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देश में खाद्यान्न उत्पादन ने तोड़े रिकॉर्ड, 2024-25 में 3539.59 लाख टन उत्पादन: शिवराज सिंह चौहान

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रिपोर्ट  : प्रवीण कुमार 

नई दिल्ली, 28 मई 2025 : भारत ने वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 3539.59 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन हासिल कर लिया है। यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने तृतीय अग्रिम अनुमान जारी करते हुए दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि देश के किसानों की मेहनत, कृषि वैज्ञानिकों की नवोन्मेष क्षमता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों का परिणाम है।

श्री चौहान ने बताया कि धान, गेहूं, मक्का, मूंगफली और सोयाबीन का उत्पादन अब तक के सर्वाधिक स्तर पर पहुँच गया है। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी जी का ध्यान सदैव कृषि उत्पादन बढ़ाने, लागत घटाने और किसानों को उचित मूल्य दिलाने पर रहा है।”

मुख्य फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन

  • धान: 1490.74 लाख मीट्रिक टन (पिछले वर्ष से 112.49 लाख टन अधिक)

  • गेहूं: 1175.07 लाख मीट्रिक टन (पिछले वर्ष से 42.15 लाख टन अधिक)

  • मक्का: 422.81 लाख मीट्रिक टन (रिकॉर्ड)

  • श्रीअन्न (पोषक अनाज): 180.15 लाख मीट्रिक टन (4.43 लाख टन की वृद्धि)

  • चना: 113.37 लाख मीट्रिक टन

  • तूर: 35.61 लाख मीट्रिक टन (1.44 लाख टन अधिक)

  • मूंग: 38.19 लाख मीट्रिक टन (7.16 लाख टन अधिक)

  • दलहन कुल: 252.38 लाख मीट्रिक टन (9.92 लाख टन अधिक)

तिलहन और गन्ना भी रिकॉर्ड स्तर पर

  • तिलहन कुल: 426.09 लाख मीट्रिक टन (29.40 लाख टन की वृद्धि)

    • सोयाबीन: 151.80 लाख मीट्रिक टन (21.18 लाख टन अधिक)

    • मूंगफली: 118.96 लाख मीट्रिक टन (17.16 लाख टन अधिक)

    • रेपसीड-सरसों: 126.06 लाख मीट्रिक टन

  • गन्ना: 4501.16 लाख मीट्रिक टन

  • कपास: 306.92 लाख गांठें (प्रत्येक 170 किलोग्राम)

  • जूट: 84.33 लाख गांठें (प्रत्येक 180 किलोग्राम)

नीतियों का असर स्पष्ट: शिवराज सिंह

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN), फर्टिलाइज़र सब्सिडी, कम ब्याज दरों पर केसीसी ऋण, पर ड्रॉप-मोर क्रॉप, और कृषि यंत्रीकरण योजनाओं ने किसानों की आय बढ़ाने में मदद की है। उन्होंने कहा, “उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, किसानों को उचित दाम देना और नुकसान की भरपाई करना हमारी सरकार की प्राथमिकताएं रही हैं।”

वैज्ञानिक अनुसंधान और राज्यों का योगदान

श्री चौहान ने कहा कि कृषि अनुसंधान संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों, तथा राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों से देश का कृषि परिदृश्य बदल रहा है। “हमारा अगला लक्ष्य दलहन और तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता को और मजबूती देना है,” उन्होंने कहा।

यह रिपोर्ट देश में कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और खेती को लाभकारी बनाने के प्रयासों की सशक्त तस्वीर प्रस्तुत करती है। यदि यह वृद्धि रफ्तार बनाए रखती है, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाएगा।

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