
बेंगलुरु स्थित भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics) के वैज्ञानिकों ने एक नए तारे की खोज की है। इस तारे को वैज्ञानिकों ने HE 1005-1439 नाम दिया है। Indian Institute of Astrophysics संस्थान के वैज्ञानिकों ने खोजे गए इस नए तारे को कार्बन-इन्हांस्ड-मेटल-पुअर (CEMP) के रूप में वर्गीकृत किया है। IIA में पार्थ प्रतिम गोस्वामी और प्रोफेसर अरुणा गोस्वामी की ओर से किए गए शोध में कई खुलासे हुए हैं। तारे की सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने के लिए सुबारू टेलीस्कोप से जुड़े उच्च फैलाव वाले स्पेक्ट्रोग्राफ (HDS) का उपयोग करके प्राप्त हुए उच्च-रिजॉल्यूशन स्पेक्ट्रोस्कोपिक डेटा का उपयोग किया गया है।
तारे की निर्माण प्रक्रिया ने वैज्ञानिकों की पिछली समझ को अचंभित कर दिया है। तारा अलग-अलग खगोल भौतिकी वातावरणों में होने वाली दो अलग-अलग प्रक्रियाओं के संयोजन के माध्यम से बनने के संकेत दिखा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तारे का निर्माण 2 अलग-अलग न्यूट्रॉन कैप्चर प्रक्रिया द स्लो (एस-) और इंटरमीडिएट (आई-) के संयोजन से हुआ है। IIA के पार्थ प्रतिम गोस्वामी ने बताया कि हमें पहली बार सतह पर रासायनिक संरचना वाली एक वस्तु मिली जिसमें धीमी और मध्यवर्ती (i) न्यूट्रॉन-कैप्चर न्यूक्लियोसिंथेसिस दोनों उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि ऐसा मामला पहले कभी भी किसी CEMP सितारों में नहीं देखा गया है।