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निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 99% गणना प्रपत्र वितरित किए, 50 करोड़ से अधिक मतदाता जुड़े विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया से

नई दिल्ली, 19 नवंबर: भारतीय लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण चरण—मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision-SIR)—की प्रक्रिया जारी है, और इसी क्रम में निर्वाचन आयोग ने बुधवार को बताया कि नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 99 प्रतिशत गणना प्रपत्र (Enumeration Forms) का वितरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। यह प्रक्रिया 51 करोड़ से अधिक पात्र मतदाताओं को कवर करती है, जिनमें से करीब 50.35 करोड़ लोगों तक आयोग अपने निर्दिष्ट प्रपत्र पहुँचा चुका है। आयोग के इस बड़े अभियान को आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।

निर्वाचन आयोग के अनुसार, विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का दूसरा चरण चार नवंबर से औपचारिक रूप से शुरू हुआ और यह चार दिसंबर तक जारी रहेगा। इस अवधि के दौरान मतदाता सूची के सत्यापन, संशोधन, नए मतदाताओं के पंजीकरण तथा मृत, स्थानांतरित या दोहराए गए नामों को हटाने की व्यापक कार्रवाई की जा रही है। आयोग ने बताया कि इस बार पुनरीक्षण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, जनसुलभ एवं तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए कई नए प्रावधान लागू किए गए हैं।

आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि “51 करोड़ से अधिक पात्र मतदाताओं में से लगभग 99 प्रतिशत तक गणना प्रपत्र की पहुँच यह दर्शाती है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मैदानी स्तर पर निर्वाचन कर्मियों द्वारा बेहद संगठित और योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है।” अधिकारी के अनुसार, प्रदेशों में नियुक्त बूथ स्तर अधिकारी (BLOs) घर-घर जाकर मतदाता जानकारी एकत्र कर रहे हैं और लोगों के मौजूदा विवरण को सत्यापित कर रहे हैं ताकि मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की त्रुटि की गुंजाइश न रहे।

विशेष पुनरीक्षण के इस चरण के दौरान आयोग ने नागरिकों से भी सक्रिय सहभागिता की अपील की है। आयोग ने कहा है कि सभी पात्र मतदाता यह सुनिश्चित करें कि उनके नाम सही जानकारी सहित मतदाता सूची में दर्ज हों। यदि किसी प्रकार की त्रुटि, परिवर्तन या नया पंजीकरण आवश्यक है, तो नागरिक अपने BLO से संपर्क करें या ‘वोटर हेल्पलाइन ऐप’ एवं राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।

आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए जिलेवार विशेष टीमें तैनात की गई हैं। जनसंख्या वृद्धि, प्रवासन, शहरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में बिखरी जनसंख्या की चुनौतियों के बावजूद निर्वाचन आयोग ने 99 प्रतिशत गणना प्रपत्र वितरण को एक “रिकॉर्ड उपलब्धि” करार दिया है।

आयोग ने स्पष्ट किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण न केवल नए मतदाताओं के पंजीकरण का माध्यम है, बल्कि यह एक ऐसी प्रणालीगत प्रक्रिया है जिसके तहत—
• मृत मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं,
• स्थानांतरित मतदाताओं का रिकॉर्ड अद्यतन किया जाता है,
• दोहराव वाले नामों की पहचान कर उन्हें सूची से निकाला जाता है,
• और विकलांग, वरिष्ठ नागरिक एवं विशेष वर्ग के मतदाताओं के लिए सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाती है।

आयोग का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आगामी चुनाव पूर्णतः पारदर्शी, समावेशी और त्रुटिरहित मतदाता सूची के आधार पर सम्पन्न हों। विशेषकर 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद से, आयोग ने मतदाता सूची को और अधिक सटीक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित सत्यापन, मोबाइल-ऐप आधारित अपडेटिंग और डिजिटल रिकॉर्ड के समन्वय को प्राथमिकता दी है।

विशेषज्ञों के अनुसार, 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इतनी व्यापक कवरेज ऐसे समय में आई है जब प्रवासन और तेज़ शहरीकरण के चलते मतदाता सूचियों में लगातार बदलाव आ रहा है। ऐसे में निर्वाचन आयोग का यह अभियान चुनावी व्यवस्था की विश्वसनीयता को मजबूती देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

चार दिसंबर तक चलने वाली इस प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद आयोग मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा, जिसके बाद नागरिक अपनी आपत्तियाँ और सुझाव दर्ज करा सकेंगे। अंतिम मतदाता सूची जनवरी 2026 के प्रारंभ में प्रकाशित होने की संभावना है।

निर्वाचन आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता या देरी पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। आयोग ने यह भी कहा कि जहां-जहाँ अभी तक 100 प्रतिशत गणना प्रपत्र नहीं पहुँच पाए हैं, वहां अगले कुछ दिनों में विशेष अभियान चलाकर वितरण प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और ऐसे में निर्वाचक नामावली की विश्वसनीयता चुनावी प्रक्रिया की रीढ़ मानी जाती है। इसी उद्देश्य के तहत आयोग ने इस वर्ष पुनरीक्षण को “गहन और संवेदनशील जनसंपर्क आधारित प्रक्रिया” का रूप दिया है। लगातार बढ़ती जागरूकता, तकनीकी हस्तक्षेप और राज्य-स्तरीय प्रशासनिक सहयोग से यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार मतदाता सूची अधिक अद्यतन, त्रुटिरहित और व्यापक होगी।

आयोग का यह प्रयास देश के 50 करोड़ से अधिक मतदाताओं को सीधे प्रभावित करता है, और इससे चुनावी पारदर्शिता, विश्वसनीयता और सुचारु व्यवस्था को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

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