
जम्मू, 10 अगस्त: जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने रविवार को आशा व्यक्त की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए केंद्र शासित प्रदेश को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की घोषणा करेंगे।
चौधरी ने यह बयान जम्मू के निकट ताली मोड़ बारी में नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने 5 अगस्त 2019 की घटनाओं को याद किया, जब जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिली विशेष स्थिति समाप्त कर दी गई थी और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित कर दिया गया था।
“जनता ने कभी स्वीकार नहीं किया 2019 का फैसला”
उपमुख्यमंत्री चौधरी ने कहा—
“जम्मू-कश्मीर के लोगों ने 2019 के फैसले को कभी स्वीकार नहीं किया। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री (अमित शाह) ने वादा किया था कि उचित समय पर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। अब वह समय आ गया है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि संसद के मौजूदा मानसून सत्र में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए विधेयक लाना सबसे उपयुक्त कदम होगा।
राजनीतिक और संवैधानिक पृष्ठभूमि
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को समाप्त कर, राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का निर्णय लिया था। इस फैसले के बाद से ही यहां की राजनीतिक पार्टियां राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रही हैं। केंद्र सरकार की ओर से कई बार कहा गया है कि “उचित समय” पर राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा, लेकिन इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है।
स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक घोषणा की उम्मीद
चौधरी ने कहा कि देश के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवस—स्वतंत्रता दिवस—पर लाल किले से यह घोषणा ऐतिहासिक होगी।
“यह वही दिन है जब पूरा देश प्रधानमंत्री के संदेश को सुनता है। यदि उस दिन राज्य का दर्जा बहाल करने की घोषणा होती है, तो यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए नई शुरुआत का प्रतीक होगा।”
जनसभा में गूंजा राज्य की बहाली का मुद्दा
नेशनल कॉन्फ्रेंस की इस जनसभा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे। भाषण के दौरान चौधरी के हर बयान पर भीड़ ने समर्थन में नारे लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल होने से न केवल जनता का विश्वास मजबूत होगा, बल्कि विकास कार्यों में भी तेजी आएगी।
सांसदों और विधायकों की सक्रिय भूमिका पर जोर
चौधरी ने अपने संबोधन में सांसदों और विधायकों से अपील की कि वे संसद में एकजुट होकर राज्य की बहाली की मांग उठाएं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतभेदों को अलग रखकर जनता के हित में एक साझा रणनीति बनाई जानी चाहिए।
केंद्र के रुख पर सबकी निगाहें
विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार यदि 15 अगस्त को राज्य का दर्जा बहाल करने का संकेत देती है, तो यह न केवल जम्मू-कश्मीर के लिए बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए एक बड़ा संदेश होगा। हालांकि, सरकार की ओर से इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
जम्मू-कश्मीर में राज्य के दर्जे की बहाली का मुद्दा लगातार राजनीतिक और जनभावनाओं के केंद्र में बना हुआ है। उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी का यह बयान इस मांग को एक बार फिर राष्ट्रीय बहस के केंद्र में ले आया है। अब 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री के भाषण पर सबकी निगाहें टिकी हैं, जहां से इस संबंध में कोई बड़ी घोषणा होने की उम्मीद की जा रही है।