
झांझ-मंजीरों की ध्वनि के बीच, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की ‘बहुड़ा यात्रा’ या वापसी उत्सव सोमवार को पुरी में शुरू हुआ। लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में एक औपचारिक ‘धाडी पहांडी’ (शोभायात्रा) के माध्यम से भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को ‘चक्रराज सुदर्शन’ के साथ श्री गुंडिचा मंदिर से उनके रथों तक लाया गया। इसके साथ ही भगवान की 12वीं शताब्दी के श्रीमंदिर की ओर वापसी यात्रा या ‘बहुड़ा यात्रा’ की शुरुआत हुई। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) संजय कुमार ने बताया कि ‘बहुड़ा यात्रा’ के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, पूरा शहर सीसीटीवी की निगरानी में है। इस महोत्सव में लगभग पांच लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान है।
सात जुलाई को रथ यात्रा के दिन देवताओं को मुख्य मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर ले जाया गया था। भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ सात दिनों तक गुंडिचा मंदिर में रहे, जिसे उनका जन्मस्थान माना जाता है। हालांकि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने पहले पहांडी का समय दोपहर 12 बजे से अपराह्न ढाई बजे के बीच तय किया था, लेकिन भगवान की शोभायात्रा निर्धारित समय से पहले पूर्वाह्न 10 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुई।