
हरिद्वार। जिला पंचायत राज अधिकारी अतुल प्रताप सिंह ने बड़ी कार्रवाई करते हुए विकास खंड खानपुर में तैनात ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीडीओ) अंकित कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई एक ऑडियो क्लिप के आधार पर की गई है, जिसमें अंकित कुमार कथित तौर पर किसी व्यक्ति से फोन पर अभद्र भाषा और गाली-गलौच करते हुए सुने गए।
ऑडियो क्लिप से शुरू हुआ विवाद
कार्यालय को प्राप्त एक ऑडियो क्लिप ने पूरे विभाग को चौंका दिया था। क्लिप में अंकित कुमार कथित रूप से अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। मामला सामने आने के बाद कार्यालय पत्र संख्या 681 दिनांक 12 अगस्त, 2025 के तहत उनसे एक सप्ताह के भीतर लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया था।
हालांकि, निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी अंकित कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया। इससे विभाग ने माना कि अधिकारी ने गंभीर आरोपों का खंडन नहीं किया, जिससे उनके विरुद्ध आरोप prima facie (प्रथम दृष्टया) सही प्रतीत होते हैं।
कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन
जिला पंचायत राज अधिकारी के आदेश में कहा गया है कि एक सरकारी कर्मचारी द्वारा किसी भी व्यक्ति से इस प्रकार की भाषा का प्रयोग कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है।
आदेश में यह भी कहा गया कि—
“स्पष्टीकरण देने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद अधिकारी द्वारा कोई उत्तर प्रस्तुत न करना अनुशासनहीनता का परिचायक है। इस प्रकार के गंभीर आरोप सिद्ध होने पर दीर्घ दंड भी दिया जा सकता है।”
निलंबन और स्थानांतरण
अंकित कुमार को निलंबित कर सहायक विकास अधिकारी (पंचायत), बहादराबाद के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। निलंबन अवधि में उन्हें वित्तीय हस्तपुस्तिका खंड-2, भाग-2, नियम 53 के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता (Subsistence Allowance) दिया जाएगा।
इसमें निम्न प्रावधान शामिल हैं:
- निलंबन की तिथि पर प्राप्त वेतन के आधार पर भत्ता देय होगा।
- मंहगाई भत्ता भी उसी अनुपात में दिया जाएगा।
- अन्य प्रतिकर भत्ते (Compensatory Allowances) तभी दिए जाएंगे जब वे वास्तव में व्यय किए जा रहे हों।
- अधिकारी को यह प्रमाणित करना होगा कि वह निलंबन अवधि में किसी अन्य व्यवसाय, व्यापार या सेवा में संलग्न नहीं हैं।
आगे की कार्रवाई
विभाग ने स्पष्ट किया है कि निलंबन आदेश के साथ ही आरोप पत्र (Charge Sheet) अलग से जारी किया जाएगा। जांच पूरी होने तक अंकित कुमार सेवा से निलंबित रहेंगे।
प्रशासन का सख्त रुख
यह मामला एक बार फिर यह संदेश देता है कि शासन-प्रशासन अनुशासनहीनता और अभद्र व्यवहार के मामलों को गंभीरता से ले रहा है। जिला पंचायत राज अधिकारी के आदेश से यह भी स्पष्ट हुआ है कि:
- विभागीय छवि को धूमिल करने वाले आचरण पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- कर्मचारियों को यह याद रखना होगा कि वे सार्वजनिक पद पर रहते हुए समाज और नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं।
- सरकारी सेवाओं में आचरण और शालीनता सर्वोच्च प्राथमिकता है।
स्थानीय स्तर पर चर्चाएं
अंकित कुमार के निलंबन की खबर ने खानपुर और आस-पास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना दिया है। पंचायत स्तर पर काम करने वाले अधिकारी जनता से प्रत्यक्ष संपर्क में रहते हैं। ऐसे में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे संपर्क योग्य, शालीन और अनुशासित हों।
कुछ ग्रामीणों का कहना है कि यदि अधिकारी वास्तव में अभद्र भाषा का प्रयोग करते पाए गए हैं, तो विभाग की यह कार्रवाई सही और आवश्यक कदम है। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि अंतिम निर्णय से पहले विस्तृत जांच भी जरूरी होगी।
प्रशासनिक सख्ती और नजीर
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए नजीर (Precedent) साबित होगा। उत्तराखंड सरकार ने हाल के वर्षों में कई बार स्पष्ट किया है कि—
- अनुशासनहीनता,
- भ्रष्टाचार,
- और आचार संहिता उल्लंघन
किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
ग्राम पंचायत विकास अधिकारी अंकित कुमार के निलंबन ने यह संदेश दिया है कि सरकारी सेवा में पद और जिम्मेदारी के साथ-साथ व्यवहार और भाषा का भी उतना ही महत्व है। जब तक विभागीय जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक अंकित कुमार बहादराबाद में संबद्ध रहेंगे और केवल जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त करेंगे।
यह मामला एक बार फिर सरकारी कर्मचारियों के लिए अनुशासन और जवाबदेही की अहमियत को रेखांकित करता है।