
नई दिल्ली: उत्तर भारत में बाढ़ की भीषण मार झेल रहे राज्यों में अब युवा डॉक्टरों को राहत कार्यों के लिए तैनात किया जाएगा। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (National Medical Commission – NMC) के पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (PGMEB) ने सभी मेडिकल कॉलेजों को आदेश जारी किया है कि वे अपने पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल छात्रों को तुरंत आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भेजें।
आयोग ने साफ किया है कि यह तैनाती डिस्ट्रिक्ट रेजिडेंसी प्रोग्राम (DRP) के अंतर्गत होगी और इसे छात्रों की अनिवार्य रेजिडेंसी ट्रेनिंग का हिस्सा माना जाएगा।
आपदा प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती
वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान के कई जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं।
- नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है।
- कई जगहों पर फ्लैश फ्लड और भूस्खलन ने हालात और खराब कर दिए हैं।
- हजारों लोग विस्थापित हुए हैं और कई इलाकों में संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
स्थानीय अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर अचानक मरीजों की भीड़ बढ़ गई है, जिससे मौजूदा स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया है। ऐसे में पीजी डॉक्टरों की तैनाती से न केवल डॉक्टरों की कमी पूरी होगी बल्कि प्रभावित लोगों को त्वरित चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध हो सकेगी।
NMC का आदेश – सीखने और सेवा करने का अवसर
NMC ने अपने आदेश में कहा है कि प्राकृतिक आपदा जैसे हालात में डॉक्टरों की सीधी भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है। इस तैनाती से छात्रों को डिजास्टर रिस्पॉन्स, पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट और सामुदायिक सेवा जैसे क्षेत्रों में अमूल्य अनुभव मिलेगा।
आयोग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे स्थानीय आवश्यकताओं और हालात को देखते हुए पीजी छात्रों की तैनाती सुनिश्चित करें।
गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार की भूमिका
गृह मंत्रालय ने हाल ही में बाढ़ प्रभावित राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की अपील की थी। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने संयुक्त रूप से राहत कार्यों को तेज किया।
कई मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों ने खुद से आपदा प्रबंधन कार्यों में हिस्सा लेने की इच्छा जताई थी। अब NMC का यह आदेश इस दिशा में औपचारिक कदम है।
पंजाब और उत्तराखंड में पहुंची डॉक्टरों की टीमें
गौरतलब है कि हाल ही में एम्स दिल्ली ने पंजाब के बाढ़ प्रभावित इलाकों में विशेष टीम भेजी थी। यह टीम दवाइयों और आपात चिकित्सा सुविधाओं के साथ राहत कार्य में लगी है। इसी तरह उत्तराखंड में भी अस्थायी मेडिकल कैम्प लगाए गए हैं, जहां स्थानीय डॉक्टरों के साथ युवा चिकित्सक भी काम कर रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की पहल से प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल संकट का समाधान होगा और भविष्य के डॉक्टरों को व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलेगा।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि –
- युवा डॉक्टरों की सक्रिय भागीदारी से न केवल मौजूदा आपदा से निपटने में मदद मिलेगी बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
- पीजी डॉक्टरों को वास्तविक परिस्थितियों में काम करने का अनुभव मिलेगा, जो भविष्य में किसी भी बड़े संकट का सामना करने में कारगर साबित होगा।
- मरीजों को समय पर दवा, जांच और देखभाल मिलने से बीमारियों के फैलने का खतरा कम होगा।
आम जनता को राहत की उम्मीद
गांवों और कस्बों में फंसे लोगों को लंबे समय से चिकित्सकीय सुविधा का इंतजार था। डॉक्टरों की तैनाती से न केवल घायलों और बीमारों को राहत मिलेगी, बल्कि बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए भी जीवनरक्षक सेवाएं उपलब्ध हो पाएंगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर स्वास्थ्य सेवाओं को समय रहते मजबूत नहीं किया गया, तो बाढ़ के बाद होने वाले संक्रमण और महामारी का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में डॉक्टरों की तैनाती एक बड़ा कदम है।
उत्तर भारत में बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस आपदा के बीच NMC का आदेश एक अहम पहल है, जो न केवल प्रभावित जनता के लिए राहत लेकर आएगा बल्कि युवा डॉक्टरों को सीखने का एक ऐतिहासिक अवसर भी देगा।
युवा डॉक्टर अब सिर्फ इलाज ही नहीं करेंगे, बल्कि आपदा प्रबंधन की असली पाठशाला से भी गुजरेंगे।