
मुंबई | विशेष संवाददाता: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को जल्द ही एक और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का तोहफा मिलने वाला है। मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने पश्चिमी उपनगरों को बेहतर ढंग से जोड़ने के उद्देश्य से वर्सोवा-माध आइलैंड सी-लिंक परियोजना को हरी झंडी दे दी है। यह प्रस्तावित पुल मुंबई की ट्रैफिक समस्या के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
1.5 किमी लंबा पुल, 22 किमी की दूरी होगी कम
वर्तमान में वर्सोवा से माध आइलैंड पहुंचने के लिए लोगों को या तो 22 किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग तय करना पड़ता है या फेरी सेवा का सहारा लेना होता है। लेकिन इस पुल के निर्माण के बाद, यह सफर महज 1.5 किलोमीटर में सिमट जाएगा, जिसे 5 से 7 मिनट में तय किया जा सकेगा।
चार लेन का होगा पुल, पैदल और साइकिल चालकों के लिए अलग लेन
बीएमसी की योजना के अनुसार, यह पुल चार लेन वाला होगा और इसमें पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों के लिए अलग लेन भी विकसित की जाएगी। साथ ही, विशेष लाइटिंग, आपातकालीन सेवाएं, और सुरक्षा व्यवस्था जैसे पहलुओं को भी प्रमुखता दी जाएगी।
टेंडर जारी, निर्माण जल्द शुरू होने की उम्मीद
बीएमसी ने परियोजना के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है, और अधिकारियों का कहना है कि सभी आवश्यक अनुमोदन और पर्यावरणीय मंज़ूरी मिलने के बाद निर्माण कार्य समयबद्ध ढंग से शुरू किया जाएगा।
पर्यावरण और मछुआरों की चिंता
हालांकि परियोजना को लेकर कुछ पर्यावरणीय चिंताएं भी सामने आई हैं क्योंकि प्रस्तावित पुल समुद्री क्षेत्र और कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन (CRZ) के अंतर्गत आता है। स्थानीय मछुआरा समुदाय ने भी अपनी आजिविका पर पड़ने वाले संभावित असर को लेकर चिंता व्यक्त की है।
इस पर बीएमसी का कहना है कि—
“परियोजना को पर्यावरणीय और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा। मछुआरा समुदाय और पर्यावरणविदों की राय को प्राथमिकता दी जाएगी।”
परियोजना से टूरिज्म और लोकल इकॉनमी को मिलेगा बढ़ावा
अधिकारियों का मानना है कि यह पुल न केवल ट्रैफिक लोड को कम करेगा, बल्कि मुंबई के पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। माध आइलैंड जैसे इलाकों तक आसान पहुँच बनने से फिल्म शूटिंग, होमस्टे और रेस्टोरेंट सेक्टर को भी बढ़ावा मिलने की संभावना है।