लखनऊ: सीएम आवास पर बीजेपी कोर कमेटी की अहम बैठक, पंचायत चुनाव और सहयोगी दलों को लेकर मंथन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनावों, सहयोगी दलों की रणनीति और सामाजिक तनाव जैसे अहम मुद्दों पर शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री आवास पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कोर कमेटी की बैठक आयोजित की गई। यह बैठक करीब दो घंटे तक चली, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेताओं ने आगामी चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।
कौन-कौन रहा बैठक में शामिल?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह सैनी मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने दो वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों – सूर्य प्रताप शाही और स्वतंत्र देव सिंह को भी विशेष रूप से बैठक में आमंत्रित किया था।
पंचायत चुनाव को लेकर रणनीति
सूत्रों का कहना है कि बैठक का मुख्य एजेंडा आगामी पंचायत चुनाव 2026 को लेकर पार्टी की रणनीति तय करना रहा। इन चुनावों में पार्टी की स्थानीय स्तर पर पकड़ और संगठनात्मक मजबूती को लेकर विशेष चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि पार्टी ब्लॉक स्तर पर प्रबंधन को दुरुस्त करने के लिए कुछ बदलाव भी कर सकती है।
सहयोगी दलों की राह जुदा?
बैठक में भाजपा के तीन प्रमुख सहयोगी दलों – अपना दल (एस), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और निषाद पार्टी के आगामी पंचायत चुनावों में अकेले लड़ने के ऐलानों पर भी चिंता जताई गई। इन दलों के हालिया बयानों और स्वतंत्र चुनाव लड़ने की मंशा को भाजपा ने गंभीरता से लिया है और संभावित गठबंधन तंत्र पर पुनर्विचार की संभावनाएं भी टटोली जा रही हैं।
जातीय तनाव और कांवड़ यात्रा पर चर्चा
राज्य के कुछ हिस्सों में हाल ही में कथावाचकों के साथ हुई हिंसा और जातीय तनाव की घटनाएं भी बैठक में प्रमुखता से उठीं। 11 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान शांति और व्यवस्था बनाए रखने को लेकर विशेष रणनीति पर मंथन किया गया। सरकार और संगठन दोनों ही स्तर पर सामंजस्य बनाकर हालात को नियंत्रण में रखने पर सहमति बनी।
क्या रहा फोकस?
- पंचायत चुनावों में भाजपा की अकेली रणनीति
- जातीय तनाव से निपटने की कार्यनीति
- सहयोगी दलों को साथ रखने के विकल्प
- प्रशासन और संगठन के बीच बेहतर समन्वय
बैठक के बाद किसी भी नेता ने मीडिया से औपचारिक बात नहीं की, लेकिन सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने सभी पदाधिकारियों को आने वाले तीन महीनों तक फील्ड में सक्रिय रहने और जनसंपर्क बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।