
देहरादून, 14 अक्टूबर: उत्तराखंड में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के सरकार के संकल्प को एक और बड़ा आयाम देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को दून मेडिकल कॉलेज, पटेलनगर में आयोजित भव्य कार्यक्रम के दौरान 1456 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। इनमें 109 समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी (लोक सेवा आयोग से चयनित) और 1347 सहायक अध्यापक (एल.टी.) (उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से चयनित) शामिल हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने सभी नव-नियुक्त अभ्यर्थियों को बधाई देते हुए कहा कि “यह दिन आपके जीवन का केवल एक पड़ाव नहीं, बल्कि उत्तराखंड के उज्ज्वल भविष्य की नींव है।” उन्होंने कहा कि युवाओं की ऊर्जा, निष्ठा और समर्पण ही किसी राज्य की वास्तविक पूंजी होती है। सरकार की कोशिश है कि हर पात्र युवक-युवती को उसकी योग्यता के अनुरूप अवसर मिले।
“शासन की आत्मा है प्रशासन” – सीएम धामी
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी राज्य की सफलता उसके प्रशासनिक तंत्र की मजबूती पर निर्भर करती है। सचिवालय को उन्होंने शासन का “मस्तिष्क” बताया — जहाँ नीतियां बनती हैं, निर्णय लिए जाते हैं और विकास योजनाओं का खाका तैयार होता है।
उन्होंने कहा कि समीक्षा अधिकारी इस पूरी प्रणाली के संचालन में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं, जिनकी दक्षता और निष्पक्षता से शासन व्यवस्था प्रभावी होती है।
शिक्षकों की भूमिका पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि “जब एक बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलती है, तो वह न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाता है बल्कि समाज और देश के लिए भी प्रेरणा बनता है।” उन्होंने नवनियुक्त सहायक अध्यापकों से अपेक्षा की कि वे विद्यार्थियों में देशप्रेम, अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना का संचार करें।
शिक्षा में सुधार और तकनीकी प्रगति की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए निरंतर कार्यरत है।
विद्यालयों में डिजिटलीकरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार, और नई तकनीक के समावेशन पर तेजी से काम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित न रहे, बल्कि युवाओं को कौशल आधारित ज्ञान मिले जिससे वे रोजगार सृजनकर्ता बनें।
26 हजार से अधिक युवाओं को मिली सरकारी नौकरी
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले चार वर्षों में राज्य में 26,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है — यह संख्या राज्य के गठन के बाद पूर्ववर्ती सरकारों के संयुक्त कार्यकाल की तुलना में दो गुना से भी अधिक है। उन्होंने कहा कि अब भर्ती प्रक्रियाएँ पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और मेरिट आधारित हैं।
धामी ने उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में हरिद्वार परीक्षा केंद्र में नकल के एक मामले में सरकार ने तुरंत एक्शन लिया — आरोपी को गिरफ्तार किया गया, एसआईटी जांच गठित की गई और सीबीआई जांच की संस्तुति भी दी गई। उन्होंने कहा, “हम युवाओं के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। पारदर्शिता और न्याय हमारी प्राथमिकता है।”
स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री धामी ने एक बार फिर दोहराया कि 10 करोड़ रुपये तक के सरकारी कार्यों में स्थानीय युवाओं और उद्यमियों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य का विकास तभी संभव है जब यहाँ का युवा अपने ही राज्य की परियोजनाओं में भागीदार बने।
शिक्षा मंत्री का बड़ा ऐलान: नई भर्तियाँ जल्द
कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा विभाग में नियुक्तियों का सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा। उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही बीआरपी, सीआरपी, बेसिक अध्यापक और चतुर्थ श्रेणी पदों पर भी नियुक्तियाँ दी जाएँगी। उन्होंने कहा कि सभी नवनियुक्त अध्यापकों को प्रारंभिक वर्षों में दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देना अनिवार्य होगा, ताकि राज्य के दूरस्थ गाँवों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँच सके।
“युवाओं की मेहनत रंग ला रही है”
कार्यक्रम में उपस्थित राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और विधायक विनोद चमोली ने भी नवनियुक्त अभ्यर्थियों को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खुल रहे हैं। आज राज्य में भर्ती प्रक्रियाएँ भरोसेमंद और पारदर्शी हैं, जिससे युवा निश्चिंत होकर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
कार्यक्रम में मौजूद रहे अधिकारीगण
इस अवसर पर सचिव रविनाथ रमन, दीपेन्द्र चौधरी, तथा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि नई नियुक्तियों से जुड़े सभी प्रशासनिक कार्यों को शीघ्र और पारदर्शी तरीके से पूर्ण किया जाए।
राज्य सरकार के हालिया कदमों से यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड अब रोजगार सृजन और सुशासन के नए युग में प्रवेश कर चुका है। मुख्यमंत्री धामी की पारदर्शी भर्ती नीति, शिक्षा क्षेत्र में सुधार और स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की नीति ने राज्य के युवाओं में नई आशा और विश्वास का संचार किया है।
उत्तराखंड का लक्ष्य अब केवल नियुक्तियाँ देना नहीं, बल्कि “कुशल, जिम्मेदार और राष्ट्रप्रेमी मानव संसाधन तैयार करना” है — जो राज्य के विकास की असली धुरी बन सके।