
नई दिल्ली, 17 दिसंबर। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लगातार गंभीर होते वायु प्रदूषण के बीच सरकार ने एक और कड़ा कदम उठाया है। दिल्ली के बाहर पंजीकृत गैर-बीएस6 (भारत स्टेज-6 से पुराने मानक) वाहनों के राजधानी में प्रवेश पर बृहस्पतिवार से पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। इस फैसले के सख्त और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए दिल्ली यातायात पुलिस और परिवहन विभाग के प्रवर्तन दलों को राजधानी के सभी प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर तैनात किया जाएगा।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बने रहने के कारण यह निर्णय लिया गया है। खासतौर पर सर्दियों के मौसम में वाहनों से निकलने वाला धुआं, पराली जलाने, धूल और प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों के कारण प्रदूषण और अधिक खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।
80 तक प्रवर्तन दल मैदान में, हर बॉर्डर पर होगी 24×7 निगरानी
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग के पास 78 से 80 प्रवर्तन दल उपलब्ध हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से राजधानी के प्रमुख बॉर्डर प्वाइंट्स पर तैनात किया जाएगा। इन दलों की तैनाती कुंडली, टिकरी बॉर्डर, रजोकरी, आया नगर, कालिंदी कुंज, औचंदी, मंडोली, कापसहेड़ा, बाजघेरा टोल और द्वारका एक्सप्रेसवे सहित अन्य संवेदनशील प्रवेश मार्गों पर की जाएगी।
इन स्थानों पर तैनात टीमें न केवल वाहनों की जांच करेंगी, बल्कि ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरों और अन्य तकनीकी साधनों की मदद से गैर-अनुपालन करने वाले वाहनों की पहचान भी करेंगी।
क्यों जरूरी है गैर-बीएस6 वाहनों पर रोक?
विशेषज्ञों के अनुसार, गैर-बीएस6 वाहन, खासकर डीज़ल से चलने वाले पुराने ट्रक, बसें और भारी वाहन, PM2.5, PM10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे खतरनाक प्रदूषकों का सबसे बड़ा स्रोत हैं। ये सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों में जाकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग और आंखों में जलन जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक इस प्रदूषण के संपर्क में रहने से बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने राजधानी में केवल BS-VI मानक वाले वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति देने का फैसला किया है।
GRAP के तहत लागू किए जा रहे हैं कड़े कदम
यह प्रतिबंध ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत लागू किया जा रहा है। GRAP के उच्च चरण में पहुंचने पर सरकार को कई आपात कदम उठाने होते हैं, जिनमें निर्माण कार्यों पर रोक, डीज़ल जेनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध और पुराने वाहनों की आवाजाही सीमित करना शामिल है।
अधिकारियों का कहना है कि यदि प्रदूषण का स्तर आने वाले दिनों में और बिगड़ता है, तो अतिरिक्त सख्ती भी की जा सकती है और प्रवर्तन दलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
उल्लंघन करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ भारी जुर्माना, चालान, और आवश्यक होने पर वाहन जब्ती जैसी कार्रवाई की जाएगी। गैर-बीएस6 वाहन पाए जाने पर उन्हें दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी और वापस लौटाया जाएगा।
यातायात पुलिस को भी निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी तरह की ढील न बरती जाए और सभी बॉर्डर प्वाइंट्स पर एक समान कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
दिल्लीवासियों से सहयोग की अपील
दिल्ली सरकार और प्रशासन ने आम जनता से इस फैसले में सहयोग की अपील की है। लोगों से कहा गया है कि वे निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन, मेट्रो, बस, कार-पूलिंग और इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिक से अधिक उपयोग करें।
साथ ही, दिल्ली आने वाले बाहरी राज्यों के वाहन चालकों को सलाह दी गई है कि वे यात्रा से पहले अपने वाहन का उत्सर्जन मानक जांच लें, ताकि अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।
स्वच्छ हवा की दिशा में निर्णायक कदम
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला अल्पकालिक रूप से भले ही असुविधाजनक लगे, लेकिन लंबे समय में यह दिल्ली की हवा को साफ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक कदम साबित हो सकता है। यदि इस प्रतिबंध का सख्ती से पालन कराया गया, तो प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय गिरावट देखी जा सकती है।
सरकार का कहना है कि राजधानी में रहने वाले करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए ऐसे कठोर लेकिन जरूरी फैसले लिए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में प्रदूषण की स्थिति की समीक्षा के आधार पर आगे के कदम तय किए जाएंगे।



