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उत्तराखंड की प्रसिद्ध 10 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ, आप भी जानें इनके फायदे

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उत्तराखंड के आयुर्वेद पद्धति में यहाँ की जीवन दायिनी जड़ी-बूटियों का एक अलग ही महत्त्व है। यहाँ की सामान्य जन को अपने आसपास उगने वाली वनस्पति और पायी जाने वाली जड़ीबूटी की इतनी जानकारी होती जिससे वह रोजमर्रा के स्वास्थ्य सम्बन्धी विकारों को दूर कर सके। उत्तराखंड के हिमालय में आयुर्वेद के जनक वैद्यराज चरक द्वारा ही कई जड़ी बूटियों का संग्रह किया गया था। आइये एक नजर डालते है यहाँ की विश्वविख्यात जड़ी-बूटियों के बारे में-

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1- तुलसी:-

तुलसी (Holy Basil) अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ इस वनस्पति को दूसरी संजीवनी के नाम से भी जाना जाता है। ओसीमम सेक्टम नाम का यह पौधा आगने एंटी माइक्रोविमल गुणों के कारण श्वास नली से जुड़े रोगों के उपचार में कारगर है। इसके साथ यह एंटी बैक्टीरियल का भी काम करता है।

2- ब्राह्मी:-

ब्राह्मी (Waterhyssop) नाम का यह पौधा आपने बुद्विवर्धक गुण के कारण ब्रेनबूस्टर के नाम से भी जाना जाता है। ब्राह्मी एसिड, लाइकोसाइड, वैलेटिन आदि तत्वा व यौगिकों से भरपूर ब्राह्मी नदियों किनारे या फिर नमी वाले स्थानों पर होता है। असली ब्राह्मी की पहचान है कि इसकी एक टहनी में कई सारे पत्ते होते हैं और इसके फूल सफेद और छोटे-छोटे होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार ब्राह्मी बुद्धिवर्धक, पित्तनाशक, मजबूत याददाश्त, ठंडक देने के साथ शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।

3- जखिया:-

जखिया (Cleome viscosa) ऊंचे पहाड़ों पर प्राकृतिक रूप से उगने वाले औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। इसके बीजों का तड़का जहां दाल, सब्जी के स्वाद को दुगना कर देता है, वहीं रायता, चटनी आदि में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके पत्तियों की सब्जी स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। कहने को तो यह एक जंगली पौधा है, मगर इसके बीज में पाए जाने वाला प्रोटीन, फैटी एसिड, अम्ल, फाइबर, स्टार्च, कार्बोहाइड्रेट अमीनो विटामिन ई और सी समेत कई पोषक तत्व विभिन्‍न तरह के रोगों के इलाज में कारगर माने जाते हैं।

4- काला जीरा:-

काला जीरा (Black Cumin) सर्दी-जुकाम के इलाज में काफी असरदार बीज है। यह प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ा कर घातक वायरस से लड़ने की ताकत देने वाला काला जीरा कई रोगों से छुटकारा दिलाने में मददगार है। मसलन, कैंसररोधी, सर्दी-जुकाम, पेट संबंधी रोग मैथी के साथ काला जीरा पीस कर बनने वाला चूर्ण प्रयोग कीजिए

5- मेथी:-

मेथी (Fenugreek) कलेस्ट्रॉल लेवल कम करना हो, ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करना हो, वजन घटाना हो, पाचन से जुड़ी दिक्कतें दूर करनी हो, इन सारी समस्याओं का अगर कोई एक इलाज है तो वो है मेथी के दाने या फेनुग्रीक (Fenugreek), मेथी हरी सब्जी को स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना गया है। शीत ऋतु के साथ ही बदलते मौसम में मेथी के पत्तों की सब्जी मधुमेह व रक्तचाप के पीड़ितों के लिए रामवाण मानी गई है।

6- बुरांश:-

बुरांश (Rhododendron) पहाड़ मे मिलन वाला बुरांश एक फूल है, मगर है बेहद गुणकारी। आयुर्वेद में तक इसके गुणों का जिक्र मिलता है। दरअसल, बुरांश का फूल हो या उसका रस, हमारे श्वसन तंत्र को मजबूत कर सांस संबंधी सभी रोगों के नाश की ताकत रखता है। यही नहीं विशेषज्ञ वताते हैं कि वुरांश के सूखे फ्तों को तंबाकू के साथ मिलाकर धूम के रूप में लेने से दमा और पुरान खांसी से निजात मिलती है। हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में इसके फूलों से शर्बत भी बनाया जाता है। जब गर्मी का मौसम आता है तो बुरांश के वृक्ष में फूल आते हैं।

7- दूब घास:-

दूब घास (Scutch Grass) दूब घास बारह मास हरी रहती है। एसिटिक एसिड, फेरिलीक एसिड, फाइबर, विटामिन ए एव सी की प्रचुरता के कारण यह मधुमेह, रक्त शुद्धि, मासिक धर्म नियंत्रणके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करती है। दूब घास का औषधीय गुण हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण संस्कारों का एक अध्याय है। जो हमारे जीवन में बहुत सी औषधीय के रूप में प्रयोग किया जाता है। इतना ही नहीं मधुमेह रोगी के लिये भी बहुत लाभकारी प्रमाणित किया जा चुका है।

8- पहाड़ी हल्दी:-

पहाड़ी हल्दी (Turmeric) पहाड़ी हल्दी रासायनिक दवाइयों और खाद से परे पहाड़ की जैविक हल्दी जितनी गुणकारी है, उत्तनी ही पवित्र भी मानी जाती है। विश्वभर में हल्दी अपने औषधीय एवं औद्योगिक उपयोग के कारण अपनी एक विशिष्ट पहचान व स्थान रखती है। भारत के उत्तरी हिमालयी राज्य उत्तराखंड की पहाड़ी हल्दी भी विश्वभर में हल्दी निर्यात एवं उत्पादन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। गहरा पीलापन लिए हल्दी में जीवाणु व शुगर नाशक होने के साथ ही पेट के रोग, कैंसर आदि के इलाज का गुण भी है।

9- जटामांसी

जटामांसी Spikenard उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली यह वनस्पति अवसाद और तनाव के साथ थकान मिटाती है। हृदय, बुखार, मस्तिष्क या सिर से जुड्ली समस्या हो या प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, दिल और रक्तचाप आदि रोग दूर करने का उपाय। इस पौधे के रोएदार तने और जड़ अचूक औषधि है। विषाणुओं से लड़ने की इसमें ताकत है। जटामांसी सहपुष्पी औषधीय पौधा होता है।

10- चीड़:-

चीड़ (Pine) आयुर्वेद में इस पेड़ को सेहत के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। इसे आंचलिक बोली में दाम, स्थूत या पहाड़ी बादाम भी कहा जाता है। इससे निकलने वाले तारपीन के तेल और चिपचिपे गोंद का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। एंटी वायरल व वैक्टीरियल तथा प्रोटीन से लबरेज चीड़ में कार्वोह्नइड्रेट बहुत कम तो वसा स्वस्थ रूप में पाया जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी यह बढ़ाता है। इसके अलावा इसकी लकडियां, छाल आदि मुंह और कान के रोगों को ठीक करने के अलावा अन्य कई समस्याओं में भी उपयोगी हैं।

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