
नई दिल्ली: देश के बहुचर्चित आर्थिक अपराधियों में शामिल किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर माल्या ने भारत सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उनसे वसूली गई रकम के आंकड़ों को लेकर जनता को गुमराह किया जा रहा है।
हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि माल्या के ये बयान उनकी वही पुरानी रणनीति का हिस्सा हैं, जिसके जरिए वह खुद को पीड़ित साबित करके ब्रिटेन की अदालतों में राहत पाने की कोशिश करते हैं।
दूसरी तरफ, भारत सरकार ब्रिटेन में चल रहे प्रत्यर्पण मामलों में मजबूत स्थिति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा चुकी है। हाल ही में ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) की एक विशेषज्ञ टीम ने दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल का निरीक्षण किया है। यह दौरा उन सभी भगोड़े आर्थिक अपराधियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिनमें विजय माल्या और नीरव मोदी प्रमुख हैं।
माल्या का ताज़ा विवाद: “सरकार और बैंक जनता को भ्रमित कर रहे हैं”
अपने ताज़ा पोस्ट में विजय माल्या ने लिखा कि वित्त मंत्री संसद में कह रही हैं कि उनसे 14,100 करोड़ रुपये वसूले गए हैं, जबकि बैंकों का दावा 10,000 करोड़ रुपये का है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह 4,000 करोड़ रुपये का अंतर आखिर गया कहाँ?
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वित्त राज्य मंत्री संसद में बता रहे हैं कि उनके ऊपर अभी भी 10,000 करोड़ रुपये बकाया हैं, जबकि बैंकों के अनुसार यह राशि 7,000 करोड़ रुपये है।
माल्या ने तर्क दिया कि उनकी “न्यायिक देनदारी” (justified debt) मात्र 6,203 करोड़ रुपये थी, और वसूली गई रकम का कोई स्पष्ट लेखा-जोखा पेश नहीं किया जा रहा।
अपने पोस्ट में उन्होंने कहा,
“मेरे लिए भी यह बहुत दयनीय स्थिति है। सरकार और बैंक कब तक जनता और मुझे धोखा देंगे?”
हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब विजय माल्या ने ऐसा बयान दिया है।
उनके खिलाफ भारत में बैंक धोखाधड़ी, वित्तीय अनियमितताओं और फंड डायवर्जन के कई आरोप साबित हो चुके हैं। भारत छोड़कर ब्रिटेन भागने के बाद से ही वे कानूनी दांव-पेंच का सहारा लेकर प्रत्यर्पण से बचते रहे हैं।
नीरव मोदी और विजय माल्या की ब्रिटेन में दलील—“भारत में सुरक्षा नहीं”
विजय माल्या और PNB घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी दोनों ब्रिटेन की अदालतों में यह दलील देते रहे हैं कि भारत प्रत्यार्पित किए जाने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है।
नीरव मोदी ने सीधा-सीधा दावा किया था कि भारत पहुंचने के बाद वह या तो मार दिया जाएगा या वह खुदकुशी कर लेगा।
इन आरोपों के मद्देनज़र ब्रिटेन की अदालतें हमेशा भारत से विस्तृत जवाब मांगती रही हैं—जेल की स्थितियों, सुरक्षा व्यवस्था और कैदियों के मानवीय अधिकारों के संदर्भ में।
इसी पृष्ठभूमि में ब्रिटेन की CPS टीम का हालिया दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।
CPS टीम का तिहाड़ निरीक्षण—भारत के लिए बड़ा प्लस पॉइंट
सूत्रों के अनुसार, जुलाई में ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस की चार सदस्यीय टीम—दो CPS विशेषज्ञ और दो ब्रिटिश हाई कमीशन अधिकारी—दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल के विस्तृत निरीक्षण के लिए पहुंची थी।
इस टीम ने जेल के हाई-सिक्योरिटी विंग, मेडिकल फ़ैसिलिटी, निगरानी प्रणालियों और विशेष बैरकों का निरीक्षण किया। उनके दौरे का उद्देश्य था:
अगर ब्रिटेन भारत को इन अपराधियों को सौंप देता है, तो क्या उन्हें तिहाड़ में सुरक्षित और मानवीय माहौल मिलेगा?
टीम ने कई पहलुओं की समीक्षा की—
- कैदियों को दी जाने वाली सुरक्षा
- हाई-प्रोफाइल कैदियों के लिए अलग प्रावधान
- मेडिकल सपोर्ट
- CCTV कवर और मॉनिटरिंग
- बैरकों की स्थिति
- किसी भी संभावित आत्मघाती गतिविधि को रोकने की व्यवस्था
यह दौरा सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद अब रिपोर्ट ब्रिटिश सरकार और अदालतों तक पहुँचेगी, जो प्रत्यर्पण मामलों के फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
क्या प्रत्यर्पण के मिलने की संभावना बढ़ रही है?
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत की ओर से जेल सुरक्षा और मानवीय व्यवस्था को लेकर उठाए गए कदमों ने ब्रिटेन को सकारात्मक संकेत दिए हैं।
CPS का तिहाड़ निरीक्षण प्रत्यर्पण प्रक्रिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि ब्रिटेन की अदालतें तभी तय करती हैं कि किसी अपराधी को दूसरे देश भेजा जा सकता है या नहीं।
अगर CPS अपनी रिपोर्ट में तिहाड़ को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पाती है, तो:
- नीरव मोदी का प्रत्यर्पण
- विजय माल्या का प्रत्यर्पण
- और अन्य भगोड़े आर्थिक अपराधियों की वापसी
काफी आसान हो सकती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि 2025 भारत के लिए एक निर्णायक वर्ष हो सकता है, जहाँ कई हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधियों को वापस लाने में सफलता मिल सकती है।
माल्या के बयान—कानूनी दबाव का संकेत?
माल्या के ताज़ा बयान को लेकर कई विशेषज्ञों का मानना है कि वह ब्रिटेन में कानूनी दबाव महसूस कर रहे हैं।
अदालत में उनकी कई दलीलें कमजोर पड़ चुकी हैं, जबकि भारत सरकार लगातार मजबूत प्रत्यर्पण केस प्रस्तुत कर रही है।
उनके बयान में “पीड़ित” बनने की कोशिश भी साफ देखी जा सकती है, जो उनकी स्थिति को राजनीतिक या मानवीय मुद्दे की तरह पेश करती है।
लेकिन तथ्य यह है कि:
- वह कानूनी कार्रवाई के दौरान देश छोड़कर भागे
- उन पर हजारों करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है
- भारतीय अदालतें और एजेंसियाँ उनके खिलाफ मजबूत सबूत प्रस्तुत कर चुकी हैं
- ब्रिटेन की अदालतें उनके तर्कों को कई बार खारिज कर चुकी हैं
क्या भारत जल्द देखेगा आर्थिक भगोड़ों की वापसी?
जैसा कि परिस्थितियाँ बन रही हैं, भारत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत का समय हो सकता है।
ब्रिटेन के साथ न्यायिक सहयोग पहले से बेहतर हो रहा है, और CPS का तिहाड़ निरीक्षण इस दिशा में एक ठोस कदम है। अगर रिपोर्ट भारत के पक्ष में जाती है, तो आने वाले महीनों में:
- विजय माल्या
- नीरव मोदी
- संजय भंडारी
- और अन्य फरार आर्थिक अपराधी भारत की जेलों में वापसी कर सकते हैं।



