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मारिया मचाडो ने नोबेल शांति पुरस्कार डोनाल्ड ट्रंप को किया समर्पित, वहीं बोले ट्रंप – “मैंने लाखों लोगों की जान बचाई…”

व्हाइट हाउस ने नोबेल समिति पर साधा निशाना, कहा- शांति से ज्यादा राजनीति को दी तरजीह

वॉशिंगटन/ओस्लो: 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान भले ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम न हुआ हो, लेकिन वे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को यह सम्मान मिलने के बाद उन्होंने इसे डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित कर दिया, जिसके बाद ट्रंप ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा — “मैं खुश हूं, मैंने लाखों लोगों की जान बचाई है।”

मारिया के इस कदम ने न सिर्फ ट्रंप समर्थकों में जोश भर दिया है, बल्कि व्हाइट हाउस ने भी नोबेल कमिटी पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।


ट्रंप बोले — “मुझे यह सम्मान मिलना चाहिए था”

डोनाल्ड ट्रंप ने एक मीडिया इंटरव्यू में खुलासा किया कि मारिया कोरिना मचाडो ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन कर बताया कि वह यह पुरस्कार उनके सम्मान में स्वीकार कर रही हैं।
ट्रंप ने कहा,

“जिस शख्स को नोबेल पुरस्कार मिला है, उसने आज मुझे फोन किया और कहा, ‘मैं यह पुरस्कार आपके सम्मान में स्वीकार कर रही हूं क्योंकि आप वास्तव में इसके हकदार थे।’ मैंने उनसे कहा कि मैं खुश हूं, क्योंकि मैंने लाखों लोगों की जान बचाई है। मैंने किसी से पुरस्कार नहीं मांगा, लेकिन लगता है कि उन्होंने खुद यह निर्णय लिया।”

ट्रंप ने यह भी कहा कि वह मारिया मचाडो की लोकतंत्र के लिए चल रही लड़ाई का समर्थन करते रहेंगे और वेनेज़ुएला के लोगों के साथ खड़े हैं।


मारिया मचाडो का बयान — “यह पुरस्कार ट्रंप और वेनेज़ुएला के लोगों का है”

नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद मारिया मचाडो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर कहा कि यह सम्मान वेनेज़ुएला के पीड़ित नागरिकों और डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित है।

उन्होंने लिखा,

“वेनेज़ुएला के सभी लोगों के संघर्ष की यह मान्यता हमारे लिए एक प्रेरणा है। हम आजादी की दहलीज पर हैं। मैं यह पुरस्कार वेनेज़ुएला के पीड़ित लोगों और राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित करती हूं, जिन्होंने हमारे लोकतंत्र के संघर्ष का निर्णायक समर्थन किया। हम राष्ट्रपति ट्रंप, अमेरिका और लोकतांत्रिक देशों को अपने प्रमुख सहयोगियों के रूप में देखते हैं।”

मचाडो को वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है। उन्हें इस पुरस्कार के साथ 1.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी दी जाएगी।


व्हाइट हाउस ने नोबेल समिति की आलोचना की

डोनाल्ड ट्रंप की राजनीतिक टीम और व्हाइट हाउस के कम्युनिकेशन निदेशक स्टीवन चेउंग ने नोबेल समिति की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि समिति ने “राजनीति को शांति पर तरजीह” दी है।
चेउंग ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,

“नोबेल समिति ने एक बार फिर साबित किया कि वे राजनीति को शांति से अधिक महत्व देते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप विश्व स्तर पर शांति समझौते कराते रहे हैं, उन्होंने युद्धों को रोका और लाखों जिंदगियां बचाईं। उनका दिल मानवीय संवेदनाओं से भरा हुआ है, और वे आगे भी यही करते रहेंगे।”


ट्रंप की “नोबेल चाहत” और विवादों का इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप और नोबेल पुरस्कार का नाम एक साथ आया हो।
ट्रंप कई बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि उन्हें “विश्व शांति स्थापित करने के प्रयासों” के लिए यह सम्मान मिलना चाहिए।
उनके समर्थकों का तर्क है कि ट्रंप के कार्यकाल में—

  • अब्राहम एकॉर्ड (Abraham Accords) के तहत इजरायल और कई अरब देशों के बीच ऐतिहासिक समझौते हुए।
  • उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से सीधे संवाद कर कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम करने की कोशिश की गई।
  • और अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की नींव रखी गई।

हालांकि आलोचक यह भी कहते हैं कि ट्रंप की विदेश नीति ने कई बार अस्थिरता और राजनयिक तनाव भी पैदा किया।


मारिया मचाडो की लड़ाई – वेनेज़ुएला में लोकतंत्र का संघर्ष

मारिया कोरिना मचाडो वेनेज़ुएला की प्रमुख विपक्षी नेता हैं, जिन्होंने लंबे समय से राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की समाजवादी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई है। उन्हें देश में लोकतंत्र, मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन का प्रतीक माना जाता है।

नोबेल कमिटी ने कहा,

“मचाडो ने तानाशाही के माहौल में अहिंसक तरीके से लोकतंत्र बहाल करने की कोशिश की है। उनकी प्रतिबद्धता और साहसिक रुख शांति और स्वतंत्रता के मूल्यों को जीवित रखता है।”

मचाडो को यह पुरस्कार ऐसे समय में मिला है जब वेनेज़ुएला में आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और मानवीय आपदाओं ने जनजीवन को प्रभावित किया हुआ है।


अमेरिकी राजनीति में नया विमर्श

मारिया मचाडो का यह कदम अमेरिकी राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद ट्रंप के लिए यह “नैरेटिव रिकवरी” का मौका हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रंप के समर्थक अब इस दावे को और बल दे रहे हैं कि “अगर नोबेल समिति निष्पक्ष होती, तो यह सम्मान ट्रंप को मिलना चाहिए था।”


निष्कर्ष

मारिया मचाडो द्वारा नोबेल शांति पुरस्कार डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित करना न केवल एक प्रतीकात्मक कदम है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में लोकतंत्र बनाम तानाशाही के विमर्श को भी नया आयाम देता है।
जहां एक ओर मचाडो ने लोकतंत्र की जीत का संदेश दिया, वहीं ट्रंप ने इसे अपने वैश्विक शांति प्रयासों की स्वीकृति बताया। हालांकि, व्हाइट हाउस और नोबेल कमिटी के बीच यह टकराव एक बार फिर दिखाता है कि शांति के पुरस्कार भी अब वैश्विक राजनीति से अछूते नहीं रहे।

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