
चेन्नई | 7 अगस्त 2025: तमिल सिनेमा के महानायक और मक्कल निधि मय्यम (MNM) पार्टी के प्रमुख कमल हासन ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर तमिलनाडु से जुड़े सांस्कृतिक मुद्दों पर चर्चा की। हासन ने इस मुलाकात की जानकारी खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की।
यह मुलाकात इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि कमल हासन लंबे समय से भाजपा विरोधी रुख के लिए पहचाने जाते हैं, और भाजपा के साथ उनकी वैचारिक दूरी जगजाहिर है।
📸 कमल हासन का ट्वीट और प्रधानमंत्री से बातचीत
कमल हासन ने अपने आधिकारिक पोस्ट में लिखा:
“आज मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। तमिलनाडु के लोगों के प्रतिनिधि और एक कलाकार के रूप में, मैंने उनके समक्ष कुछ अनुरोध रखे, जिनमें प्रमुख था कीलाडी की प्राचीनता को मान्यता दिलाने का आग्रह।”
हासन ने आगे कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से तमिल भाषा और सभ्यता की वैश्विक प्रतिष्ठा को और मज़बूती देने में सहयोग का आग्रह किया। इस ट्वीट के साथ साझा की गई तस्वीरों में प्रधानमंत्री मोदी और कमल हासन सहज और सौहार्दपूर्ण मुद्रा में नजर आ रहे हैं।
🕉️ बीजेपी से रिश्तों में रहा है तीखापन
हाल के वर्षों में कमल हासन और भाजपा के बीच खासी वैचारिक तल्खी देखने को मिली है।
- कुछ समय पहले भाजपा की तमिलनाडु इकाई ने उन पर सनातन धर्म के खिलाफ बयानबाज़ी का आरोप लगाया था।
- भाजपा नेता तमिलिसाई सौंदरराजन और पार्टी की उपाध्यक्ष खुशबू सुंदर ने हासन की टिप्पणियों को “हिंदू भावनाओं का अपमान” और “अनावश्यक उकसावे” की संज्ञा दी थी।
इन बयानों के चलते यह मुलाकात और अधिक राजनीतिक प्रतीकात्मकता से भर गई है।
🏛️ सांस्कृतिक विरासत और तमिल अस्मिता की राजनीति?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात केवल एक औपचारिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि तमिल राजनीति के बदलते समीकरणों की झलक हो सकती है।
कीलाडी, जो कि तमिल सभ्यता की प्राचीनता का अहम प्रमाण माना जाता है, को लेकर कमल हासन लगातार मुखर रहे हैं। प्रधानमंत्री के समक्ष इस विषय को उठाना तमिल अस्मिता की राजनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
🔍 क्या बदलेगी सियासी दिशा?
कमल हासन की यह पहल ऐसे समय पर आई है जब तमिलनाडु की राजनीति डीएमके बनाम भाजपा के ध्रुवों में बंटी हुई है। एमएनएम को हालांकि अब तक अपेक्षित जनसमर्थन नहीं मिला, लेकिन कमल हासन की व्यक्तिगत लोकप्रियता और राष्ट्रीय नेताओं से संवाद उनकी पार्टी को नई पहचान दिला सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह संवाद जारी रहता है, तो कमल हासन की राजनीतिक दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत हो सकती है — चाहे वह गठबंधन की दिशा में हो या सांस्कृतिक मुद्दों पर सहमति के नए स्वरूप में।
कमल हासन और प्रधानमंत्री मोदी की यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक भेंट नहीं, बल्कि तमिल राजनीति के नए संभावित समीकरणों की दस्तक हो सकती है। आने वाले समय में यह साफ होगा कि यह संवाद संस्कृति तक सीमित रहेगा या राजनीति तक पहुंचेगा।