
काठमांडू/नई दिल्ली | 12 सितंबर 2025 | इंटरनेशनल डेस्क नेपाल में बीते कई दिनों से चले विरोध प्रदर्शनों के बाद आखिरकार देश को नई अंतरिम सरकार मिल गई है। देश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके शपथग्रहण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा नेता मौजूद थे, जिनमें सबसे आगे रहे सुदन गुरुंग, जिनका नाम अब नेपाल के राजनीतिक भविष्य से जोड़ा जाने लगा है।
नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री
सुशीला कार्की न्यायपालिका से राजनीति में आने वाली पहली शख्सियत नहीं हैं, लेकिन प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाली पहली महिला जरूर हैं। उनके शपथग्रहण को नेपाल के लोकतांत्रिक इतिहास का “टर्निंग प्वाइंट” माना जा रहा है। कार्की ने शपथ लेते ही कहा कि उनकी प्राथमिकता देश में शांति, स्थिरता और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना होगा।
कौन हैं सुदन गुरुंग, जिन्हें कहा जा रहा है ‘यंग फेस ऑफ न्यू नेपाल’?
सोशल मीडिया बैन से भड़का था आंदोलन
36 वर्षीय सुदन गुरुंग आज नेपाल के युवाओं की आवाज माने जाते हैं। वे “हामी नेपाल” नामक संगठन के संस्थापक और लीडर हैं। जब तत्कालीन पीएम केपी ओली सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाने का विवादित निर्णय लिया, तभी गुरुंग और उनके संगठन ने इसका कड़ा विरोध किया।
युवाओं को संगठित करने में उनकी भूमिका इतनी अहम रही कि देखते ही देखते हजारों छात्र, पेशेवर और एक्टिविस्ट सड़कों पर उतर आए। यह आंदोलन धीरे-धीरे सत्ता परिवर्तन का कारण बना।
सोशल एक्टिविस्ट से पॉलिटिकल आइकन तक
गुरुंग का NGO 2020 में रजिस्टर्ड हुआ था। संगठन प्राकृतिक आपदाओं और सामाजिक संकटों के समय मदद करने का दावा करता है। इसी काम से गुरुंग ने युवाओं का भरोसा जीता। उनकी एक अपील पर हजारों युवा सड़कों पर उतर आए, जिसने ओली सरकार की नींव हिला दी।
शपथग्रहण समारोह में सुशीला कार्की के हाथ से आशीर्वाद लेते गुरुंग की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। इसे नए नेपाल में गुरुंग और कार्की की साझा भूमिका का प्रतीक माना जा रहा है।
भारत ने दी बधाई, जताई स्थिरता की उम्मीद
सुशीला कार्की के प्रधानमंत्री बनने पर भारत सरकार ने आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है। नई दिल्ली की तरफ से कहा गया:
“हम नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में सुशीला कार्की के नेतृत्व का स्वागत करते हैं। हमें विश्वास है कि उनके नेतृत्व में नेपाल में शांति और स्थिरता स्थापित होगी। भारत, एक करीबी पड़ोसी और लोकतांत्रिक साझेदार के रूप में, नेपाल के विकास और समृद्धि के लिए हमेशा सहयोग करता रहेगा।”
भारत का यह बयान बताता है कि दक्षिण एशिया की राजनीति में नेपाल का महत्व लगातार बढ़ रहा है और भारत नेपाल में राजनीतिक स्थिरता को क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास के लिहाज से अहम मानता है।
नेपाल के लिए आगे की राह
- संवैधानिक चुनौती: अंतरिम सरकार का मकसद निष्पक्ष चुनाव कराना और राजनीतिक स्थिरता स्थापित करना है।
- युवा राजनीति का उदय: सुदन गुरुंग जैसे चेहरों का उभार नेपाल की राजनीति में जनरेशन शिफ्ट का संकेत है।
- भारत-नेपाल रिश्ते: नई सरकार से भारत को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा सहयोग और मजबूत होगा।
- जनता की प्राथमिकताएं: रोज़गार, महंगाई और डिजिटल फ्रीडम जैसे मुद्दे ही नई राजनीति का एजेंडा तय करेंगे।
नेपाल ने पहली बार एक महिला प्रधानमंत्री को देखा है और उनके साथ युवा नेता सुदन गुरुंग की सक्रियता ने यह संदेश दिया है कि अब नया नेपाल युवाओं और महिलाओं की साझी ताकत से आकार लेगा।
भारत की सकारात्मक प्रतिक्रिया से साफ है कि पड़ोसी मुल्क भी नेपाल में स्थिरता और विकास को लेकर आशावादी हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि सुशीला कार्की और सुदन गुरुंग की जोड़ी नेपाल को राजनीतिक संकट से निकालकर स्थायी समाधान की ओर ले जा पाती है या नहीं।