पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी सादगी और गहरी समझ के लिए जाना जाता था। उनके कार्यकाल में कई ऐसे फैसले लिए गए, जिन्होंने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि भारत की वैश्विक पहचान को भी मजबूत किया। हालांकि उनकी शांत छवि के पीछे एक दृढ़ और दूरदर्शी नेता छिपा था, जिसने ऐसे कदम उठाए जिनकी चर्चा आज भी होती है। चाहे वह आर्थिक सुधार हो, विदेश नीति हो या सामाजिक कल्याण, उनके फैसले अक्सर चौंकाने वाले लेकिन दूरगामी प्रभाव वाले साबित हुए।
- शिक्षा का अधिकार कानून (2009)
यह कानून 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए बनाया गया। इसका मतलब है कि हर बच्चा स्कूल जा सकता है और शिक्षा प्राप्त कर सकता है। यह बच्चों के भविष्य को सुधारने और उनके अधिकारों को मजबूत करने का एक बड़ा कदम था।
- सूचना का अधिकार (2005)
यह कानून हर भारतीय को सरकारी दस्तावेज और जानकारी हासिल करने का हक देता है। इसका मतलब है कि लोग सरकार से सवाल पूछ सकते हैं और यह जान सकते हैं कि काम कैसे हो रहा है। इससे सरकार को ज्यादा पारदर्शी और जिम्मेदार बनाया गया।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (2013)
इस कानून के तहत गरीब परिवारों को सस्ते दामों पर अनाज मिलना शुरू हुआ। इसका मतलब है कि देश के जरूरतमंद लोग भूखे नहीं रहेंगे। यह कानून दो-तिहाई आबादी को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया था।
- भूमि अधिग्रहण कानून (2013)
इस कानून के जरिए, अगर किसी की जमीन विकास कार्यों के लिए ली जाती है, तो उन्हें इसका उचित मुआवजा दिया जाएगा। इससे किसानों और जमीन मालिकों के अधिकारों की रक्षा होती है।
- वन अधिकार कानून (2006)
यह कानून आदिवासी समुदायों को उनके जंगलों और जमीनों पर अधिकार देता है। इसका मतलब है कि वे अपनी परंपरागत जमीनों का इस्तेमाल कर सकते हैं और वहां रहने का हक रख सकते हैं।
- मनरेगा (2005)
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत, ग्रामीण परिवारों को साल में 100 दिन का काम मिलता है। इसका मकसद गांवों में बेरोजगारी को कम करना और लोगों को रोजगार देना है।