पड़ा।