
देहरादून, 31 अगस्त 2025: उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने की दिशा में राज्य सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। इसी कड़ी में जिलाधिकारी सविन बंसल ने शनिवार को लखवाड़-व्यासी और त्यूनी-प्लासू जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह दोनों परियोजनाएं न सिर्फ हमारे जिले के लिए बल्कि पूरे उत्तरी भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने इन्हें “ड्रीम प्रोजेक्ट” के रूप में प्राथमिकता सूची में रखा है।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि 15 सितंबर तक मुआवजा वितरण, संपत्ति मूल्यांकन और क्षति गणना का कार्य हर हाल में पूरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी अर्ह प्रभावित परिवार राहत पैकेज से वंचित न रहे।
लखवाड़ परियोजना : बिजली और पानी, दोनों की जरूरत पूरी करेगी
यमुना नदी पर बन रही 300 मेगावाट की लखवाड़ जलविद्युत परियोजना भारत सरकार की महत्वाकांक्षी बहुउद्देशीय परियोजनाओं में से एक है। डीएम ने बैठक में बताया कि यह परियोजना उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली जैसे छह राज्यों की सिंचाई और पेयजल जरूरतों को भी पूरा करेगी।
उन्होंने कहा कि लखवाड़ परियोजना से प्रभावित काश्तकारों को पुनरीक्षित दर 101.50 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अनुग्रह राशि दी जा रही है। अब तक कुल 45.317 हेक्टेयर भूमि के लिए 30.34 करोड़ रुपये का भुगतान प्रस्तावित है, जिसमें से 17.85 करोड़ रुपये का वितरण पहले ही किया जा चुका है।
प्रभावित परिवारों को मिलेगा पूरा हक
बैठक में जिलाधिकारी ने साफ कहा कि “कोई भी प्रभावित परिवार अपने हक से वंचित नहीं रहेगा। जिन काश्तकारों ने अभी तक अपने अभिलेख जमा नहीं किए हैं, उनके गांवों में विशेष शिविर लगाकर दस्तावेज पूरे कराए जाएंगे। इसके बाद मुआवजा वितरण तुरंत किया जाएगा।”
उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी भी दी कि कोई भी प्रकरण अनावश्यक रूप से लंबित न रखा जाए। एडीएम (प्रशासन) और एसएलएओ को उन्होंने हर 15 दिन में परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने का निर्देश दिया।
त्यूनी-प्लासू परियोजना : टौंस नदी से 72 मेगावाट क्षमता
देहरादून जिले के अंतर्गत टौंस नदी पर प्रस्तावित 72 मेगावाट क्षमता की त्यूनी-प्लासू जलविद्युत परियोजना को लेकर भी बैठक में विस्तृत समीक्षा हुई। इस परियोजना के लिए 5.999 हेक्टेयर भूमि अर्जन किया जाना है, जिसमें ग्राम पंचायत रायगी और बृनाड बास्तील की भूमि शामिल है।
डीएम ने लोक निर्माण विभाग, उद्यान विभाग और वन विभाग को निर्देश दिए कि वे अधिग्रहित भूमि पर स्थित परिसंपत्तियों, फलदार और गैर-फलदार वृक्षों का मूल्यांकन शीघ्र पूरा कर रिपोर्ट दें। वहीं, एसडीएम त्यूनी और परियोजना के अधिशासी अभियंता को संयुक्त रूप से प्रभावित भूमि की पैमाइश और हिस्सेदार सूची मय खाता संख्या तैयार कर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट, हमारी जिम्मेदारी और बड़ी
जिलाधिकारी सविन बंसल ने बैठक में अधिकारियों से कहा –
“यह सिर्फ एक पावर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि मा. मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और भी बड़ी हो जाती है। उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए इन परियोजनाओं की सफलता अहम धुरी साबित होगी।”
वित्तीय प्रगति और चुनौतियां
विशेष भू-अर्जन अधिकारी स्मृता परमार ने बताया कि अब तक लखवाड़ परियोजना में प्रभावितों को पुनरीक्षित दर से भुगतान किया जा रहा है। श्रेणी-1 के अंतर्गत 12 गांवों के 114 काश्तकार ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक अपने कागजात जमा नहीं किए हैं। इनसे संपर्क कर जल्दी ही भुगतान प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
दूसरी ओर त्यूनी-प्लासू परियोजना में भूमि अर्जन से संबंधित विभिन्न समितियों की संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट मिलते ही अधिग्रहण का अवार्ड जारी होगा और प्रभावित परिवारों को अनुग्रह राशि का वितरण शुरू किया जाएगा।
बैठक में कौन-कौन रहे मौजूद
बैठक में अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) जय भारत सिंह, विशेष भू-अर्जन अधिकारी स्मृता परमार, महाप्रबंधक त्यूनी-प्लासू परियोजना आईएम करासी, उप महाप्रबंधक गिरीश जोशी, जीएम शिवदास, डीजीएम सुजीत कुमार सिंह, लोनिवि चकराता के अधिशासी अभियंता प्रवीण कर्णवाल, उप प्रभागीय वनाधिकारी संजीव नौटियाल, तहसीलदार कालीस सुशीला कोठियाल, तहसीलदार विकासनगर विवेक राजौरी समेत उत्तराखंड जलविद्युत निगम के वरिष्ठ अधिकारी व इंजीनियर उपस्थित रहे।
क्यों अहम हैं ये दोनों परियोजनाएं?
- लखवाड़ परियोजना : 300 मेगावाट बिजली उत्पादन, छह राज्यों की सिंचाई व पेयजल आपूर्ति।
- त्यूनी-प्लासू परियोजना : 72 मेगावाट क्षमता, टौंस नदी की ऊर्जा क्षमता का उपयोग।
- उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने में मील का पत्थर।
- स्थानीय स्तर पर रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास की संभावना।
निष्कर्ष
लखवाड़-व्यासी और त्यूनी-प्लासू जैसी परियोजनाएं सिर्फ बांध या पावर स्टेशन नहीं हैं, बल्कि उत्तराखंड और पूरे उत्तर भारत के लिए विकास की नई रोशनी हैं। जिलाधिकारी सविन बंसल की अगुवाई में प्रशासन प्रभावित परिवारों को उनका हक दिलाने और परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
अगर सब कुछ तय समयसीमा के भीतर होता है, तो आने वाले वर्षों में ये दोनों परियोजनाएं न सिर्फ बिजली उत्पादन बल्कि पेयजल और सिंचाई की समस्या के स्थायी समाधान का रास्ता खोलेंगी।