
देहरादून, 24 अक्टूबर 2025 | भिक्षा मांगते नन्हे हाथ अब किताबें थाम रहे हैं, और सड़कों पर बिखरा बचपन अब स्कूलों की कक्षाओं में लौट रहा है। देहरादून जिला प्रशासन की अनोखी पहल “भिक्षा से शिक्षा की ओर” धीरे-धीरे एक मॉडल रिहैबिलिटेशन मिशन बन चुकी है, जिसने न केवल भिक्षावृत्ति और बालश्रम की समस्या को जड़ से मिटाने की दिशा में कदम बढ़ाया है, बल्कि उन बच्चों के भविष्य को भी नई दिशा दी है, जिन्हें समाज ने लगभग भुला दिया था।
मा. मुख्यमंत्री की प्रेरणा से शुरू हुए इस अभियान के तहत अब तक 82 बच्चों को रेस्क्यू कर स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है। यह पहल जिला प्रशासन की ‘आधुनिक इंटेंसिव केयर सेंटर योजना’ के अंतर्गत चलाई जा रही है, जो बच्चों के सर्वांगीण विकास को केंद्र में रखती है — शिक्षा, स्वास्थ्य, संगीत, योग और खेल के माध्यम से उन्हें मुख्यधारा से जोड़ रही है।
साधूराम इंटर कॉलेज में बन रहा अत्याधुनिक इंटेंसिव केयर सेंटर
जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में शुक्रवार को कलेक्ट्रेट स्थित ऋषिपर्णा सभागार में आयोजित जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति (DCWPC), बाल कल्याण समिति (CWC) और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 की बैठक में इस परियोजना की समीक्षा की गई।
डीएम ने बताया कि राजकीय साधूराम इंटर कॉलेज, राजा रोड में ₹1.5 करोड़ की लागत से आधुनिक इंटेंसिव केयर सेंटर का निर्माण किया जा रहा है। यहाँ भिक्षावृत्ति और बालश्रम से मुक्त कराए गए बच्चों को काउंसलिंग, खेलकूद, योग, संगीत और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा से जोड़ा जा रहा है।
अब तक दो चरणों में 82 बच्चों को पुनर्वास मिला है —
- पहले चरण में 51 बच्चों को विभिन्न स्कूलों में दाखिला दिलाया गया।
- दूसरे चरण में 31 बच्चों को राजकीय प्राथमिक विद्यालय परेड ग्राउंड और साधूराम इंटर कॉलेज में प्रवेश मिला।
डीएम ने कहा कि,
“हमारा लक्ष्य केवल बच्चों को सड़कों से हटाना नहीं, बल्कि उन्हें ऐसा वातावरण देना है, जहाँ वे शिक्षा और आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ सकें। यह इंटेंसिव केयर सेंटर बच्चों के लिए आशा का घर बन रहा है।”
सुरक्षा और पारदर्शिता पर कड़े निर्देश
बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए कि बालगृहों में कार्यरत कर्मचारियों का थानेवार रेंडम सत्यापन अनिवार्य रूप से किया जाए। साथ ही अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आदेश दिए गए कि अगले 10 दिनों के भीतर सभी बालगृहों में RBSK टीम भेजकर बच्चों की स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और चिकित्सा रिकॉर्ड अपडेट करें।
इसके अलावा, ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर को निर्देश दिए गए कि सभी बालगृहों में आधार कार्ड अपडेट और नए कार्ड निर्माण के लिए विशेष शेड्यूल तैयार किया जाए ताकि किसी बच्चे की पहचान या सेवा से जुड़ी अड़चन न रहे।
अनाथ बच्चों के प्रमाण पत्र और कार्ड के लिए विशेष शिविर
बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि बालगृहों में रह रहे अनाथ बच्चों के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिनमें अनाथ प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड और राशन कार्ड बनवाने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
डीएम ने कहा कि,
“हर बच्चे का सामाजिक और प्रशासनिक पहचान अधिकार सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। किसी बच्चे को केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि राज्य की सभी योजनाओं तक अधिकारिक पहुँच मिलनी चाहिए।”
वार्ड और ग्राम स्तर पर बाल संरक्षण समितियाँ सक्रिय होंगी
जिलाधिकारी ने सभी नगर निगम, नगर पालिका और ग्राम पंचायत स्तर पर बाल संरक्षण समितियों को पुनः सक्रिय करने के निर्देश दिए। मिशन वात्सल्य गाइडलाइन के अंतर्गत अनटाइड अनुदान का 5% बजट अब बाल संरक्षण और कल्याण कार्यों पर खर्च किया जाएगा। साथ ही, जो संस्थाएँ जेजे एक्ट (Juvenile Justice Act) के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें शीघ्र पंजीकरण कराने को कहा गया है।
तीन माह में 138 बच्चों को मिली आज़ादी
बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से सितंबर 2025 के बीच कुल 136 बच्चों को देखभाल एवं संरक्षण हेतु प्रस्तुत किया गया, जबकि 138 बच्चों को मुक्त कराया गया। इनमें से 70 बच्चे भिक्षावृत्ति में, 14 बच्चे बालश्रम में संलिप्त पाए गए। वहीं अन्य राज्यों के 6 बच्चों को उनके परिजनों के पास सुरक्षित भेजा गया।
इस दौरान जिला प्रशासन ने अंतरविभागीय रेस्क्यू टीम और 3 रेस्क्यू वाहनों की तैनाती की है, जो शहर के विभिन्न इलाकों में लगातार गश्त कर रहे हैं। टीम में होमगार्ड, पुलिस, शिक्षा विभाग, श्रम विभाग, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, और कई एनजीओ शामिल हैं।
चाइल्ड हेल्पलाइन 1098: बचपन की आवाज़ बन रही है
बैठक में चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 के माध्यम से प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की गई। जिनमें बालश्रम, भिक्षावृत्ति, नशे की लत, बाल विवाह, यौन उत्पीड़न, अनाथ और परित्यक्त बच्चों से संबंधित प्रकरण शामिल थे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना और भारत सरकार की मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत चल रही स्पॉन्सरशिप और दत्तक ग्रहण योजनाओं की प्रगति पर भी चर्चा की गई।
दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षक की व्यवस्था
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि श्री सत्य साई सेवा आश्रम, आमवाला, देहरादून में निवासरत दिव्यांग बच्चों के लिए राजकीय प्राथमिक विद्यालय, आमवाला (ब्लॉक सहसपुर) में एक विशेष शिक्षक की नियुक्ति तत्काल की जाए, ताकि उनकी शिक्षा में कोई बाधा न आए।
बैठक में उपस्थित अधिकारी और प्रतिनिधि
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, अपर जिलाधिकारी के.के. मिश्रा, मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट, जिला पूर्ति अधिकारी के.के. अग्रवाल, जिला बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष नमिता ममगांई, पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर, तथा विभिन्न एनजीओ प्रतिनिधि और विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
एक उम्मीद — हर बच्चे के लिए शिक्षा का अधिकार
देहरादून प्रशासन का यह अभियान राज्य में बाल संरक्षण की दिशा में एक मानव-केंद्रित और संस्थागत सुधार मॉडल बन रहा है। जहाँ पहले भिक्षावृत्ति केवल सड़कों पर दिखती थी, वहीं अब इन बच्चों की आवाज़ स्कूलों, खेल मैदानों और संगीत कक्षाओं में गूंज रही है।
डीएम सविन बंसल ने कहा —“भिक्षा से शिक्षा की ओर केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह बताता है कि यदि प्रशासन और समाज साथ चलें, तो कोई भी बच्चा सड़क पर नहीं, बल्कि स्कूल में हो सकता है।”



