
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो) और बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के प्रभावी क्रियान्वयन और जागरूकता को लेकर शुक्रवार को एक ऑनलाइन राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया। इस वर्चुअल कार्यक्रम में केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों, पुलिस विभागों, राज्य बाल अधिकार आयोगों (एससीपीसीआर) और गैर सरकारी संगठनों समेत करीब 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एनसीपीसीआर की चेयरपर्सन सुश्री तृप्ति गुरहा ने कहा कि इन अधिनियमों की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक और व्यवस्थित जागरूकता जरूरी है। उन्होंने सभी हितधारकों से बाल अधिकारों की सुरक्षा में सहयोग की अपील की।
एनसीपीसीआर की सदस्य सुश्री प्रीति भारद्वाज दलाल ने पोक्सो अधिनियम से जुड़ी चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि जागरूकता, अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी और जमीनी स्तर पर शिविरों जैसे प्रयासों से इन चुनौतियों का समाधान संभव है। वहीं सदस्य डॉ. दिव्या गुप्ता ने बाल श्रम अधिनियम को लेकर कहा कि कानून के सफल क्रियान्वयन के लिए सूचना का प्रसार और जेंडर न्यूट्रल अप्रोच जरूरी है।
सदस्य सचिव डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि बाल अधिकारों के क्षेत्र में प्रगति के बावजूद अब भी कई मुद्दों पर ठोस कार्यवाही की आवश्यकता है। उन्होंने शिक्षा और प्रशिक्षण की निरंतरता पर बल दिया।
बैठक में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना, मेडिको-लीगल रिपोर्ट के लिए एक समान प्रारूप, पोक्सो के प्रावधानों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और स्कूल प्रबंधन समितियों को सशक्त करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
साथ ही, बाल पीड़ितों को समय पर मुआवज़ा, कानूनी सहायता की सुलभता और बाल श्रम मामलों में समन्वित पुनर्वास तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
बैठक का समापन एनसीपीसीआर के रजिस्ट्रार श्री राजेश कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।