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देशफीचर्ड

मॉनसून सत्र का आखिरी दिन: वोटर वेरिफिकेशन पर घमासान की आशंका, विपक्ष तैयार हंगामे के लिए

SIR मुद्दे से लेकर ऑनलाइन गेमिंग बैन तक, सत्र के दौरान तीखे टकराव; तीन अहम बिल लोकसभा में पेश

नई दिल्ली। संसद का मॉनसून सत्र आज अपने अंतिम पड़ाव पर पहुँच गया है। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ था और पिछले एक महीने के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर जोरदार टकराव देखने को मिला। सत्र के अंतिम दिन भी राजनीतिक हलकों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि विपक्ष वोटर वेरिफिकेशन बिल पर हंगामा कर सकता है।

SIR का मुद्दा बना रहा केंद्र में

सत्र के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में रहा बिहार का SIR मुद्दा। विपक्षी दलों ने इसे लेकर संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह सरकार को घेरने की कोशिश की। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार इस मामले पर चर्चा से बच रही है, जबकि जनता के मन में कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। लगातार कई दिनों तक विपक्ष ने कार्यवाही बाधित की और नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट भी किया।

अमित शाह ने पेश किए तीन अहम बिल

बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन अहम बिल पेश किए। इन बिलों को लेकर सदन का माहौल एक बार फिर गरमा गया। विपक्ष ने इनका जोरदार विरोध किया और कहा कि सरकार बिना चर्चा के कानून बनाने की जल्दबाजी कर रही है।

विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल 2025 पास हो गया। इस बिल के तहत अब देशभर में ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह से बैन लागू होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम युवाओं को ऑनलाइन लत और आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है। वहीं, विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने इस बिल पर पर्याप्त विमर्श नहीं किया।

वोटर वेरिफिकेशन पर टकराव तय

सत्र के आखिरी दिन वोटर वेरिफिकेशन बिल चर्चा का केंद्र बन सकता है। विपक्ष का कहना है कि यह बिल आम मतदाताओं की निजता और स्वतंत्रता पर हमला है। वहीं, सरकार का दावा है कि इस बिल से डुप्लीकेट और फर्जी वोटर आईडी पर रोक लगेगी और चुनावी प्रक्रिया और पारदर्शी होगी।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह मुद्दा 2026 के आम चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक हथियार साबित हो सकता है। विपक्ष इसे जनता से जुड़ा संवेदनशील मामला बता रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे “चुनावी सुधार” करार दे रहा है।

हंगामे में उलझा रहा मॉनसून सत्र

पूरा मॉनसून सत्र विपक्षी हंगामे और सत्ता पक्ष के जवाबी तेवरों में उलझा रहा। कई बार प्रश्नकाल और शून्यकाल बाधित हुआ। बिलों पर सीमित चर्चा के बीच ही इन्हें पारित कराया गया। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने सदन की परंपराओं की अनदेखी की, जबकि सरकार का कहना है कि विपक्ष ने जनता के मुद्दों पर चर्चा रोकने की कोशिश की।

सत्र का राजनीतिक संदेश

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार का मॉनसून सत्र एक बार फिर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच गहराते टकराव का प्रतीक रहा। SIR से लेकर वोटर वेरिफिकेशन और ऑनलाइन गेमिंग तक—हर मुद्दा आने वाले महीनों में राजनीतिक विमर्श का हिस्सा रहेगा।

सत्र के अंतिम दिन पर भी टकराव की आशंका बनी हुई है। यदि विपक्ष वोटर वेरिफिकेशन बिल पर आक्रामक हुआ तो यह सत्र अंत तक शोर-शराबे और नारेबाजी में ही समाप्त हो सकता है।

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