विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार- स्तन कैंसर महिलाओं को होने वाला सबसे कॉमन कैंसर है. आंकड़े बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर हर साल दुनियाभर में लगभग 2.1 मिलियन महिलाओं को प्रभावित करता है. WHO के अनुसार केवल 2018 में ही स्तन कैंसर से मरने वाली महिलाओं की संख्या लगभग 62,700 थी. यह महिला आबादी के बीच कैंसर से होने वाली मौतों का लगभग 15 प्रतिशत है.
स्तन कैंसर एक ऐसी स्थिति है जब कुछ जीनों में परिवर्तन के कारण स्तन कोशिकाएं विभाजित होती हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने और फैलने लगती हैं. आम तौर पर, स्तन के दूध उत्पादक ग्रंथियों या पथ में कैंसर बनता है, जो ग्रंथियों से निप्पल तक दूध पहुंचाता है. फैटी या स्तन के रेशेदार संयोजी ऊतक कैंसर कोशिकाओं के लिए हॉटस्पॉट भी हो सकते हैं. कुछ मामलों में कैंसर कोशिकाएं आपकी बाहों के नीचे लिम्फ नोड्स तक पहुंच सकती हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल सकती हैं.
स्तन कैंसर के विभिन्न प्रकार और चरण होते हैं. इसके अलावा, यह पुरुषों को भी प्रभावित कर सकता है, हालांकि ऐसे बहुत कम केस होते हैं. मोटे तौर पर स्तन कैंसर के दो प्रकार होते हैं: इन्वेसिव (तेजी से फैलने वाला) और नॉन-इन्वेसिव (धीरे धीरे फैलने वाला)। 80% ब्रेस्ट कैंसर इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा के कारण होता है. ब्रेस्ट कैंसर के इस प्रकार में कैंसर डक्ट वॉल के जरिए ब्रेस्ट की चर्बी तक पहुंचती हैं. जबकि नॉन-इन्वेसिव में ब्रेस्ट कैंसर की सेल्स टिश्यू की उत्पत्ति से आगे नहीं बढ़ती हैं.
इनके अलावा ब्रेस्ट कैंसर के दो अन्य प्रकार भी हैं, हालांकि ये बहुत दुर्लभ हैं. जैसे कि इन्फ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर. इस कैंसर के मामले 1 प्रतिशत से भी कम आते हैं लेकिन यह कैंसर बहुत तेजी से फैलता है. और इसमें महिलाओं को मौत का खतरा भी सबसे ज्यादा रहता है. इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर का चौथा प्रकार है पेजेट्स डिजीज. इस कैंसर में निप्पल का एरिया पूरा काला पड़ जाता है. इस तरह का कैंसर 5 प्रतिशत से भी कम होता है.
इसके लक्षण क्या हैं?
शुरुआत में ब्रेस्ट कैंसर लक्षणहीन हो सकता है. ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार पर भी निर्भर करते हैं. हालांकि इस कैंसर का सबसे आम संकेत गांठ होता है. लेकिन यह भी ध्यान रखें कि हर गांठ का मतलब कैंसर नहीं होता है. यहां हम स्तन कैंसर के कुछ लक्षण बता रहे हैं:-
1. स्तन में कठोर ‘गांठ’ महसूस होना. आमतौर पर ये गांठ दर्द रहित होती हैं.
2. निप्पल से गंदे खून जैसा तरल पदार्थ निकलना.
3. स्तन के आकार में परिवर्तन होना.
4. अंडरआर्म में गांठ या सूजन आना.
5. निप्पल का लाल होना, आदि.
हालांकि, ये लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के अलावा किसी और बीमारी के भी हो सकते हैं. इसलिए इस तरह के संकेत दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें और जरूरी सलाह लें.
इस कैंसर के विभिन्न चरण इस प्रकार हैं:-
स्टेज 0- इस स्टेज में कैंसर सेल्स ब्रेस्ट के डक्ट के बाहर नहीं फैलती हैं. यहां तक कि स्तन के बाकी हिस्सों में भी नहीं पहुंचती हैं.
स्टेज 1- इस स्टेज में ट्यूमर 2 सेंटीमीटर से अधिक चौड़ा नहीं होता है और लिम्फ नोड्स भी प्रभावित नहीं होते हैं. लेकिन कैंसर सेल्स साइज में बढ़ना शुरू कर देती हैं जो स्वस्थ सेल्स को प्रभावित करने लगती हैं. हालांकि, उनका आकार 0.2 मिमी से 2 मिमी के बीच होता है. कुछ मामलों में इनका आकार 2 मिमी से बड़ा भी हो सकता है.
स्टेज 2- इस स्टेज में ब्रेस्ट कैंसर अपने साइज से बढ़कर अन्य हिस्सों तक फैलना शुरू कर देता है. इस स्टेज में ऐसा भी हो सकता है कि यह बढ़कर अन्य हिस्सों तक फैल चुका हो.
स्टेज 3- ब्रेस्ट कैंसर की यह स्टेज सीरियस हो जाती है। इस स्टेज में कैंसर हड्डियों या अन्य अंगो तक फैलना शुरू कर देता है. इसके अलावा बाहों के नीचे 9 से 10 लिंफ नोड में और कॉलर बोन में इसका छोटा हिस्सा भी फैल सकता है.
स्टेज 4- इस स्टेज में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है और कैंसर कोशिकाएं शरीर के किसी भी हिस्से जैसे कि लिवर, हड्डी, गुर्दे और दिमाग तक फैल सकती है.
इसकी जांच कैसे होती है?
इसकी पहचान के लिए आपको डॉक्टर सही राय देंगे और वो आपकी कई तरह से जांच कर सकते हैं. जैसे कि-
मैमोग्राम:- यह एक इमेजिंग टेस्ट है. 40 से ऊपर की महिलाओं को स्तन कैंसर की आनुवांशिक प्रवृत्ति होने पर मैमोग्राम कराने की सिफारिश की जा सकती है.
अल्ट्रासाउंड:- इस इमेजिंग परीक्षण से आपके डॉक्टर को यह समझने में काफी आसानी मिलती है कि ब्रेस्ट में कैंसर है या नहीं.
बायोप्सी:- यदि कोई मैमोग्राम या अल्ट्रासाउंड स्तन कैंसर को नियंत्रित नहीं करता है तो आपका डॉक्टर बायोप्सी का सुझाव दे सकता है. इस परीक्षण में, संदिग्ध क्षेत्र से ऊतक के नमूनों को स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है. इन नमूनों को सुई के साथ या चीरा के माध्यम से एकत्र किया जा सकता है.
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव क्या है?
1. वजन को कंट्रोल कर ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है. 30-35 साल की उम्र की महिलाओं को अपने वजन को संतुलित रखना चाहिए.
2. हारवर्ड नर्सेस हेल्थ स्टडी के अनुसार अधिक शराब या स्मोकिंग का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ता है. इसलिए इनसे परहेज रखें. यदि आप शराब पीने की आदि हैं तो अपनी इस आदत को धीरे धीरे कंट्रोल करना शुरू करें.
3. नियमित एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टीविटी कर भी ब्रेस्ट कैंसर को कंट्रोल किया जा सकता है. कोशिश करें कि दिन में एक समय, यानि कि सुबह या शाम एक्सरसाइज जरूर करें.
4. अपने लाइफस्टाइल में योग और मेडिटेशन को प्राथमिकता दें. योग और मेडिटेशन करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है.
5. अपनी डाइट को भी संतुलित रखें. अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियों को शामिल करें. खुद को हाइड्रेट रखने के लिए रोज लगभग 8 से 10 ग्लास पानी पीएं.