चमोली / देहरादून, 28 अक्टूबर: उत्तराखंड के पहाड़ी जिले चमोली में सोमवार शाम भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। स्थानीय प्रशासन और राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.4 मापी गई और इसका केंद्र धरातल से लगभग पांच किलोमीटर की गहराई में था।
भूकंप के झटके कल शाम को लगभग 6 बजकर 45 मिनट (पौने सात बजे) के आसपास महसूस किए गए, जिसके बाद स्थानीय लोगों में कुछ समय के लिए दहशत फैल गई। हालांकि राहत की बात यह रही कि अब तक किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है।
लोग घरों से बाहर निकले, प्रशासन ने जारी की अपील
जैसे ही झटके महसूस हुए, कई इलाकों में लोग अपने घरों और दुकानों से बाहर निकल आए। चमोली नगर, जोशीमठ, गैरसैंण, घाट और कर्णप्रयाग क्षेत्र में लोगों ने हल्के झटके महसूस किए।
चमोली के जिलाधिकारी गौरव कुमार ने बताया —
“भूकंप के झटके हल्के थे। किसी तरह की क्षति की सूचना नहीं है। स्थानीय प्रशासन पूरी सतर्कता के साथ हालात की निगरानी कर रहा है। लोगों से अपील है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें।”
उन्होंने कहा कि राजस्व, पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग की टीमें सक्रिय हैं और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने अपने आधिकारिक पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार बताया कि भूकंप का केंद्र चमोली जिले के भीतर स्थित था, जिसकी गहराई लगभग 5 किलोमीटर रही।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तीव्रता का भूकंप स्थानीय स्तर पर हल्के झटके पैदा करता है, लेकिन इससे आमतौर पर बड़े पैमाने पर नुकसान की संभावना नहीं होती।
भूकंप विज्ञानियों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में इस तरह के हल्के भूकंप सामान्य हैं, क्योंकि यह इलाका भूगर्भीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में आता है।
भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील है चमोली
उत्तराखंड का चमोली जिला भूकंपीय जोन-5 में आता है, जो देश के सबसे संवेदनशील जोनों में से एक है।
यह इलाका हिमालय की टेक्टॉनिक प्लेटों के बीच स्थित है, जहाँ भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से लगातार टकरा रही है। इस भूगर्भीय गतिविधि के कारण प्रदेश में समय-समय पर हल्के या मध्यम दर्जे के भूकंप आते रहते हैं।
भूकंप विशेषज्ञ डॉ. आर.एस. चौहान के अनुसार,
“उत्तराखंड का भूगर्भीय ढांचा लगातार दबाव में है। भले ही 3.4 तीव्रता का भूकंप हल्का माना जाता है, लेकिन बार-बार आने वाले झटके यह संकेत देते हैं कि धरातल के भीतर तनाव (Seismic Stress) बढ़ रहा है। ऐसे में आपदा प्रबंधन की तैयारी हमेशा मजबूत रहनी चाहिए।”
जोशीमठ के लोग रहे सतर्क
गौरतलब है कि चमोली जिला पहले से ही जोशीमठ भू-धंसाव (Land Subsidence) जैसी घटनाओं को लेकर संवेदनशील बना हुआ है।
भूकंप के झटकों के बाद जोशीमठ और आस-पास के गांवों में लोग सतर्क हो गए।
स्थानीय निवासी मोहन सिंह नेगी ने बताया —
“जैसे ही दीवारें हिलीं, हम तुरंत बाहर निकल आए। कुछ देर तक सभी लोग मैदान में रहे। डर जरूर लगा, लेकिन जल्द ही सब सामान्य हो गया।”
जोशीमठ प्रशासन ने बताया कि किसी भी भवन में दरार या नई क्षति की सूचना नहीं मिली है। टीमों को क्षेत्र का सर्वे करने के लिए भेजा गया है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग सक्रिय
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) ने बताया कि घटना के तुरंत बाद सभी जिलों को “स्थिति पर नजर रखने” और आपातकालीन संपर्क तंत्र सक्रिय रखने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य आपदा प्रबंधन सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा —
“सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे राहत और बचाव टीमों को तैयार रखें। अभी तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन निगरानी जारी रहेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को अपने घरों में आपातकालीन किट (टॉर्च, बैटरी, प्राथमिक चिकित्सा, और जरूरी दस्तावेज) हमेशा तैयार रखनी चाहिए।
हल्के भूकंप भी चेतावनी का संकेत
विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही 3.4 तीव्रता का भूकंप हल्का माना जाता है, लेकिन बार-बार ऐसे झटके यह याद दिलाते हैं कि उत्तराखंड का भूभाग भूगर्भीय रूप से अत्यंत सक्रिय है।
2019 से अब तक राज्य में 5 से अधिक बार 3 से 4.5 तीव्रता के भूकंप दर्ज किए जा चुके हैं।
आईआईटी रुड़की के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के शोधकर्ता डॉ. नीरज गुप्ता बताते हैं —
“यह इलाका मुख्य हिमालयी फॉल्ट लाइन (Main Himalayan Thrust) पर स्थित है। यहां माइक्रो सीस्मिक गतिविधियां लगातार होती रहती हैं। हमें छोटे भूकंपों को भी गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह भविष्य के बड़े झटकों के संकेत हो सकते हैं।”
सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहें, प्रशासन ने दी चेतावनी
भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैलने लगीं। कुछ यूजर्स ने “भूकंप दोबारा आने वाला है” जैसी झूठी पोस्ट साझा कीं।
इस पर चमोली पुलिस ने तत्काल बयान जारी कर कहा —
“कृपया किसी भी अपुष्ट जानकारी को साझा न करें। प्रशासन लगातार निगरानी कर रहा है और सभी नागरिक सुरक्षित हैं।”
फिलहाल स्थिति सामान्य
रात तक पूरे जिले में स्थिति सामान्य हो गई थी। लोग अपने घरों में लौट आए और बिजली, संचार या सड़कों को किसी तरह की क्षति नहीं हुई। प्रशासन ने कहा कि निगरानी टीमें अगले 24 घंटे तक सक्रिय रहेंगी ताकि किसी भी आफ्टरशॉक या द्वितीयक प्रभाव का समय रहते पता लगाया जा सके।
उत्तराखंड का चमोली एक बार फिर धरती की हलचल का गवाह बना, लेकिन इस बार राहत रही कि किसी नुकसान की खबर नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएँ हमें यह याद दिलाती हैं कि भूकंप से बचाव तैयारी (Earthquake Preparedness) ही सबसे बड़ी सुरक्षा है —और यह तैयारी प्रशासन के साथ-साथ आम नागरिकों को भी करनी चाहिए।



