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विश्वकर्मा जयंती पर CM पुष्कर सिंह धामी का संदेश: ” ये कर्मशीलता, रचनात्मकता और तकनीकी कौशल का उत्सव”

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि यह पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि कर्मशीलता, रचनात्मकता और तकनीकी दक्षता का उत्सव है। सीएम धामी ने अपने संदेश में प्रदेश के उद्यमियों, शिल्पियों और श्रमवीरों को सलाम करते हुए कहा कि समाज और राज्य की प्रगति में उनका योगदान अमूल्य है।


कर्म और सृजन का प्रतीक है विश्वकर्मा जयंती

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का प्रथम शिल्पकार माना जाता है। उनकी पूजा केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि मेहनत, लगन और तकनीकी कौशल का भी प्रतीक है।
“विश्वकर्मा जयंती हम सबको यह सिखाती है कि हर निर्माण और हर सृजन एक तपस्या है। यह पर्व हमें समाज और राष्ट्रहित में काम करने की प्रेरणा देता है,” सीएम धामी ने कहा।


शिल्पियों और श्रमिकों के सम्मान का दिन

विश्वकर्मा जयंती पर सीएम धामी ने विशेष रूप से उन शिल्पकारों, उद्यमियों और श्रमिकों का आभार व्यक्त किया जो प्रदेश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज का दिन उन सभी लोगों के सम्मान का दिन है, जिनकी मेहनत से सड़कों, इमारतों, उद्योगों और तकनीकी संरचनाओं का निर्माण होता है।
सरकार की कई योजनाओं में भी इन वर्गों को सशक्त करने पर जोर दिया गया है। चाहे स्वरोजगार योजनाएं हों या कौशल विकास कार्यक्रम, सभी का उद्देश्य यही है कि युवा और श्रमिक वर्ग आत्मनिर्भर बने।


जनकल्याण और विकास का संकल्प

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में यह भी कहा कि विश्वकर्मा जयंती पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि शिल्प, कला, विज्ञान और तकनीक के अधिष्ठाता भगवान विश्वकर्मा के आदर्शों को अपनाकर देश और उत्तराखंड के विकास में सक्रिय योगदान देंगे।
“जनकल्याण ही हमारा ध्येय होना चाहिए। यदि हम तकनीक और परंपरा को मिलाकर आगे बढ़ें, तो उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने में देर नहीं लगेगी,” उन्होंने कहा।


धार्मिक और सामाजिक दोनों महत्व

विश्वकर्मा जयंती का पर्व पूरे भारत में खास श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। कारखानों, वर्कशॉप्स, निर्माण स्थलों और ऑफिसों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। लोग अपने औजारों और मशीनों की सफाई करके उन्हें सजाते हैं और पूजा-अर्चना कर कार्यक्षमता और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण से यह पर्व आस्था से जुड़ा है, तो वहीं सामाजिक दृष्टि से यह कामगारों और श्रमिकों के योगदान को मान्यता देने का अवसर भी है।


उत्तराखंड में उत्साह का माहौल

देहरादून से लेकर हल्द्वानी, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर तक, विश्वकर्मा जयंती पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों पर पूजा-पाठ होता है और श्रमिकों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है। कई जगह स्थानीय संगठनों और उद्योग संघों की ओर से सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।


सरकार की पहलें और विज़न

मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर यह भी याद दिलाया कि राज्य सरकार लगातार श्रमिकों और उद्यमियों के हित में नई योजनाएं लागू कर रही है। कौशल विकास, स्वरोजगार, स्टार्टअप्स को बढ़ावा और निर्माण क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर विशेष फोकस किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड का विज़न है कि यहां के युवा और श्रमिक सिर्फ प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया में अपनी मेहनत और हुनर से पहचान बनाएं।”

विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह संदेश प्रदेशवासियों के लिए न सिर्फ शुभकामना है बल्कि एक प्रेरणा भी है। यह पर्व याद दिलाता है कि समाज का हर निर्माण – चाहे वह एक छोटी-सी कलाकृति हो या किसी बड़े प्रोजेक्ट का ढांचा – श्रम, कला और विज्ञान का संगम है।
धामी के संदेश ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार श्रमिकों, शिल्पकारों और उद्यमियों को सम्मान और समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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