
नई दिल्ली, 3 सितंबर 2025 त्योहारी सीज़न से ठीक पहले केंद्र सरकार ने आम जनता और कारोबार जगत के लिए बड़ा ऐलान किया है। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में रोज़मर्रा की चीज़ों को सस्ता और लग्ज़री तथा सिन गुड्स को महंगा करने का निर्णय लिया गया है। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से पूरे देश में लागू होंगे। सरकार का कहना है कि इन सुधारों का मक़सद जनता को राहत देना और टैक्स व्यवस्था को और पारदर्शी बनाना है।
जीएसटी बदलाव कब से लागू होंगे?
नए रेट 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे।
- फिलहाल, सिगरेट, बीड़ी, जर्दा और कच्चा तंबाकू पर पुराने रेट ही लागू रहेंगे।
- इन वस्तुओं पर नए टैक्स स्लैब तब लागू होंगे जब केंद्र सरकार Compensation Cess का पूरा कर्ज चुका देगी।
कौन-सी चीज़ें होंगी सस्ती?
सरकार ने जनता को राहत देने के लिए रोज़मर्रा की जरूरत की वस्तुओं पर टैक्स दरें घटाई हैं।
- पैक्ड दही, मक्खन और पनीर → टैक्स 12% से घटाकर 5%
- स्कूल बैग, पेंसिल बॉक्स, रबर और स्टेशनरी आइटम → 18% से घटाकर 12%
- घरेलू उपकरणों की मरम्मत सेवाएँ → 18% से घटाकर 12%
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग सेवाएँ → 18% से घटाकर 5%
👉 इससे आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ेगा और डेयरी इंडस्ट्री तथा शिक्षा क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा।
कौन-सी चीज़ें होंगी महंगी?
इस बार लग्ज़री और सिन गुड्स पर सरकार ने टैक्स का बोझ बढ़ाया है।
- 5-स्टार होटल के कमरे (₹10,000 से ऊपर) → टैक्स 18% से बढ़ाकर 28%
- ऑनलाइन गेमिंग, कैसिनो और बेटिंग प्लेटफॉर्म्स → सीधे 28% टैक्स
- आयातित लग्ज़री कारें और यॉट्स → जीएसटी और कस्टम ड्यूटी दोनों में बढ़ोतरी
- शराब और एरोटिक सर्विसेज → उच्चतम टैक्स स्लैब (28% + सेस)
👉 इसका मक़सद है कि धनाढ्य वर्ग अधिक योगदान दे और टैक्स का बोझ आम जनता पर न पड़े।
कारोबारियों के लिए क्या बदलेगा?
नई जीएसटी व्यवस्था में कारोबारियों के लिए कई अहम नियम लागू होंगे:
- ई-इनवॉइसिंग अब ₹5 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) सिर्फ डिजिटल इनवॉइस पर मिलेगा।
- कंपोज़िशन स्कीम की सीमा अब ₹1.5 करोड़ से बढ़ाकर ₹2 करोड़।
- जीएसटी रिटर्न (GSTR-1 और GSTR-3B) का मिलान अब AI आधारित सिस्टम से होगा।
👉 इससे टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी और कारोबारियों के लिए अनुपालन आसान होगा।
आम आदमी की जेब पर असर
नए जीएसटी सुधारों का असर हर वर्ग पर दिखेगा।
- मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास परिवार → डेयरी प्रोडक्ट्स और स्कूल-संबंधी सामान सस्ते होने से राहत।
- युवा पीढ़ी → ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग प्लेटफॉर्म्स महंगे होने से जेब पर बोझ।
- पर्यटन और होटल उद्योग → लग्ज़री होटल महंगे होंगे, घरेलू टूरिज्म प्रभावित हो सकता है।
- इलेक्ट्रिक व्हीकल उपयोगकर्ता → EV चार्जिंग सेवाएँ सस्ती होने से बड़ा फायदा।
सरकार को क्या मिलेगा?
केंद्र सरकार ने साफ किया है कि इन सुधारों से दो बड़े फायदे होंगे:
- रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ेगा → लग्ज़री और सिन गुड्स पर टैक्स से।
- जनता को राहत मिलेगी → रोज़मर्रा की वस्तुओं पर टैक्स घटाकर।
साथ ही, डिजिटल ट्रांसपेरेंसी से टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी और राज्यों को अधिक राजस्व का हिस्सा मिलेगा।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये सुधार बैलेंस्ड एप्रोच हैं।
- पब्लिक इकोनॉमी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, टैक्स का बोझ अमीर वर्ग पर डालना और सामान्य परिवारों को राहत देना एक सकारात्मक कदम है।
- हालांकि, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के जानकारों ने कहा कि लग्ज़री होटल टैक्स बढ़ने से विदेशी टूरिस्ट पर असर पड़ सकता है।
- टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग पर 28% टैक्स बहुत ज्यादा है और इससे स्टार्टअप कल्चर को झटका लग सकता है।
नतीजा: दिवाली से पहले तोहफ़ा या बोझ?
दिवाली से पहले लागू होने वाले ये जीएसटी सुधार एक तरह से दोहरी तस्वीर पेश करते हैं।
- आम आदमी के लिए यह त्योहारी तोहफ़ा है क्योंकि उनकी रोज़मर्रा की ज़रूरतें सस्ती होंगी।
- लेकिन लग्ज़री खर्च और ‘सिन गुड्स’ उपभोग करने वालों के लिए यह बड़ा झटका है।
👉 कुल मिलाकर, यह सुधार सरकार के “सबका साथ, सबका विकास” की टैक्स पॉलिसी की झलक दिखाते हैं।