
देहरादून : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने रविवार को देहरादून के कारगी चौक स्थित एक वेडिंग पॉइंट में काफल पार्टी आयोजित की। इस पार्टी का आयोजन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता और पूर्व सैनिकों के सम्मान में किया गया। पार्टी के बहाने हरदा ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला और स्थानीय उत्पादों को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
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हरीश रावत ने कहा कि उनके लिए “वोकल फॉर लोकल” एक नारा नहीं, बल्कि मिशन है।
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उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने काफल पार्टी की शुरुआत की थी, तब बीजेपी नेता काफल का नाम तक नहीं जानते थे, जबकि अब यह बाजार में 600 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
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मंडुवा:
“2014 में जब मैंने मंडुवे की बात की, तब वो 5 रुपये किलो था। बीजेपी ने मजाक उड़ाया। आज वही मंडुवा उत्तराखंड की पहचान बन चुका है।”
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गेठी:
“पहाड़ी गेठी, जिसे कोई नहीं जानता था, अब 100 रुपये किलो बिक रही है।”
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माल्टा और नींबू:
“हमने इन फलों के जैविक गुणों का प्रचार किया, लेकिन बीजेपी ने इन्हीं नामों से शराब के टेट्रा पैक बनवा दिए। यही हमारी सोच और बीजेपी की मानसिकता का फर्क है।”
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हरीश रावत ने कहा कि बीजेपी सरकार ने ‘काफल’, ‘माल्टा’ और ‘नींबू’ जैसे पारंपरिक उत्पादों के नाम का उपयोग शराब ब्रांडिंग में किया।
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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जैविक उत्पादों को प्रोत्साहित करने की बजाय शराब को बढ़ावा दे रही है, जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक भावना के खिलाफ है।
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हरदा ने कहा कि स्थानीय कृषि उत्पादों और पहाड़ी खाद्य सामग्री को राज्य मिशन के रूप में अपनाना होगा, तभी पलायन रोका जा सकता है।
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उन्होंने चेताया कि यदि सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो पलायन और बेरोजगारी राज्य के लिए अभिशाप बन जाएगी।
हरीश रावत की यह काफल पार्टी केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं थी, बल्कि इसके माध्यम से उन्होंने स्थानीय उत्पादों की महत्ता, उत्तराखंड की कृषि नीति, और बीजेपी की नीतियों पर करारा प्रहार किया। उनका यह प्रयास पहाड़ के उत्पादों को राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बनाने की दिशा में एक ठोस पहल माना जा रहा है।