ईरान पर अमेरिकी हमले को लेकर ट्रंप और खुफिया एजेंसियों में मतभेद, परमाणु कार्यक्रम नष्ट होने पर उठे सवाल

वॉशिंगटन। ईरान के परमाणु ठिकानों पर हाल ही में किए गए अमेरिकी हवाई हमलों की सफलता को लेकर अमेरिका के भीतर ही मतभेद गहराते जा रहे हैं। जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि ये हमले “पूरी तरह सफल” रहे और ईरान की परमाणु संपन्नता क्षमता को “नष्ट” कर दिया गया है, वहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का आकलन इससे अलग तस्वीर पेश कर रहा है।
पेंटागन द्वारा कराए गए प्रारंभिक खुफिया मूल्यांकन के मुताबिक, इन हमलों से ईरान के यूरेनियम संवर्धन (एनरिचमेंट) भंडार को कोई गंभीर क्षति नहीं पहुंची है। डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) से जुड़े सूत्रों के अनुसार, ईरानी परमाणु कार्यक्रम को अधिकतम कुछ महीनों तक धीमा किया जा सका है, लेकिन वह नष्ट नहीं हुआ है।
व्हाइट हाउस ने एजेंसियों के इस आकलन को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह राष्ट्रपति ट्रंप को “नीचा दिखाने का प्रयास” है और यह आकलन “पूरी तरह गलत” है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कांग्रेस को भेजी जानकारी में कहा है कि शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात किए गए हमलों में ईरान की परमाणु हथियार संबंधी सुविधाएं पूरी तरह नष्ट कर दी गई हैं।
हालांकि, अमेरिकी खुफिया तंत्र का यह भी कहना है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में फिलहाल सक्रिय नहीं है। मार्च में अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड द्वारा कांग्रेस में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने 2003 में परमाणु हथियार कार्यक्रम को बंद करने का जो आदेश दिया था, उसे फिर से शुरू नहीं किया गया है। यह मूल्यांकन अब भी कायम है।
यह मतभेद अमेरिका की विदेश नीति, विशेष रूप से ईरान से जुड़े रुख और खुफिया एजेंसियों की निष्पक्षता पर नई बहस को जन्म दे सकता है।