
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) को लेकर एनडीए खेमे में सीट बंटवारे को लेकर चल रहा सस्पेंस अब लगभग खत्म हो गया है। एनडीए के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, सभी घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति बन चुकी है। अब गठबंधन की ओर से उम्मीदवारों की पहली सूची 13 अक्टूबर को जारी की जा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि इस बार सीटों के बंटवारे में किसी प्रकार का मतभेद नहीं है और भाजपा, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और आरएलएसपी के बीच बातचीत सकारात्मक रही है।
13 अक्टूबर को NDA की पहली सूची
एनडीए के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय हो चुका है और सभी घटक दलों के प्रमुख नेताओं के साथ इसे साझा भी किया जा चुका है। उम्मीद है कि 13 अक्टूबर को उम्मीदवारों की पहली संयुक्त सूची सार्वजनिक की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, जेडीयू ने भाजपा को अन्य सहयोगी दलों — चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास), जीतन राम मांझी की हम पार्टी और उपेंद्र कुशवाह की आरएलएसपी — से सीटों पर बातचीत करने का अधिकार दिया है। सभी दलों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई दौर की बैठकें हुईं जिनमें अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है।
बीजेपी का होमवर्क पूरा, अब अंतिम मुहर बाकी
बीजेपी ने इस बार चुनावी तैयारी बहुत व्यवस्थित ढंग से की है। पार्टी के राज्य संगठन ने सभी 243 विधानसभा सीटों पर ग्राउंड रिपोर्ट, स्थानीय समीकरण और उम्मीदवारों के फीडबैक का विश्लेषण कर लिया है।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने हर सीट के लिए तीन संभावित उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर लिया है। इनमें से अंतिम नाम पर मुहर दिल्ली में होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक में लगेगी।
बीजेपी का बिहार कोर ग्रुप 11 अक्टूबर को दिल्ली में बैठक करेगा, जिसमें राज्य नेतृत्व द्वारा तैयार रिपोर्ट और सीटवार पैनल को अंतिम रूप दिया जाएगा।
इसके बाद 12 अक्टूबर को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होने की संभावना है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।
CEC की मंजूरी के बाद उम्मीदवारों की सूची एनडीए के साझा बैनर तले जारी की जाएगी।
महागठबंधन में अभी भी असमंजस
जहां एनडीए ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय कर लिया है, वहीं विपक्षी महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वाम दल) में अभी भी बातचीत अंतिम चरण में नहीं पहुंची है।
राजद और कांग्रेस के बीच कुछ सीटों पर टकराव की खबरें आ रही हैं। कांग्रेस राज्य नेतृत्व ने कई पारंपरिक सीटों पर दावा जताया है, जबकि राजद का कहना है कि 2020 के चुनाव के नतीजों को आधार बनाकर ही बंटवारा होना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए का समय पर तालमेल तय होना संगठित चुनाव प्रचार रणनीति में बड़ा फायदा दे सकता है।
8.5 लाख अधिकारियों की तैनाती, आयोग ने कसी कमर
उधर, बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चुनाव आयोग ने भी बड़ा ऐलान किया है। आयोग ने बताया कि राज्य में निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए लगभग 8.5 लाख चुनाव अधिकारियों की तैनाती की जा रही है।
इनमें शामिल होंगे —
- 4.53 लाख मतदान कर्मी,
- 2.5 लाख पुलिस अधिकारी,
- 28,370 मतगणना कर्मी,
- 17,875 माइक्रो ऑब्जर्वर,
- 9,625 सेक्टर अधिकारी,
- मतगणना के दौरान 4,840 माइक्रो ऑब्जर्वर,
- और 90,712 आंगनवाड़ी सेविकाएं, जिन्हें मतदान केंद्रों पर सहायक कार्यों के लिए लगाया जा सकता है।
आयोग ने यह भी बताया कि इस बार EVM और VVPAT की तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की जाएगी। इसके साथ ही मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग और सीसीटीवी निगरानी की व्यापक व्यवस्था होगी।
केंद्रीय नेतृत्व से लेकर जमीनी कार्यकर्ता तक सक्रिय
बीजेपी ने इस बार न केवल उम्मीदवार चयन में बल्कि चुनावी प्रचार के खाके में भी बदलाव किया है।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने राज्य के सभी जिलों में थीम-बेस्ड प्रचार मॉडल तैयार किया है, जिसके तहत “विकास, सुशासन और स्थिरता” को मुख्य चुनावी मुद्दे के रूप में रखा जाएगा। वहीं जेडीयू की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपने प्रचार अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली है। वे जल्द ही राज्य के सभी संभागीय मुख्यालयों में “संपर्क यात्रा” की शुरुआत करेंगे।
चिराग, मांझी और कुशवाह की भूमिका अहम
एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान, हम प्रमुख जीतन राम मांझी और आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाह इस चुनाव में एनडीए के रणनीतिक घटक माने जा रहे हैं। भाजपा ने इन नेताओं के साथ लगातार संवाद बनाए रखा है ताकि किसी भी तरह का असंतोष न पनपे।
सूत्रों के अनुसार, कुछ सीटों पर आपसी समायोजन और प्रतीक चिह्न के मुद्दे पर चर्चा चल रही है, लेकिन बड़े पैमाने पर सहमति बन चुकी है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि बिहार में इस बार मुकाबला सीधा एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच है, लेकिन तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिशें भी पृष्ठभूमि में जारी हैं।
13 अक्टूबर से बदल जाएगा चुनावी समीकरण
जैसे ही 13 अक्टूबर को एनडीए उम्मीदवारों की सूची घोषित होगी, बिहार का राजनीतिक तापमान और बढ़ जाएगा। बीजेपी और जेडीयू के संयुक्त उम्मीदवारों के नाम सामने आने के बाद प्रचार अभियान को तेजी से आगे बढ़ाने की योजना है।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में बिहार में पहली चुनावी रैली कर सकते हैं, जबकि अमित शाह और जे.पी. नड्डा भी राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सभाएं करेंगे। राज्य में चुनावी शोर भले ही आधिकारिक रूप से अभी शुरू न हुआ हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। आने वाले दिनों में बिहार का चुनावी मैदान पूरी तरह गरमाने वाला है।