
नई दिल्ली/वर्धा। राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence–DRI) ने नशे के खिलाफ अपने अब तक के सबसे महत्वपूर्ण अभियानों में से एक “ऑपरेशन हिंटरलैंड ब्रू” के तहत महाराष्ट्र के वर्धा जिले में एक बड़े ड्रग निर्माण नेटवर्क को ध्वस्त किया है। इस गुप्त कार्रवाई में DRI ने जंगलों से घिरे एक निर्जन क्षेत्र में संचालित हो रही अवैध मेफेड्रोन (Mephedrone) निर्माण फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। इस ऑपरेशन में लगभग 128 किलो मेफेड्रोन, 245 किलो प्रीकर्सर केमिकल, भारी मात्रा में कच्चा माल और पूरा प्रोसेसिंग सेटअप जब्त किया गया है। बरामद किए गए ड्रग्स और उपकरणों का कुल मूल्य करीब 192 करोड़ रुपये आंका गया है, जो हाल के वर्षों में DRI द्वारा की गई सबसे बड़ी कार्रवाई में से एक है।
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि यह ऑपरेशन विशेष खुफिया सूचना पर आधारित था, जिसके बाद DRI टीमों ने कई दिनों तक इलाके में चुपचाप निगरानी की और फिर एक सुविचारित खोज अभियान चलाया। अधिकारियों के अनुसार, वर्धा से लगभग 60 किलोमीटर दूर करंजा (घड़गे) के एक घने झाड़ीदार इलाक़े में यह पूरी फैक्ट्री छुपाई गई थी, जिसे इस तरह तैयार किया गया था कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को इसकी भनक न लगे।
झाड़ियों के भीतर चलता था पूरा ‘सिंथेटिक लैब’: कामचलाऊ रिएक्टर, ड्रायर्स और भारी मशीनरी बरामद
DRI अधिकारियों का कहना है कि यह कोई साधारण अवैध यूनिट नहीं थी बल्कि एक पूरी तरह से सक्रिय सिंथेटिक ड्रग निर्माण लैब थी, जिसमें मेफेड्रोन बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी आवश्यक उपकरण मौजूद थे। इसमें—
- कामचलाऊ रिएक्टर
- भारी बर्तन
- ताप नियंत्रित चेंबर
- कंटेनर, मिक्सर
- केमिकल स्टोरेज यूनिट
- और एक पूरी प्रोसेसिंग लाइन
शामिल थी।
अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान बरामद किए गए पदार्थों में न सिर्फ तैयार मेफेड्रोन था बल्कि वह प्रीकर्सर केमिकल भी शामिल थे जो मेफेड्रोन के सिंथेसिस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह यूनिट लगातार और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए तैयार की गई थी।
DRI के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “यह एक बेहद सुनियोजित अवैध निर्माण केंद्र था, जो ग्रामीण और घने झाड़ियों के बीच इस तरह से छुपाया गया था कि हवा-पानी को छोड़कर किसी की नजर न जाए। पहली नजर में कोई भी यह नहीं समझ सकता था कि यहां करोड़ों का नशा तैयार हो रहा है।”
गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी ड्रग नेटवर्क का अहम हिस्सा — मास्टरमाइंड भी पुलिस के शिकंजे में
अब तक की कार्रवाई में DRI ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड भी शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि यह व्यक्ति—
- फाइनेंसर,
- केमिस्ट,
- और ऑपरेशन मैनेजर
तीनों भूमिकाएं निभा रहा था।
मास्टरमाइंड के साथ पकड़े गए दो अन्य व्यक्ति स्थानीय स्तर पर लॉजिस्टिक सपोर्ट और वितरण चैनल संभालते थे।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी काफी समय से इस नेटवर्क में सक्रिय थे और कम प्रोफ़ाइल रखकर ग्रामीण इलाकों में ड्रग निर्माण की कोशिश कर रहे थे, ताकि शहरी इलाकों की नजर और पुलिस की नियमित मॉनिटरिंग से बचा जा सके।
तीनों आरोपियों को एनडीपीएस एक्ट, 1985 के तहत गिरफ्तार किया गया है, जिसके तहत दोष सिद्ध होने पर कड़ी सजा और लंबी कैद का प्रावधान है।
मेफेड्रोन (MD) क्या है और क्यों बढ़ रहा है इसका खतरा?
मेफेड्रोन, जिसे आमतौर पर MD या Meow Meow के नाम से जाना जाता है, एक सिंथेटिक ड्रग है जो अत्यधिक नशे की लत पैदा करता है। यह पार्टी ड्रग्स की श्रेणी में आता है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में इसका बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक तेजी से फैलाव दर्ज किया गया है।
यह ड्रग बेहद खतरनाक इसलिए माना जाता है क्योंकि—
- यह तत्काल उत्तेजना और ऊर्जा प्रदान करता है,
- इसके दुष्प्रभाव बेहद गंभीर होते हैं,
- और कुछ ही समय में इसकी लत विकराल रूप ले लेती है।
DRI और अन्य एजेंसियों ने कई राज्यों में ऐसे नेटवर्क पकड़कर चेतावनी दी है कि भारत मेफेड्रोन निर्माण का एक उभरता हुआ हब बनता जा रहा है, जिसमें अवैध सिंथेटिक लैब्स की संख्या बढ़ती पाई जा रही है।
क्यों महत्वपूर्ण है DRI की यह कार्रवाई?
इस ऑपरेशन की अहमियत कई कारणों से बढ़ जाती है—
- कम आबादी वाले इलाकों में छुपी ड्रग फैक्ट्रियों का उभरना
यह संकेत देता है कि ड्रग माफिया शहरों से दूर ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय हो रहा है जहां मॉनिटरिंग कम है। - बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता
128 किलो तैयार मेफेड्रोन का मिलना बताता है कि यह नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय था और बड़े शहरों में सप्लाई कर रहा था। - क्रॉस-स्टेट नेटवर्क की आशंका
DRI के अनुसार इस ऑपरेशन से जुड़े तार कई राज्यों तक फैले होने की संभावना है, जिसकी जांच जारी है। - मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी बड़ी सफलता
ऐसे नेटवर्क अक्सर परत दर परत चलते हैं; मुख्य संचालक का गिरफ़्तार होना आगे की कार्रवाई के लिए बड़ा संकेत है।
जांच आगे बढ़ेगी, कई और छापेमारी की संभावना
DRI ने संकेत दिए हैं कि यह ऑपरेशन एक बड़े नेटवर्क का केवल पहला चरण हो सकता है। तकनीकी विश्लेषण, जब्त फोन और दस्तावेजों की जांच के बाद कई और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। एजेंसी इस नेटवर्क की वित्तीय ट्रेल, सप्लाई चैन और ग्राहक नेटवर्क की भी जांच कर रही है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि अवैध सिंथेटिक ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई प्राथमिकता है और ऐसी फैक्ट्रियों को जड़ से खत्म करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई एजेंसियां संयुक्त रूप से अभियान चला रही हैं।
निष्कर्ष
DRI के “ऑपरेशन हिंटरलैंड ब्रू” ने एक बार फिर यह साबित किया है कि देश में नशे के अवैध कारोबार को संचालित करने वाले गिरोह लगातार नए तरीकों की तलाश में रहते हैं। लेकिन सुरक्षा एजेंसियां भी उतनी ही तेजी और दक्षता के साथ इनका मुकाबला कर रही हैं।
वर्धा के झाड़ियों में छुपी यह करोड़ों की फैक्ट्री देश में ड्रग माफिया की बदलती रणनीतियों का संकेत है — लेकिन साथ ही यह भी कि कानून की निगरानी से कोई बच नहीं सकता।



