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नई दिल्ली : कृषि विज्ञान केंद्र को सूचना केंद्र के रूप में विकसित कर बहुउद्देशीय और बहुउपयोगी बनाना है: केंद्रीय मंत्री

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रबी अभियान 2024 के लिए कृषि पर एक दिन के राष्ट्रीय सम्मेलन का आज पूसा, नई दिल्ली में उद्घाटन किया। कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री  राम नाथ ठाकुर व श्री भागीरथ चौधरी, उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी, ओड़िशा के उपमुख्यमंत्री  कनक वर्धन, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री  सूर्य प्रताप शाही, अरुणाचल प्रदेश के कृषि मंत्री गेब्रियल डी. वांगसु ,गुजरात के राज्य कृषि मंत्री  बच्चूभाई मगनभाई खाबड़, पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां, सचिव (डीएआरई) और महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ हिमांशु पाठक, सचिव (उर्वरक), सचिव कृषि एवं किसान कल्याण विभाग डॉ. देवेश चतुर्वेदी सहित विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कृषि और किसान कल्याण विभाग ने रबी अभियान के लिए कृषि पर एक दिन के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

शिवराज सिंह चौहान ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा काम कोई साधारण काम नहीं है। कृषि विभाग का मतलब है देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले किसानों की जिंदगी कैसे बेहतर बने उसके प्रयास करना। उन्होंने कहा कि कृषि राज्य का विषय है। केंद्र सरकार हर संभव सहयोग करने का प्रयास करती है। केंद्र और राज्य दो अलग-अलग नहीं है हमारा संघीय ढांचा है, हम दोनों को ही मिलकर काम करना है। कृषि मंत्री के रूप में मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि कोई भी राज्य हो, सभी हमारे लिए बराबर हैं। हम किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करेंगे। केंद्र सरकार अकेले काम नहीं कर सकती है सभी मिलकर काम करेंगे, राज्यों के सहयोग की भी आवश्यकता होती है। इस सम्मेलन का संकल्प यही है कि हम मिलकर काम करेंगे। विभिन्न राज्यों से आए कृषि मंत्रियों को मैं आश्वस्त  करना चाहता हूं कि आपके अनेकों ठोस सुझाव हमें मिले हैं और अनेकों समस्यायें भी बताई हैं। मैं अधिकारियों से यह कहना चाहता हूं कि मंत्रियों ने जो समस्याएं रखी हैं उन पर ठोस परिणाम आने चाहिए। आपको चिट्ठी लिखकर व बात कर अवगत कराया जाएगा कि आपके सुझावों पर क्या कार्रवाई की गई है। राज्यों के मंत्रियों को अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए आमंत्रित किया है ताकि समस्याओं पर चर्चा की जा सके। अभी तक हम 17 राज्यों से बात कर चुके हैं और बाकी राज्यों के कृषि मंत्रियों व अधिकारियों को भी हम चर्चा के लिए बुला रहे हैं। किसानों से भी हर सप्ताह संवाद कर रहे हैं। किसानों व किसान संगठनों से प्राप्त राज्यों से संबंधित सुझावों को हम राज्यों को भेजते हैं और केंद्र के विषयों पर विभाग समाधान करते हैं।

 

चौहान ने कहा कि व्यावहारिक रूप से केंद्र और राज्यों के सामने अगर कोई समस्या आती है तो उसे पूरा करने में हम कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हर कैबिनेट में किसानों के हित में क्रांतिकारी फैसले लिए जा रहे हैं।  प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से कहा था कि तीसरे टर्म में तीन गुणी ज़्यादा शक्ति से काम करना चाहता हूं। कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी प्रण लिया कि अकेले प्रधानमंत्री ही तीन गुनी शक्ति से काम नहीं करेंगे बल्कि हम भी कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है। कृषि का भारतीय अर्थव्यवस्था में आज भी 18 से 19% तक का योगदान है और 55% से ज्यादा लोगों को कृषि ही रोजगार प्रदान कर रही है। कृषि ने  ही कोविड में भी भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित नहीं होने दिया। किसान की सेवा मेरे लिए भगवान की पूजा है और मैं दिन और रात इसे करने की कोशिश करूंगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने खेती के लिए 6 सूत्र तय किए हैं।

– उत्पादन बढ़ाना, इसके लिए अच्छे बीज चाहिए। नया बीज रिलीज तो हो गया लेकिन साइकिल ऐसी है कि तीन चार साल लग जाते हैं किसान तक पहुंचते-पहुंचते।

– सिंचाई की व्यवस्था चाहिए। खाद की उपलब्धता भी हो। जो फ़ीडबैक आया है, उसपर हमें चिंता से काम करना है।

– कैमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग हम कैसे कम करें, इस पर हमें धीरे-धीरे ध्यान देना होगा।

– ऑर्गेनिक और नेचुरल फ़ार्मिंग की ओर जब हम बढ़ेंगे, तब हम धीरे-धीरे इसका उपयोग भी कम कर लेंगे।

– खाद के लिए केंद्र के साथ राज्य जो भी ध्यान देना होगा। भारी सब्सिडी के बाद भी अव्यवस्था के कारण हमारा परिश्रम बेकार हो जाता है।

– उत्पादन की लागत घटाना हमारा दूसरा लक्ष्य है। पर हेक्टेयर ईल्ड तो बढ़े लेकिन लागत कैसे घटे, इस पर काम हो रहा है।

जो चीज हम तय करते हैं, वो कैसे किसान तक जाये, इसके लिए राज्यों का सहयोग चाहिए।

केन्द्रीय मंत्री  चौहान ने बताया कि कृषि चौपाल हम अगले महीने शुरू कर देंगे, इसमें किसान बैठेंगे और वैज्ञानिक बैठेंगे।

तीसरी चीज है उत्पाद के ठीक दाम देना। हम MSP बढ़ा रहे हैं। 2019 से तय हुआ कि उत्पादन की लागत पर 50%  जोड़कर मुनाफा देना है। खरीदी की भी प्रभावी व्यवस्था हो, इस पर काम हो रहा है।

हम दलहन और तिलहन के सबसे उत्पादन भी हैं लेकिन आयात भी हम करते हैं। इसका उत्पादन हमें बढ़ाना है, लेकिन किसान दाम भी देखेगा कि किसमें फायदा है।

हमने मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस की व्यवस्था खत्म की है, चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध को खत्म किया है। दालों की खरीद की व्यवस्था हमने की है। दालों की पूरी खरीदी होगी, किसन चिंता न करें। हम किसी राज्य में 25% से ज्यादा भी खरीदेंगे अगर जरूरत पड़ी तो। जो किसान सब्जी पैदा करते हैं, वो बेचते 5 रुपये में हैं और बाजार में 50 रुपये में मिलती है। ये गैप इतना नहीं होना चाहिए। हमने कमेटी बनाई है और बीच में जो पैसा जाता है, इसकी साइंटिफिक व्यवस्था बन रही है जिससे किसान को उसके हक का पैसा मिले।

उन्होंने बताया कि गाँव में टमाटर पैदा हुआ, यहाँ पर आते हुए उसके रेट बढ़ जाते हैं, बीच के ट्रांसपोर्टेशन के खर्च को अगर केंद्र राज्य मिलकर वहन कर लें तो शहर वाले को सस्ती सब्जी मिलेगी और किसान को बेहतर दाम मिल जायेगा। जल्दी खराब होने वाली फसलों विशेष कर सब्जियों को कैसे बचाया जा सके, इसके लिए कमेटी बनाई है। हमें कृषि का विविधीकरण करना है। कई बार किसी फसल का जरूरत से ज्यादा उत्पादन हो जाता है। राज्य और केंद्र एक प्रयोग करे, एक मॉडल फार्म कैसे बने। एक, दो या ढाई एकड़ जमीन में किसान कैसे खेती करे, इस पर काम हो। कई किसानों ने बताया है कि वो एक एकड़ में अच्छा कमा लेते हैं। अलग-अलग राज्यों में प्रयोग होना चाहिए। हमें परंपरागत खेती का स्वरूप बदलना होगा।

चौहान ने कहा कि भारत में इतने एग्रो-क्लाइमेटिक ज़ोन हैं कि भारत दुनिया का फूड बास्केट बन सकता है।  हम संवेदनशील बनें। किसानों को कई बार नुकसान हो जाता है, उस समय हमें किसानों के साथ खड़े होना है। फसल बीमा योजना का पैसा किसानों को समय पर मिल जाना चाहिए। लगातार रिव्यू हो जिससे अधिक से अधिक पैसे किसानों को मिलें। हमने 25 लाख नये किसान पीएम किसान सम्मान निधि योजना में जोड़े हैं। कृषि विज्ञान केंद्र का बेहतर उपयोग कैसे हो। ये एक जगह से कंट्रोल नहीं होते हैं, कुछ केंद्र ICAR चला रहा है और कुछ यूनिवर्सिटी चलाती हैं, कुछ राज्य चलाते हैं। इनमें बेहतर कोओर्डिनेशन होना चाहिए। कुछ राज्य KVK पर ध्यान नहीं देते हैं। इनको बहुउद्देशीय और बहुउपयोगी बनाना है। हमें FPOs को अर्थपूर्ण बनाना होगा।

उन्होंने कहा कि कृषि उन्नति योजना 1.20 लाख करोड़ रुपये की है, हमने इसे फ्लेकसीबल बनाया है। राज्य जैसे योजना बनाना हो, वैसे बना सकते हैं। सभी विषयों पर सम्मेलन में दिनभर चर्चा हुई है, यह केवल कर्मकांड न बने, हम संकल्प लेकर जाएँ। हमारे लक्ष्य तय हैं, उस पर काम करना है। खेती, कृषि वानिकी जैसे क्षेत्रों में KCC का उपयोग किया जा सकता है। चौहान ने कहा कि मेरा काम कर्मकांड नहीं किसान की जिंदगी बदलने का अभियान है, मेरा काम अन्न के भंडार भरना है और दुनिया को भी खिलाना है। 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य 341.55 मिलियन टन होगा लक्ष्य जब बड़ा होता है, तो उसकी पूर्ति का संकल्प भी बड़ा हो जाता है। अपने काम को बेहतर से बेहतर अंजाम देना होगा। कार्य संस्कृति बदलते ही बड़ा परिवर्तन आता है। हम आँकड़ेबाजी में न पड़ें। कई बार हम केवल आंकड़ों से स्थिति को बेहतर दिखाने की कोशिश करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके परिश्रम, टैलेंट, सोच, कर्मठता से जो हमने लक्ष्य तय किये हैं, उनको हम पूरा करेंगे।

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