
गांधीनगर, 16 अक्टूबर | गुजरात में एक बार फिर बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिला है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर राज्य मंत्रिमंडल के सभी 16 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार को नई कैबिनेट का गठन और शपथ ग्रहण समारोह गांधीनगर के महात्मा मंदिर में सुबह 11:30 बजे आयोजित किया जाएगा।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत नवगठित मंत्रिपरिषद को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, इस बार मंत्रिमंडल में लगभग 10 नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं।
जेपी नड्डा की निगरानी में होगा मंत्रिमंडल विस्तार
सूत्रों ने बताया कि इस कैबिनेट विस्तार की पूरी प्रक्रिया भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सीधी निगरानी में हो रही है। नड्डा का यह दौरा केवल औपचारिक नहीं बल्कि राज्य में संगठनात्मक रणनीति और राजनीतिक संतुलन को नया आकार देने का प्रयास माना जा रहा है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि नड्डा ने हाल के दिनों में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल और पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से लगातार बैठकें की हैं।
इन बैठकों में नए मंत्रियों के चयन के अलावा क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों पर भी मंथन हुआ है।
‘मिशन 2027’ के लिए बीजेपी की तैयारी
गुजरात में यह कैबिनेट फेरबदल केवल प्रशासनिक कदम नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश भी है।
भाजपा अगले विधानसभा चुनावों के लिए ‘मिशन 2027’ पर पहले से काम शुरू कर चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी युवा चेहरों को आगे लाने, क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने और ओबीसी-पाटीदार वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।
विशेषकर सौराष्ट्र क्षेत्र, जहां हाल के चुनावों में भाजपा को चुनौती मिली थी, वहां नए चेहरों के माध्यम से पार्टी अपनी पकड़ दोबारा मजबूत करने की रणनीति बना रही है।
कौन रहेगा, कौन जाएगा – कैबिनेट में संभावित बदलाव
पार्टी सूत्रों के अनुसार, मौजूदा मंत्रियों में से धर्मेंद्र सिंह, ऋषिकेश पटेल, मुकेश पटेल और भूपेंद्र सिंह चूडासमा की कुर्सी बरकरार रहने की संभावना है।
वहीं, कनुभाई देसाई (वित्त), राघवजी पटेल (कृषि), कुंवरजी बावलिया (जल आपूर्ति) और मुरूभाई बेरा (पर्यटन) जैसे वरिष्ठ चेहरों को बदला जा सकता है।
नई कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले संभावित चेहरों में जयेश राडाडिया, शंकर चौधरी, अर्जुन मोढवाडिया, जीतू वघानी, रीवा जडेजा और अल्पेश ठाकोर जैसे नाम प्रमुख हैं।
भाजपा का मानना है कि इससे न केवल युवा नेतृत्व को अवसर मिलेगा, बल्कि ओबीसी और पाटीदार वर्गों के बीच पार्टी की पकड़ और मजबूत होगी।
नए प्रदेश अध्यक्ष के बाद नई टीम
गुजरात भाजपा में यह फेरबदल ऐसे समय में हो रहा है जब कुछ ही दिन पहले जगदीश विश्वकर्मा को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
विश्वकर्मा पहले राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं और उन्हें हाल ही में सीआर पाटिल की जगह प्रदेश की कमान सौंपी गई है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कैबिनेट विस्तार, नई संगठनात्मक टीम और नड्डा का दौरा – ये सब गुजरात में भाजपा के पुनर्गठन की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।
पार्टी के अंदर संतुलन साधने की चुनौती
गुजरात में भाजपा को लंबे समय से सत्ता में रहते हुए एंटी-इनकंबेंसी और संगठनात्मक थकान जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अनुभवी चेहरों को बनाए रखते हुए नए नेताओं को मौका देना।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि भाजपा अब एक ‘दोहरी संतुलन’ की नीति पर काम कर रही है –
जहां एक ओर पार्टी नेतृत्व केंद्र के प्रति वफादारी और प्रशासनिक स्थिरता को बनाए रखना चाहता है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय सामाजिक समीकरणों और नेतृत्व परिवर्तन की मांगों को भी संतुलित करना जरूरी है।
मोदी-शाह की रणनीतिक पकड़ बरकरार
हालांकि पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दिल्ली में हाल ही में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में दोनों नेताओं ने गुजरात के भविष्य के राजनीतिक स्वरूप पर चर्चा की थी।
राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा है कि आगामी कैबिनेट में वही नेता शामिल किए जाएंगे, जो केंद्र की विकास नीति और संगठनात्मक प्राथमिकताओं के अनुरूप हों।
राजनीतिक महत्व
भाजपा के इस कदम से दो बड़े संदेश जाते हैं —
पहला, कि पार्टी युवा और सक्रिय नेतृत्व को प्राथमिकता दे रही है।
और दूसरा, कि वह राज्य स्तर पर अपने संगठन को लगातार पुनर्गठित करके लंबे समय तक सत्ता बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है।
गुजरात जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में यह फेरबदल, आने वाले महीनों में अन्य राज्यों के लिए भी एक संकेत साबित हो सकता है।
गुजरात की राजनीति में यह फेरबदल केवल पदों का नहीं बल्कि संतुलन, संदेश और रणनीति का मामला है।
जेपी नड्डा की देखरेख में होने वाला यह बदलाव भाजपा के लिए आने वाले वर्षों की दिशा तय कर सकता है।
अब सबकी निगाहें शुक्रवार को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह पर टिकी हैं — जहां यह तय होगा कि गुजरात की नई टीम, भूपेंद्र पटेल सरकार के अगले अध्याय की शुरुआत कैसे करती है।