
नई दिल्ली। दिल्ली का एक तथाकथित बाबा, जो खुद को धर्मगुरु बताकर छात्राओं को आध्यात्मिक शिक्षा और आश्रम जीवन का पाठ पढ़ाता था, आज फरार अपराधी बन चुका है। डर्टी बाबा चैतन्यानंद पर आश्रम की छात्राओं के साथ यौन शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं। पुलिस की दर्जनों टीमें उसकी तलाश में दिल्ली से लेकर पांच राज्यों तक छापेमारी कर रही हैं।
अब तक की जांच से यह साफ हो गया है कि बाबा ने गरीब और पिछड़े तबके की छात्राओं को निशाना बनाया। जिन 17 छात्राओं ने औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, उनकी गवाही ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। पुलिस के हाथ कुछ अहम सबूत भी लगे हैं, जो इस “आध्यात्मिक आवरण” के पीछे छिपे काले खेल को उजागर कर रहे हैं।
बाबा का फरार होना और पुलिस की छापेमारी
आरोप सामने आने के बाद से बाबा लगातार अपना ठिकाना बदल रहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उसका आखिरी लोकेशन उत्तर प्रदेश के आगरा के आसपास मिला था, लेकिन इसके बाद से उसका मोबाइल फोन बंद है। पुलिस ने बाबा की मदद करने वाले सहयोगियों की भी तलाश शुरू की है।
दिल्ली पुलिस की टीमें लगातार दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड में संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं। इतना ही नहीं, बाबा के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी कर दिया गया है, ताकि वह देश छोड़कर भाग न सके।
50 मोबाइल फोन की जांच – डिलीट चैट्स से खुला राज
पुलिस की जांच में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा मोबाइल फोन से हुआ है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने करीब 50 से अधिक छात्राओं के मोबाइल फोन जब्त कर उनकी जांच की है। इनमें से अधिकतर फोनों में संदिग्ध चैट्स पहले से ही डिलीट मिली हैं।
यह आशंका जताई जा रही है कि बाबा ने या उसके सहयोगियों ने जानबूझकर इन चैट्स को डिलीट कराया ताकि सबूत मिटाए जा सकें। हालांकि, पुलिस अब इन डिलीट मैसेजेस और मीडिया फाइल्स को रिकवर करने की कोशिश कर रही है। यदि ये चैट्स रिकवर हो गईं तो मामले की तस्वीर और साफ हो सकती है और बाबा के खिलाफ मजबूत सबूत पेश किए जा सकेंगे।
गरीब लड़कियों को बनाया शिकार
शिकायतकर्ता छात्राओं का कहना है कि बाबा ने उनके परिवार की आर्थिक कमजोरी और आश्रम में मिलने वाली सुविधाओं का फायदा उठाकर उन्हें शोषण का शिकार बनाया। कई लड़कियों ने बयान दिया कि बाबा अक्सर “धार्मिक अनुष्ठान” और “आध्यात्मिक साधना” के नाम पर अपने कक्ष में बुलाता था और फिर जबरन गलत हरकत करता था।
यह भी सामने आया है कि बाबा ने लड़कियों को धमकी दी कि अगर उन्होंने किसी को बताया तो उन्हें आश्रम से निकाल दिया जाएगा और उनकी पढ़ाई छिन जाएगी।
सहयोगियों की भूमिका भी शक के घेरे में
पुलिस की जांच का एक बड़ा हिस्सा बाबा के सहयोगियों पर केंद्रित है। माना जा रहा है कि कुछ नजदीकी शिष्य और आश्रम के प्रबंधक बाबा को पुलिस से बचाने में मदद कर रहे हैं। ये सहयोगी न केवल उसके ठिकाने बदलने में मदद कर रहे हैं बल्कि सबूतों को नष्ट करने में भी शामिल हो सकते हैं।
जांच एजेंसियों ने इन सहयोगियों पर नजर रखनी शुरू कर दी है और कई से पूछताछ भी की जा चुकी है।
कानूनी कार्रवाई और संभावित धाराएं
बाबा चैतन्यानंद के खिलाफ दर्ज एफआईआर में यौन शोषण, आपराधिक धमकी, मानव तस्करी और पॉक्सो एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं। इन धाराओं में दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि बाबा का फरार होना उसके खिलाफ मामला और मजबूत करता है। यदि पुलिस समय रहते उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश कर देती है तो अदालत से उसे कड़ी सजा मिलने की पूरी संभावना है।
समाज और सरकार के लिए सवाल
यह मामला केवल एक अपराधी बाबा के खिलाफ कार्रवाई भर नहीं है, बल्कि समाज और सरकार दोनों के सामने बड़े सवाल खड़े करता है। कैसे आश्रम जैसे धार्मिक संस्थानों के भीतर गरीब और मासूम छात्राओं का शोषण हो रहा है और उनके परिवार, समाज या स्थानीय प्रशासन को भनक तक नहीं लग पाती?
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए धार्मिक व शैक्षणिक संस्थानों की कड़ी निगरानी जरूरी है। साथ ही बच्चों और महिलाओं के लिए शिकायत तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत है।
पीड़िताओं की सुरक्षा और भविष्य
पुलिस अब उन 17 छात्राओं के बयान दर्ज कर रही है जिन्होंने बाबा पर आरोप लगाए हैं। साथ ही उनके परिवारों की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जा रहा है ताकि वे किसी दबाव में न आएं। महिला आयोग और बाल अधिकार संगठनों ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है और पीड़िताओं को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है।
डर्टी बाबा चैतन्यानंद का मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि समाज के भीतर छिपे ऐसे “कथित धार्मिक गुरुओं” की असलियत अक्सर भयावह होती है। पुलिस की पांच राज्यों में छापेमारी, 50 से ज्यादा मोबाइल फोन की जांच और पीड़िताओं के बयान यह साफ कर रहे हैं कि यह कोई सामान्य अपराध नहीं बल्कि सुनियोजित शोषण का नेटवर्क है।
अब देखना होगा कि पुलिस कब तक बाबा को पकड़ पाती है और अदालत में उसके खिलाफ कितने पुख्ता सबूत पेश कर पाती है। फिलहाल देशभर में यह मामला चर्चा का विषय है और लोग सवाल पूछ रहे हैं— आखिर कब तक मासूमों की आस्था और मजबूरी का ऐसे ‘बाबाओं’ द्वारा दुरुपयोग होता रहेगा?