
- नई दिल्ली: उत्तर भारत इन दिनों बाढ़ और भारी बारिश की चपेट में है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों में बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई है। इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा करेंगे और हालात का जायजा लेकर केंद्र की ओर से राहत और पुनर्वास उपायों की समीक्षा करेंगे।
बाढ़ और लगातार बारिश के कारण कई राज्यों में सड़कों और संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ है। हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और अब तक सैकड़ों जानें जा चुकी हैं। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर राहत एवं बचाव कार्य चला रही हैं।
सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी जिन राज्यों का दौरा करेंगे उनमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब प्रमुख हैं। ये राज्य बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
- हिमाचल प्रदेश: यहां कई जगहों पर भूस्खलन और सड़कें टूटने से गांव और कस्बे बाहरी दुनिया से कट गए हैं। हजारों पर्यटक और स्थानीय लोग फंसे हुए हैं।
- उत्तराखंड: कई राष्ट्रीय राजमार्ग और ग्रामीण सड़कें अवरुद्ध हैं। नदी-नालों के उफान ने सैकड़ों घर बहा दिए हैं।
- पंजाब: बाढ़ ने यहां खेत-खलिहानों और गांवों को जलमग्न कर दिया है। फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं।
प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब कई राज्य सरकारें केंद्र से आर्थिक सहायता की मांग कर रही हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने किया पंजाब का दौरा
इससे पहले कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को पंजाब के अमृतसर जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने ग्रामीणों और किसानों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं।
चौहान ने कहा—
“पंजाब हमेशा से देश और मानवता की सेवा में सबसे आगे रहा है। लेकिन आज राज्य बाढ़ के कारण मुश्किल दौर से गुजर रहा है। कई गांव प्रभावित हैं और खेत पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। केंद्र सरकार पंजाब के लोगों के साथ खड़ी है।”
उन्होंने बताया कि हालात का आकलन करने के लिए दो केंद्रीय दल पंजाब पहुंचे हैं और वे जल्द ही केंद्र को विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे।
पंजाब में स्थिति भयावह
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है और 3.55 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।
- लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पानी में डूब गई है।
- गन्ना, धान और सब्जियों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं।
- कई इलाकों में बिजली और पीने के पानी की आपूर्ति बाधित है।
स्थानीय प्रशासन ने राहत शिविर बनाए हैं, जहां प्रभावित परिवारों को अस्थायी तौर पर ठहराया गया है।
हिमाचल और उत्तराखंड में तबाही
हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन को तहस-नहस कर दिया है।
- अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है।
- सैकड़ों सड़कें और पुल बह गए हैं।
- शिमला, कुल्लू, मंडी और चंबा जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
वहीं, उत्तराखंड में नदियों और नालों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। कई राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हैं और यात्री बीच रास्ते फंसे हुए हैं। नैनीताल, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में स्थिति बेहद गंभीर है।
केंद्र और राज्य सरकारों की तैयारी
केंद्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित राज्यों में राहत और बचाव कार्य के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें भेजी हैं।
भारतीय वायुसेना और सेना भी प्रभावित इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राहत सामग्री, दवाएं और पीने का पानी तुरंत प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाया जाए। इसके साथ ही कृषि नुकसान का आकलन कर किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया तेज करने को भी कहा गया है।
बाढ़ से बढ़ी आर्थिक चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की बाढ़ का असर केवल जनजीवन पर ही नहीं, बल्कि राज्यों की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा पड़ सकता है।
- पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्यों में फसलों की तबाही से देश के खाद्य भंडार पर दबाव बढ़ेगा।
- पर्यटन पर निर्भर हिमाचल और उत्तराखंड को आर्थिक झटका लगेगा।
- बुनियादी ढांचे की मरम्मत पर हजारों करोड़ रुपये खर्च होंगे।
आगे क्या?
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में भी कुछ राज्यों में भारी बारिश हो सकती है। ऐसे में प्रशासन को लगातार सतर्क रहने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी का आगामी दौरा न केवल प्रभावित लोगों के लिए हौसला बढ़ाने वाला कदम होगा, बल्कि इससे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राहत और पुनर्वास कार्यों में बेहतर समन्वय की उम्मीद भी है।
उत्तर भारत इस समय बाढ़ की भीषण मार झेल रहा है। पंजाब से लेकर हिमाचल और उत्तराखंड तक हजारों गांव पानी में डूबे हुए हैं। जान-माल की हानि और फसलों के नुकसान ने लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी छीन ली है।
प्रधानमंत्री मोदी का दौरा इस संकट की घड़ी में राहत कार्यों को नई गति देगा। अब देखना यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर किस तरह जल्द से जल्द प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास प्रदान करती हैं।